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छत्तीसगढ़ : सिर्फ़ सरकार का नाम ही बदला है काम नहीं!

"छत्तीसगढ़ में कुछ भी नहीं बदला है जैसे पहले आदिवासियों पर अत्याचार होते रहते थे वैसा ही अब भी आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। ज़मीन लौटाने और किसानों के क़र्ज़ माफ़ करने से यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार अच्छा कर रही है।"
छत्तीसगढ़

बीपी मंडल जयंती के अवसर पर 25 अगस्त को ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दिल्ली के कॉन्शटीट्यूशन क्लब में ‘सामाजिक न्याय रत्न’ से सम्मानित किया गया। भूपेश बघेल ने कहा कि संविधान के द्वारा हमें बोलने, काम करने कि आजादी प्राप्त है, जो जिसका हक है उसको मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है, जहां पर हीरा, कोयला, सोना, डोलोमाइट, टीन, बक्साइट सब कुछ है (उन्होंने किसी एक और धातु का नाम लिया जो कि साफ सुनाई नहीं दिया और कहा कि वह दुनिया में सब जगह समाप्त हो गया है हमारे यहां बचा हुआ है)। छत्तीसगढ़ भौगोलिक दृष्टि से तमिलनाडु से बड़ा राज्य है जहां पर दो करोड़ 80 लाख की आबादी रहती है। छत्तीसगढ़ कम घनत्व वाला राज्य है जहां पर एक कि.मी. में 200 लोग रहते हैं,  लेकिन यहां पर 39.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जी रहे हैं, 37.6 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, 41.5 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया से पीड़ित हैं। भूपेश बघेल ने अपनी सरकार के कामों का बखान किया और बड़े गर्व से बताया कि शपथ ग्रहण लेने के कुछ घंटे बाद ही घोषणा पत्र के वादे को पूरा करते हुए किसानों के क़र्ज़ को माफ़ कर दिया, 1700 किसानों की 4200 एकड़ ज़मीन वापस कर दी गई। किसानों से धान 2500 रू. प्रति क्विंटल के दर से खरीदी, जिसके कारण लोगों तक पैसा पहुंचा, जिसके कारण सबसे ज्यादा भीड़ सर्राफा (सुनार) कि दुकानों पर हो रही है। उन्होंने कहा कि संविधान में जो व्यवस्था है, कानून है उसका हम पालन करेंगे। 

लेकिन भूपेश बघेल जी यह बताना भूल गए कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने यह भी वादा किया था कि सभी मुठभेड़ों की जांच कराएंगे, निर्दोष आदिवासियों को जेलों से रिहा करेंगे और छत्तीसगढ़ में फर्जी मुठभेड़ नहीं होने देंगे। बघेल ने जिस तरह मुख्यमंत्री बनते ही किसानों की क़र्ज़ माफ़ किया उसी तरह सरकार बनने के बाद फर्जी मुठभेड़ों, गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी रहा। इन मुठभेड़ों के लिए भूपेश बघेल ने पुलिस वालों को बधाई भी दी। सरकार बनने के डेढ़ महीने बाद ही 2 फरवरी को सुकमा जिले के गोलीगुड़ा गांव की कलमों देवे, सुकड़ी हुंगी और सुक्की जंगल में लकड़ी लेने जा रही थी इन महिलाओं के ऊपर संविधान और कानून का पालन करने वाली भूपेश बघेल के बहादुर सिपाहियों ने गोली चला दी जिससे सुक्की की मौत हो गई और कलमों देवी घायल हो गई। सुकमा के एसपी जीतेन्द्र शुक्ला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमें पुलिस ने एक महिला माओवादी को मार गिराने में सफलता पाई। इस झूठी मुठभेड़ कि कहानी छत्तीसगढ़ के बहादुर पत्रकारों ने उस गांव में जाकर खोल दी। फर्जी मुठभेड़ की कहानी बाहर आने के बाद प्रदेश सरकार के मंत्री कवासी लखमा ने स्वीकार किया कि पुलिस ने निर्दोषों पर गोली चलाई है। 
माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे हम जानना चाहते हैं कि आपने उन पुलिस अधिकारियों और एसपी पर क्या कार्रवाई की है? 

