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इलाहाबाद विश्वविद्यालय: छात्रों का आरोप प्रशासन विरोध की आवाज़ को बदनाम करना चाहता है

कुछ चश्मदीदों ने आरोप लगाया कि झड़प तेज़ होने पर कैंपस के सुरक्षा गार्डों ने गोलियां चलाईं जिसमें क़रीब छह छात्र और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय: छात्रों का आरोप प्रशासन विरोध की आवाज़ को बदनाम करना चाहता है
प्रयागराज: सोमवार 19 दिसंबर को एक छात्र नेता को कथित रूप से परिसर में प्रवेश करने से रोके जाने को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भड़की हिंसा के बाद छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान खड़े सुरक्षाकर्मी। (फोटो साभार : पीटीआई )

लखनऊ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सोमवार देर शाम कैंपस में भड़की हिंसा में कई छात्र घायल हो गए। इसके बाद छात्र नेताओं और सुरक्षा गार्डों के बीच उस समय तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई जब छात्रों ने एक पूर्व छात्र नेता को परिसर में कथित तौर पर प्रवेश करने से रोक दिया गया और उनके साथ मारपीट की। वहीं गार्ड ने आरोप लगाया गया कि छात्र नेता को रोके जाने पर उसने गार्ड को थप्पड़ मारा।

सोशल मीडिया पर कैंपस की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें देखा जा सकता है कि एक छात्र की पेशानी पर खून लगा हुआ है, वहीं दूसरे छात्र की पीठ पर चोट के निशान हैं और तीसरे छात्र के हाथ से खून बह रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हिंसा में दो कार को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और मोटरसाइकिलों में आग लगा दी गई।

गार्ड और छात्रों के बीच हुई झड़प को रोकने के लिए पुलिस ने बीच बचाव किया। लेकिन, कुछ चश्मदीदों के मुताबिक़, झड़प तेज़ होने पर सुरक्षा गार्डों ने गोलियां चलाईं, जिसमें क़रीब छह छात्र और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए।

एक छात्र नेता और घटना के चश्मदीद अजय यादव सम्राट ने न्यूज़क्लिक को बताया, "दोपहर के क़रीब ढ़ाई बजे थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता विवेकानंद पाठक अपनी पत्नी के साथ परिसर के अंदर एसबीआई बैंक की शाखा में आए। हालांकि, एक सुरक्षा गार्ड ने उनकी कार रोक दी और उन्हें प्रवेश करने से मना कर दिया। पाठक ने एक बैंक कर्मचारी को फ़ोन किया और गार्ड से उससे बात करने के लिए कहा। उन्होंने कहा, "क्या आपको विश्वास नहीं है कि मैं जिससे बात कर रहा हूं, वह एक बैंक कर्मचारी है।" इस पर, गार्ड ने मोबाइल फेंक दिया और पाठक को गाली देनी शुरू कर दी। जब बहस बढ़ गई, तो गार्ड ने पाठक पर अपनी बंदूक के बट से हमला कर दिया।"

छात्र ने कहा, “यह देखकर, पास के कुछ छात्र आए और पाठक को बचाया। बाद में, गार्ड प्रॉक्टर के कार्यालय में गए और लगभग एक घंटे के बाद, वे लोहे की रॉड, पिस्टल, हॉकी स्टिक आदि लेकर आए। लगभग 250 गार्ड थे और एक भी गार्ड खाली हाथ नहीं था; वे छात्रों को मारने के इरादे से आए थे। लगभग 5-6 राउंड फायरिंग हुई होगी।" सम्राट फ़ीस वृद्धि के ख़िलाफ़ और छात्र संघ की बहाली को लेकर पिछले एक साल से कैंपस में विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे हैं।

सम्राट ने कहा, "सवाल यह है कि सुरक्षा गार्डों को हथियार और रॉड कहां से मिले? अगर उन्हें 24 घंटे के भीतर गिरफ़्तार नहीं किया गया तो हम अपना विरोध तेज़ करेंगे। प्रशासन के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसके इशारे पर गार्डों ने हमला किया।"

पूर्व छात्र नेता पाठक भी शुल्क वृद्धि को लेकर कैंपस में लंबे समय से हो रहे विरोध का हिस्सा रहे हैं। ये प्रदर्शन पिछले 882 दिनों से सम्राट के नेतृत्व में चल रहा है। छात्रों का आरोप है कि स्नातक पाठ्यक्रमों की फ़ीस, जो 975 रुपये प्रति वर्ष थी, उसको 300% से अधिक बढ़ाकर 4,151 रुपये कर दिया गया है।

