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माइक्रोमैक्स मज़दूरों के संघर्ष की जीत : ले ऑफ हुआ रद्द, निकाले गए 300 श्रमिकों की वापसी का संघर्ष जारी

लगातार संघर्ष ने बंद पड़े प्लांट को तो चालू करा दिया और ले-ऑफ पर गए मज़दूरों कि कार्यबहाली भी हो गई लेकिन निकाले गए कर्मचारियों की वापसी का संघर्ष जारी है। यूनियन नेताओं को उम्मीद है कि जल्द ही सभी निकाले गए कर्मचारियों कि भी कार्यबहाली हो जाएगी और तब तक इनका संघर्ष जारी रहेगा।
workers protest

कई सालों के संघर्ष के बाद रुद्रपुर स्थित भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड फिर से चालू होने जा रहा है। 2018 के अंत में भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड( माइक्रोमैक्स) ने सैकड़ों मज़दूरों कि छंटनी की और फिर 2019 की शुरुआत में अन्य 47 श्रमिकों ले ऑफ देने के बाद प्लांट को बंद कर दिया था। कंपनी के मज़दूर तब से ही लगातार सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करते रहे और अंत मे उन्होंने बंद पड़े प्लांट को तो चालू करा दिया और ले-ऑफ पर गए मज़दूरों कि कार्यबहाली भी हो गई लेकिन निकाले गए कर्मचारियों की वापसी का संघर्ष जारी है। यूनियन नेताओं को उम्मीद है कि जल्द ही सभी निकाले गए कर्मचारियों कि भी कार्यबहाली हो जाएगी और तब तक इनका संघर्ष जारी रहेगा।

आपको बता दें कि शुक्रवार को सिडकुल पंतनगर में स्थित भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी प्रबंधन द्वारा कंपनी में 47 श्रमिकों के लिए दिनांक 04/10/2019 से जारी ले-आफ को समाप्त करने का नोटिस लगाया। इसके साथ ही श्रमिकों को दिनांक 03 सितम्बर तक कार्य पर वापस आने का नोटिस कंपनी गेट चस्पा किया गया। इसके अलावा संबंधित श्रमिकों को सोशल मीडिया के माध्यम से नोटिस की कॉपी भेज कर सूचित किया गया है।

ज्ञात हो भगवती माइक्रोमैक्स के छंटनीशुदा और ले-आफ श्रमिकों द्वारा श्रम भवन रुद्रपुर में पुनः विगत एक माह से अधिक समय से धरना जारी है। कोरोना से पहले सैकड़ों दिनों तक इनका धरना चला था।

यूनियन के नेता दीपक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि छंटनीशुदा श्रमिकों की कार्यबहाली और उनके बकाया वेतन भुगतान के लिए अभी भी संघर्ष जारी है।

क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि ये कर्मचारी 27 दिंसबर 2018 से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके संघर्ष को 44 महीने हो गए हैं। कर्मचारियों के मुताबिक दिसंबर 2018 में क्रिसमस के मौके पर उन्हें दो-तीन दिन की छुट्टी दी गई थी, जिसके बाद मज़दूर अपने काम पर आए तो उन्हें गेट पर एक नोटिस लगा मिला, जिसमें 300 से अधिक कर्मचरियों का नाम लिखा था। बताया गया कि इनकी सेवाएं अब समाप्त कर दी गईं।

अचानक बिना किसी नोटिस के ऐसा फैसला कैसे लिया जा सकता था? इससे सभी कर्मचारी हैरान थे, मैनेजमेंट के इस फैसले से काफी गुस्से में भी थे। उन्होंने मैनेजमेंट से इस गैर क़ानूनी छंटनी पर सवाल किया तो कहा गया कि फैक्ट्री में अब इतने लोगों का काम नहीं है इसलिए इनको हटाया जा रहा है, जबकि वहाँ काम करने वाले मज़दूरों का कहना है कि जब वो वहाँ काम कर रहे थे तब भी मज़दूरों से उनकी क्षमता से अधिक काम लिया जाता था। अचानक यह कहना कि काम नहीं है समझ से परे है।

तब से ही भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के मजदूर छँटनी के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। कंपनी गेट पर रात-दिन का धरना जारी है। इस दौरान मैनेजमैंट ने तमाम तरह की दिक्कतें पैदा की और कई धाराओं में मजदूरों पर केस दर्ज कराया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा भगवती-माइक्रोमैक्स के आदेश पर स्टे, प्रबंधन को ₹5 करोड़ जमा करने का निर्देश!