दंतेवाड़ा जिले के बारसूर बाजार में 1 सितम्बर को बैतुराम नेताम (17 साल), तुलसु तामो (19 साल) को किराने की दुकान से समान खरीदते समय गिरफ्तार कर लिया गया। समाचार में बताया गया है कि यह दोनों लड़के अपने गांव कोशलनार में यह समान ले जाकर बेचा करते थे लेकिन इन लड़कों को माओवादी सहयोगी होने के नाम पर गिरफ्तार कर लिया गया है।

1 सितम्बर को छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में बताया कि छत्तीसगढ़ में कुछ भी नहीं बदला है जैसे पहले आदिवासियों पर अत्याचार होते रहते थे वैसा ही अब भी आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। ज़मीन लौटाने और किसानों के क़र्ज़ माफ़ करने से यह नहीं कहा जा सकता है कि सरकार अच्छा कर रही है। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं ने पहले सुरक्षा बलों द्वारा बलात्कार की शिकायत कि थी पुलिस उनको जाकर मारती-पीटती है। पहले छत्तीसगढ़ सरकार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज करती थी अब यूएपीए कानून के तहत केस दर्ज कर रही है जिससे बेकसूर आदिवासी जल्दी जेल से बाहर न आ सके। नन्दराज कि जंगल की लड़ाई लड़ने वाला गुड्डी को मारा दिया गया। गुड्डी सरकारी योजना के तहत सड़क बनाने के काम में मजदूरी करता था और नन्दराज पहाड़ को बचाने कि लड़ाई लड़ रहा था। पुलिस ने काम करते समय गुड्डी को दौड़ा कर गोली मार दिया और मुठभेड़ में मओवादी के मारे जाने कि घोषणा कर दी। सोनी सोरी के साथ गुड्डी की वृद्ध मां (65 साल) एसपी से शिकायत करने गयी तो एसपी ने गुड्डी के 65 वर्षीय वृद्ध मां को गाली दी और कहा कि ‘‘अभी गुड्डी को मारे हैं आगे भीमा और गोदिया को तंदूरी जैसा सेंक सेंक कर मारूंगा’’। बेटे के गम में गुड्डी की मां कुछ दिन बाद यह दुनिया छोड़ कर चली गई। गुड्डी की हत्या होने के बाद नन्दराज पहाड़ कि लड़ाई और तेज हो गई इस लड़ाई को लड़ने वालों को माओवादी कहा जा रहा है। एसपी चैलेंज कर कहता है कि आपको पास तीन आप्शन है- आत्मसमर्पण करो, जेल जाओ या मरने के लिए तैयार रहो इसके अलावा और कोई चारा नहीं है।’’ 

मैं बघेल सरकार को याद दिलाना चाहूंगा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा था कि ‘‘नक्सलवादियों के सवालों का जवाब देना पड़ेगा जो लोग क्रांति के लिए निकले हुए हैं उनको डरा कर या लालच देकर  रोका नहीं जा सकता। जब ऊपर के लोग उनका अधिकार छीनते हैं तो गांव के आदिवासी अपना अधिकार पाने के लिए अपने प्राणों की आहूति देते हैं। बंदूकों से फैसले नहीं होते हैं।’’ बघेल सरकार ठीक इसके उल्टा कर रही है, वह बंदूक के बल पर आदिवासियों के जल-जंगल-ज़मीन को पूंजीपतियों को देना चाहती है। सोनी सोरी सवाल करती हैं कि पलनार में जिस 15 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार हुआ उसे पूछताछ के नाम पर इतना परेशान किया गया कि उसने आत्महत्या कर लिया इसी तरह  दंतेवाड़ा जिले के ककड़ीपार ग्राम की महिला ने आत्महत्या कर ली। महिला जंगल में जा रही थी तो पुलिस वालों ने पकड़ कर उसके साथ गलत काम किया। उस महिला ने यह बात अपनी सास को बताई जिससे उसके पति को भी पता चल गया। 

पति ने कहा कि ‘‘तुम बच्चे को लेकर क्यों नहीं गई तुम ही गलत हो’’ इसी आत्मग्लानी में उस औरत ने आत्महत्या कर ली। क्या बघेल सरकार बता सकती है कि इन हत्याओं का जिम्मेवार कौन है? 