ग़ाज़ीपुर के मूल निवासी हरेंद्र यादव जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक कर रहे हैं। वे हिंसा के दौरान घायल हो गए थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "प्रोक्टोरियल टीम ने सुरक्षा गार्डों और छात्र नेताओं के बीच स्थिति को शांत करने के लिए हस्तक्षेप किया था। चीज़ों को सुलझा लिया गया था। हमने पाठक से वहां मौजूद लोगों के लिए मिठाई लाने को कहा था। बाद में, वही गार्ड जो मिठाई का इंतज़ार कर रहे थे, लोहे की रॉड, पिस्तौल और हॉकी स्टिक के साथ आए और हमें बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया। मैं मौत के मुंह बच निकला।"

हरेंद्र यादव, विवेकानंद पाठक, अजय यादव सम्राट, अभिषेक यादव, राहुल पटेल, नवनीत सिंह, सत्यम कुशवाहा सहित छह छात्रों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 323, 336, 427, 435, 504, 392 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है जो न्यूज़क्लिक के पास मौजूद है।

कैंपस में रहने वाले एक चश्मदीद सुमित सिंह ने कहा, "हमें सुरक्षा गार्डों ने बेरहमी से पीटा और प्रशासन ने हमारे ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज किया है। यह दंगे जैसी स्थिति थी।" सुमित ने आगे कहा कि उनकी पत्नी का भीड़ ने पीछा किया था लेकिन वह बच गईं।

इस बीच, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक आधिकारिक बयान में हिंसा के मद्देनज़र मंगलवार को विश्वविद्यालय बंद रहने की बात कही थी। बयान में कहा गया था कि, "अज्ञात तत्वों" ने विश्वविद्यालय के गेट के ताले तोड़ दिए, जिसके परिणामस्वरूप उनके (छात्र) और गार्ड के बीच झड़प हुई।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि, "हिंसा और दुर्व्यवहार की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के मद्देनज़र, जिसमें अज्ञात तत्वों ने विश्वविद्यालय के गेट के ताले तोड़ दिए, जिसके परिणामस्वरूप उनके और गार्डों के बीच हिंसा हुई। पथराव और वाहनों में आग लगाने से भगदड़ मच गई। इस परिस्थिति में विश्वविद्यालय में काम कल यानी 20 दिसंबर 2022 को निलंबित रहेगा। इसे माननीय कुलपति की मंज़ूरी के बाद जारी किया जाता है।"

इस बीच, एक सामान्य बैठक की गई जिसमें भविष्य की रणनीति तय करने के लिए वरिष्ठ छात्र और पूर्व छात्र नेता मौजूद थे।

इस घटना पर टिप्पणी करते हुए, बैठक में उपस्थित एक पूर्व छात्र और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, "इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली ऐसी घटना थी जिसमें छात्रों को पीटा गया। डंडों से, वह भी पुलिस के सामने। लोकतांत्रिक और गांधीवादी तरीक़े से एक साल से अधिक समय से चल रहे विरोध को बदनाम करने की यह एक पूर्व नियोजित रणनीति थी। यह शर्मनाक है कि छात्रों से संवाद के बजाय प्रशासन ने हिंसा का रास्ता चुना।" उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय चर्चा की जगह है, हिंसा का नहीं, लेकिन प्रशासन इस स्थान को जंग का मैदान बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

उन्होंने कहा, "विश्वविद्यालय प्रशासन को हिंसा की नैतिक ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए और छात्रों पर किए गए फ़ायरिंग में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। अगर दोषियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज नहीं किया गया, तो विश्वविद्यालय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगा।"

पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दो साल से छात्रों पर अलग-अलग मामलों में दर्जनों मामले दर्ज किए गए हैं। सिंह ने कहा, "ऐसा करके, प्रशासन छात्रों को गुंडा (अपराधी) बनाने की कोशिश कर रहा था, जो वे नहीं होने देंगे।"

न्यूज़क्लिक ने कॉल और मैसेज के ज़रिए विश्वविद्यालय के प्रवक्ता और प्रॉक्टर से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

हालांकि, परिसर में तैनात एक अधिकारी ने न्यूज़क्लिक को बताया, "स्थिति अब नियंत्रण में है। सभी को मामूली चोटें आईं हैं। उनमें से कुछ को अस्पताल ले जाया गया है और वे ठीक हो रहे हैं। हमने परिसर में तैनाती बढ़ा दी है।" अधिकारी ने कहा कि इस झड़प में दोनों पक्षों के छात्र घायल हो गए, जिनमें हिंसा को रोकने की कोशिश करने वाले भी शामिल थे।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

Allahabad Varsity: 'It Was Riot-Like Situation...Admin Wants to Discredit Dissent', Allege Students

 

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