Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

औली में शाही शादी से कोर्ट नाराज़, 3 करोड़ का जुर्माना लगाया

कारोबारी गुप्ता बंधुओं के बेटों की इस शाही शादी के आयोजन के लिए सरकार ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया! नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि यदि ये मामला एक हफ्ते पहले आया होता तो शादी के इस आयोजन पर रोक लगा देते।
Uttarakhand

देहरादून (उत्तराखंड) : दक्षिण अफ्रीका के कारोबारी गुप्ता बंधुओं के बेटों की चमोली जिले के औली में हो रही 200 करोड़ की शादी के आयोजन पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। शादी के आयोजन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के एवज में 3 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि जमा करने को कहा है। साथ ही मानकों के तहत बैंडबाजे के शोर समेत अन्य गतिविधियों को संचालित करने के निर्देश दिये हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि ये मामला एक हफ्ते पहले आया होता तो शादी के इस आयोजन पर रोक लगा देते।

अधिवक्ता रक्षित जोशी ने औली में हो रही शादी के आलीशान आयोजन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर याचिका दाखिल की थी। जिस पर 17 और 18 जून को अदालत में सुनवाई हुई। अब भी ये मामला अदालत में है। रक्षित बताते हैं कि कोर्ट ने पहले दो करोड़ का ज़ुर्माना लगाया था जिसे आज बढ़ाकर तीन करोड़ कर दिया गया।

पिछले वर्ष नैनीताल हाईकोर्ट ने औली समेत अन्य पर्वतीय बुग्यालों में किसी भी तरह की कर्मशियल गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। जिसके तहत वहां टेंट भी नहीं लगाये जा सकते। जबकि गुप्ता बंधुओं की इस शादी के आयोजन में तंबुओं का एक छोटा शहर बस गया है। इस पर सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि तंबू बुग्याल में नहीं बल्कि उससे कुछ दूरी पर लगाए गए हैं। ठीक-ठीक कितनी दूरी पर तंबू लगे हैं इसका जवाब सरकार नहीं दे पायी, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि इस पर हम आगे बात करेंगे कि ये बुग्याल हैं या नहीं।

अदालत ने कहा चूंकि वहां टेंट लग चुके हैं, जो नुकसान होना था, वो हो चुका है, इसलिए इस आयोजन पर रोक नहीं लगा रहे। लेकिन ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण कम से कम हो, इसके लिए गाइड लाइन्स दी हैं। अदालत ने बायोडिग्रेडबल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा है।

औली में इस शाही शादी के आयोजन के लिए सरकार ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया! आयोजन से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आए। जिस होटल में शादी हो रही है, वो पिछले एक साल से सीज था। इसी महीने 10 जून को वो होटल गढ़वाल मंडल विकास निगम को ट्रांसफर किया गया। जाहिर है कि गुप्ता बंधुओं के परिवार की शादी के लिए ही ये सब किया गया। जिस पर अदालत ने पूछा कि गुप्ता बंधुओं को स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दिया गया।

WhatsApp Image 2019-06-17 at 2.35.58 PM.jpeg

सरकार को भी इस आयोजन की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। सोमवार को सरकार के वकील ने कहा कि औली की इस शादी में 200 लोग आएंगे। जबकि आज अदालत को बताया कि करीब पौने चार सौ लोग होंगे। शादी के कार्य के लिए पहले 50 वर्कर लगाए जाने की बात कही थी, आज बताया कि 170 वर्कर लगाए गए हैं। जबकि स्थानीय लोगों के मुताबिक इस शादी में कार्य करने के लिए बाहर से ट्रकों में भरकर श्रमिक लाए गए हैं और उनकी संख्या इससे भी अधिक है।

औली में वास्तविकता में क्या कुछ हो रहा है, इसकी जानकारी सरकार को भी नहीं है। अधिवक्ता रक्षित जोशी का कहना है कि हम भी ग्राउंड स्टेटस ठीक-ठीक नहीं जानते। उन्होंने बताया कि वे इस पर एक सप्लीमेंट्री एफिडेविट भी फाइल करेंगे।

WhatsApp Image 2019-06-17 at 2.35.59 PM (1).jpeg

इससे पहले सोमवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दो सदस्यों को वहां पर्यावरणीय नुकसान के आंकलन के लिए भेजा है। कल कोर्ट ने कहा था कि औली जैसी संवेदनशील जगह पर किसकी अनुमति से हैलीपैड बनाए गए। अदालत ने सिर्फ शादी के लिए हैलिपैड बनाने पर रोक लगा दी। एयर एंड वाटर एक्ट के तहत भी शादी के आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इनवायरमेंट इंजीनियर अंकुर कंसल बताते हैं कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर हमारे दो सदस्य औली में पर्यावरणीय क्षति के मूल्यांकन के लिए गए हैं। वे वहां रुकेंगे और हर चीज का आंकलन करेंगे। लेकिन इस शादी के लिए हमारे पास से कोई अनुमति नहीं ली गई।