भगवती-माइक्रोमैक्स के 303 श्रमिकों की गैर कानूनी छंटनी के संबंध में जारी आदेश और सहायक श्रम आयुक्त द्वारा 15 करोड़ रुपए के जारी नोटिस पर सोमवार 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश के साथ प्रबंधन को 5 करोड़ रुपए जमा करने का निर्देश दिया है। यह स्थगनादेश (स्टे) तभी प्रभावी होगा जब उक्त धनराशि कंपनी माननीय उच्चतम न्यायालय में जमा कर देगी।

उल्लेखनीय है कि माइक्रोमैक्स प्रोडक्ट बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 को 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छंटनी कर दी थी। जिसके संबंध में औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने 2 मार्च 2020 के अपने आदेश में छँटनी को अवैध घोषित किया था और समस्त 303 श्रमिकों के सभी प्रकार के देयकों को पाने का अधिकारी बताया था।

प्रबंधन ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय नैनीताल में रिट दायर की। 5 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय की पीठ ने न्यायाधिकरण के आदेश को सही ठहराया था। इस तरह से मज़दूरों को लगातार जीत हासिल हुई थी।

मज़दूर नेताओं ने बताया कि संघर्ष के बीच मामले को कई बार लटकाने के बाद एएलसी ने 10 अगस्त 2022 को 15 दिन के भीतर समस्त श्रमिकों की कार्यबहाली का निर्देश पत्र जारी किया। उसके पश्चात 18 अगस्त को 27 दिसम्बर 2018 से 27 मई 2022 तक के बकाया वेतन 15 करोड़ 49 लाख 59 हजार 610 रुपए की अदायगी के संबंध में नोटिस जारी किया था।

इस बीच प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की। इसी के साथ उसने उक्त राशि पर स्थगन आदेश लगाने का आवेदन किया था।

बीते सोमवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना व न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की 2 सदस्यों की खंडपीठ ने सुनवाई की। जहाँ श्रमिक पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री राजेश त्यागी ने जोरदार पैरवी की। यह एक क़ानूनी मामला होने के कारण पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया।

पीठ ने मज़दूरों के बकाया वेतन के संबंध में जारी आदेश सहित पूरे मामले पर इस शर्त के साथ स्थगनादेश (स्टे) दिया कि प्रबंधन रुपए 5 करोड़ अदालत में जमा करेगा। जबतक उक्त धनराशि कंपनी जमा नहीं करेगी स्टे प्रभावी नहीं होगा। यह निर्देश मज़दूरों की बकाया राशि के संबंध में जारी नोटिस के सापेक्ष है। इस तरीके से सर्वोच्च अदालत में कार्यवाही गतिमान हो गई।

मज़दूर नेता ने अपने बयान मे ले-ऑफ को वापस लेने और कोर्ट द्वारा धनराशि जमा कराने को मज़दूरों की एक और महत्वपूर्ण व बड़ी जीत बताते हुए कहा कि प्रबंधन जिस प्रकार से पूरे मामले को उलझा रहा है, अब उसे मज़दूरों के बकाया वेतन के संबंध में 5 करोड़ रुपए की राशि जमा करनी पड़ेगी। निश्चित ही मज़दूरों की छंटनी गैरकानूनी है तो सर्वोच्च अदालत में भी मज़दूरों को ही जीत मिलेगी। यह ज़रूर हुआ है कि यह मामला कुछ दिनों के लिए और भी लंबित हो गया है।

श्रमिक प्रतिनिधि नन्दन सिंह से कहा कि निश्चित ही हमारी छंटनी गैरकानूनी है इसलिए सर्वोच्च अदालत में भी हमको ही जीत मिलेगी। और सभी श्रमिक न्याय के लिए तत्पर संघर्षरत है, श्रमिकों को न्याय मिलने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

इसी तरह श्रमिक प्रतिनिधि ठाकुर सिंह ने बताया कि 44 माह से हमारा संघर्ष जारी है और श्रम भवन रुद्रपुर में धरना लगातार चल रहा है। हम अंतिम जीत तक अपना संघर्ष जारी रखने के लिए कृत संकल्प हैं।

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