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बिहारः खनन विभाग के अधिकारी बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कमाई पर देते हैं ज़ोर

पटना, भोजपुर और सारण जिले के 138 घाटों पर बालू के खनन का टेंडर बिहार सरकार ने ब्रॉडसन कंपनी को दिया था। इसके बदले वह हर दिन 3.38 करोड़ रुपए का चालान कटवाकर सरकार को राजस्व देती थी।
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चित्र साभारः दैनिक भास्कर

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन के दावों के बावजूद अवैध बालू खनन माफियाओं से उनके अफसरों के सांठगांठ के मामले सामने आते रहे हैं। अपने संबोधन में सीएम बिहार में सुशासन की दुहाई देते रहे हैं लेकिन उनके अधिकारियों की माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कमाई की खबरें पिछले कुछ महीनों से तेजी से सामने आई हैं। दैनिक भास्कर ने अवैध खनन को लेकर कई रिपोर्ट प्रकाशित की थी। एक रिपोर्ट में उसने एक वीडियो का हवाला देकर लिखा कि पुलिस की गाड़ी अवैध बालू से लदे ट्रक को भोजपुर में एस्कॉर्ट करती देखी गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक पटना, भोजपुर और सारण जिले के 138 घाटों पर बालू के खनन का टेंडर बिहार सरकार ने ब्रॉडसन कंपनी को दिया था। इसके बदले वह हर दिन 3.38 करोड़ रुपए का चालान कटवाकर सरकार को राजस्व देती थी। लेकिन, इन इलाकों में ब्रॉडसन कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों को पुलिस की सुरक्षा नहीं मिली। यहां हमेशा गोलीबारी और मारपीट की घटनाएं होती रहीं जिसकी वजह से करीब 7 साल लगातार काम करने के बाद 1 मई से ब्रॉडसन कंपनी ने सरेंडर कर दिया। जबकि सरकार ने उसके लीज को 6 महीने का एक्सटेंशन भी कर दिया था।

घाटों पर पूरी तरह से छोटे-छोटे माफियाओं के अलग-अलग कई गैंग एक्टिव हैं। जिन्हें लोकल थानों की पुलिस का पूरा संरक्षण मिला हुआ है। कानून के रखवालों की मिलीभगत की वजह से राजस्व का सीधा नुकसान बिहार सरकार को हो रहा है।

मीडिया में मामला सामने आने के बाद कार्रवाई

मीडिया में मामला सामने आने के बाद बिहार सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई तेज करते हुए पिछले कुछ महीनों में कई अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया और कई अधिकारियों को फील्ड से हटा कर उन पर कार्रवाई शुरु कर दी थी। खनन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई का एक के बाद एक मामला सामने आ रहा है। पटना में खनन विभाग के अधिकारी संजय कुमार के दो ठिकानों पर पटना आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने बुधवार को छापेेमारी की है। अधिकारी के ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति जुटाने के मामले में ये छापेमारी की जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इओयू की टीम ने आर्य कुमार रोड स्थित संजय कुमार के आवास और मेडिकल शॉप के साथ साथ खेतान मार्केट में खुशी लहंगा स्टोर पर भी छापा मारा है। ज्ञात हो कि इससे पहले भी कई अधिकारियों के कार्रवाई की जा चुकी है और छापेमारी के दौरान करोड़ों की अवैध संपत्ति का भी खुलासा हुआ है।

ज्ञात हो कि इस 16 सितंबर को बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने अवैध बालू खनन मामले में माफियाओं से सांठगांठ के आरोप में निलंबित तत्कालीन एसपी राकेश दुबे के राजधानी पटना और झारखंड में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। बालू के अवैध खनन मामले में राकेश दुबे समेत बिहार पुलिस के दो आईपीएस अधिकारियों पर माफिया से सांठगांठ का आरोप लगा था। आरोप को आधार बनाते हुए राज्य सरकार ने 14 जुलाई को दोनों ही अधिकारियों को एसपी के पद से सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त राकेश कुमार दुबे आरा और आईपीएस सुधीर कुमार पोरिका औरंगाबाद के एसपी थे।

दुबे के पटना के श्रीकृष्णापुरी के गांधी पार्क इलाके में हाउस नम्बर 119 और रूपसपुर थाना के अभियंता नगर के सुदामा पैलेस अपार्टमेंट के फ्लैट नम्बर 204 पर छापेमारी की गई थी। रूपसपुर स्थित फ्लैट कुछ ही दिन पहले उन्होंने खरीदी थी। वहीं झारखंड के देवघर के नजदीक जसीडीह और सिमरिया स्थित उनके पुश्तैनी घर पर छापेमारी की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक दुबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का मामला आर्थिक अपराध इकाई में दर्ज किया गया था। न्यायालय की ओर से इस छापेमारी से महज एक दिन पहले एसपी के ठिकानों पर जांच के लिए सर्च वारंट जारी किया गया था। इसके बाद आर्थिक अपराध इकाई की चार अलग-अलग टीम ने 16 सितंबर को एक साथ छापेमारी की थी। तलाशी के दौरान निवेश की गई राशि से संबंधित कई दस्तावेज जब्त किए गए थे।

गौरतलब है कि अवैध बालू खनन के मामले में आर्थिक अपराध इकाई के भोजपुर जिले के निलंबित तत्कालीन मोटरयान निरीक्षक विनोद कुमार, भोजपुर जिले के आरा के तत्कालीन निलंबित पुलिस उपाधीक्षक पंकज रावत और पाली के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक तनवीर अहमद के ठिकानों पर छापेमारी कर आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त कर चुकी है। विनोद कुमार के खिलाफ 7 सितंबर को आर्थिक अपराध इकाई में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में केस दर्ज किया गया था। इसी मामले में रोहतास जिला के डेहरी के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक संजय कुमार और औरंगाबाद के तत्कालीन सदर पुलिस उपाधीक्षक अनूप कुमार को भी निलंबित किया गया था। वहीं अवैध खनन के मामले में डेहरी ऑन सोन के तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार सिंह और खान एवं भूतत्व विभाग के पांच अधिकारियों को निलंबित किया गया था।

41 प्रशासनिक और पुलिस अफसरों पर की गई थी कार्रवाई

बिहार सरकार ने बालू के अवैध खनन मामले में 41 प्रशासनिक और पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करते हुए हटा दिया गया था और तीन दर्जन अधिकारियों को भी सस्पेंड किया गया था। इसके बाद 20 जुलाई को उनके संपत्ति की जांच शुरू की गई थी। इन अधिकारियों में दो एसपी, चार एसडीपीओ, आधा दर्जन खनन पदाधिकारी, पांच सीओ, तीन एमवीआइ, दो डीटीओ व एक सीओ शामिल थें। इसके अलावा 14 दारोगा व चार इंस्पेक्टर भी इस कार्रवाई की जद में थें। बता दें कि बिहार में अवैध बालू खनन के मामले में पहले बड़ी कार्रवाई हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक अपराध इकाई की टीम इन अधिकारियों के बैंक डिटेल और चल व अचल संपत्ति से संबंधित सारी जानकारियों को हासिल करने में लगी थी।

अधिक संख्या में दागी अफसरों के होने के कारण आर्थिक अपराध इकाई के सामने कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी। इसी कारण आर्थिक अपराध इकाई की ओर से राज्य पुलिस मुख्यालय से बड़ी संख्या में अफसरों की मांग की गई थी। उधर आर्थिक अपराध इकाई ने बालू कांड में कार्रवाई की जद में आए अफसरों की संपत्ति की जांच के लिए अलग-अलग अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी थी

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