बस्तर की हालत यह हो गई कि एक फोटोग्राफर ने इसकी तुलना सीरिया से की है। वह फोटोग्राफर लिखते हैं कि छोटी बच्ची जो कि बांस कोपल बेच रही थी उसका फोटो लेना चाहा तो बच्ची रोने लगी। बाद में पता चला कि वह बच्ची कैमरामैन को पुलिस वाला और कैमरे को बंदूक समझी। इसी तरह कि घटना सीरिया में भी हो चुकी थी जब एक फोटोग्राफर एक बच्ची का फोटो ले रहा था तो उस ने दोनों हाथ ऊपर खड़े कर लिए थे। 
कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के जुंगाड़ा गांव में 5 अगस्त को शिक्षक धनसिंग उसेंडी को थाने से घर आते समय रास्ते में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। ग्रामीणों ने शिक्षक के हत्यारे श्यमनाथ अचला का नाम पुलिस को बताया लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार करना दूर उससे पूछताछ भी नहीं की। 21 दिन बाद माओवादियों ने जन अदालत लगाकर श्यमनाथ अचला को दंडित किया और पत्र छोड़ गये जिसमें बताया गया था कि श्यमानथ अचला और उसका पिता सुनेहर जनविरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। जुंगाड़ा ग्राम के ग्रामीण जब सूचना देने कोयलीबेड़ थाना गये तो उनको थाने में बैठा लिया गया और कुछ को गांव से लाश लाने को कहा गया। ग्रामीणों को पूछताछ के नाम पर रात भर थाने में रखा गया तथा उनके खाने-पीने या सोने कि कोई व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं किया गया।

2018 में रमन सरकार द्वारा जारी किये गये कोरबा क्षेत्र के पातुरिया गिड़मूड़ी कोल ब्लॉक के लिए 1751.92 हेक्टेअर वन और निजी लोगो को भूमि  खनन के लिए अनुमति दे दी गई है। 44 प्रतिशत जंगल और खनिज सम्पदा का जिक्र भूपेश बघेल ने अपने वक्तव्य में किया था वह जंगल और खनिज गुड्डी जैसे आदिवसियों के संघर्ष से बचा हुआ है, उन्हीं आदिवासियों को बघेल सरकार मार रही है और संविधान बचाने कि बात कर रही है। क्या संविधान के 5वीं अनुसूची को भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में लागू किया है? 

भूपेश बघेल सरकार और ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ से सवाल है कि वह कौन से संविधान बचाने की बात कर रहे हैं, जिस संविधान को बचाने के नाम पर बेकसूर आदिवासियों का खून बहाया जा रहा है? बघेल सरकार आदिवासियों को मार कर किस सामाजिक न्याय की बात कर रही है?

छत्तीसगढ़ में कौन सा संविधान लागू हो रहा है कि ‘संविधान बचाओ संघर्ष समिति’ भूपेश बघेल को सम्मानित करती है? यहां आदिवासियों के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत  है लेकिन उन पर जुल्म करने के लिए पुलिस बल को 100 प्रतिशत छूट दे दी जाती है। 15 अगस्त को उस पुलिस अधिकारी को सम्मानित करते हैं जो कहता है की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ट्रक के नीचे कुचल देना चाहिए। सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर डालाने वाले पुलिस अधिकारी अंकित गर्ग को 2012 में राष्ट्रपति ने गैलेंट्री आव से सम्मानित किया था, 7 साल बाद भूपेश बघेल ने उसी परम्परा को जिन्दा रखते हुए इंदिरा कल्याण एलेसेला को सम्मानित किया है।

(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

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