इस शादी के लिए सिर्फ नगर पालिका ने वहां कचरे की सफाई की जिम्मेदारी ली है। इस आयोजन से वहां की जैवविविधता प्रभावित हो रही है। अदालत ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया को शादी की निगरानी के लिए जिम्मेदार बनाया है।

दरअसल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के एक कार्यक्रम में कहा कि हमने ही गुप्ता बंधुओं को कहा कि वे औली में डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए आएं। वे तो स्विटजरलैंड में शादी के लिए जा रहे थे। राज्य के मुखिया इस शादी से बेहद खुश थे। हाईकोर्ट में भी सरकार की ओर से ये पक्ष रखा गया कि राज्य में मैरिज प्रमोशन की हमारी पॉलिसी है, हम इसे डेस्टिनशन वेडिंग के रूप में विकसित करना चाहते हैं। रक्षित जोशी बताते हैं कि जब कोर्ट ने कहा कि हमें वो पॉलिसी दिखाइये, तो उनके पास कोई पॉलिसी थी ही नहीं। मुख्यमंत्री ने वो सिर्फ मौखिक तौर पर बोला है।

औली में हो रही इस शादी को लेकर स्थानीय लोग भी बेहद नाराज़ हैं। औली एडवेंटर एसोसिएशन के विवेक पंवार कहते हैं कि जब स्थानीय लोग अपने छोटे-छोटे व्यवसाय के लिए कुछ करना चाहते हैं तो हमें नियम-कायदे बताकर रोक दिया जाता है। जबकि गुप्ता बंधुओं के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए गए।

स्कीइंग की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके विवेक वहां एडवेंचर कैंप आयोजित करते हैं। उनका कहना है कि पिछले वर्ष हाईकोर्ट के आदेश के बाद हमें कैंप लगाने से रोक दिया गया। इसका असर हमारे व्यापार पर पड़ा। लेकिन हमने इस आदेश को माना। लेकिन फिर गुप्ता बंधुओं को छूट कैसे दे दी गई। इससे किसका भला हुआ। स्थानीय लोगों का कोई भला तो नहीं हो रहा। वे बताते हैं कि वहां इतनी बड़ी संख्या में बाहर से श्रमिक लाए गए हैं, लेकिन सिर्फ 6-7 अस्थायी शौचालय बनाए गए हैं। तो वे लोग शौच के लिए बुग्यालों में और प्राकृतिक जल स्रोतों की ओर जा रहे हैं। जिससे लोगों में नाराजगी है।

औली में मौजूद विवेक पंवार कहते हैं कि जेसीबी मशीनें लगाकर बुग्यालों में गढ्ढे खोदे गए हैं। वे बताते हैं यहां जिस आर्टिफिशियल लेक से पूरे जोशीमठ की प्यास बुझती है, हमने पर्यटन व्यवसाय के उद्देश्य से इस लेक में इको फ्रेंडली बोट चलाने की अनुमति मांगी थी, पर्यटन मंत्री तक से इसके लिए बात की थी, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई। उसी आर्टिफिशियल लेक पर प्लोटिंग स्टेज बनाया गया है। वे सवाल उठाते हैं कि इसके लिए किसने अनुमति दी।

पहाड़ प्रेमियों के बीच भी औली की शाही शादी पर काफी नाराज़गी है। देहरादून के गांधी पार्क में इसका विरोध भी दर्ज कराया गया। सामाजिक कार्यकर्ता दीपा कौशलम कहती हैं कि जिन लोगों को 200 करोड़ की शादी का निमंत्रण नहीं मिला, क्या वे लोग उत्तराखंड के जल-जंगल-ज़मीन, पहाड़, नदी, बुग्यालों की रक्षा के लिए जनगीत गाकर अपने जिंदा होने की गवाही दे सकते हैं। वे कहती हैं कि उत्तराखंड हमारा है, धनपशुओं की जागीर नहीं।

इस मामले पर पर्यावरणविद् अनिल जोशी कहते हैं कि इस तरह की चीजों को प्रमोट करने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। लेकिन औली इसके लिए सही जगह नहीं थी। उनका कहना है कि डेस्टिनेशन वेडिंग का कॉनसेप्ट अच्छा है। लेकिन जिस जगह इस तरह के आयोजन हों, उसके इको सिस्टम को देख लेना भी जरूरी है। औली इस लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है।

राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के तहत डेस्टिनेशन वेडिंग के ख्याल से उत्साहित मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के साथ दिक्कत ये है कि बिना किसी नीति निर्माण के, बिना विशेषज्ञों की सलाह लिए, बिना पर्यावरणीय नियमों को माने, सिर्फ ख्याल के आधार पर ही चीजें की जा रही हैं। यही स्थिति राज्य के जल पर्यटन को लेकर है। इसके लिए भी राज्य के पास कोई नीति नहीं है। जबकि पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने वाली सरकार को इन सबके लिए बकायदा नीति बनाकर कार्य करना चाहिए।

(सभी तस्वीरें विवेक पंवार जी ने उपलब्ध करायी हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest