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अग्निपथ प्रदर्शन: SFI और DYFI के संसद मार्च को पुलिस ने बलपूर्वक रोका, महिला कार्यकर्ताओं ने मारपीट और छेड़छाड़ का लगाया आरोप

" कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया गया है। महिला कार्यकर्ताओं के साथ पुरुष कांस्टेबलों द्वारा मारपीट की गई। कई कार्यकर्ताओं को चोटें आईं जबकि एक महिला कार्यकर्ता के कपड़े फट गए।"
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देशभर में अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच राजधानी में भी आंदोलन हो रहे हैं। इस बीच आज 19 जून रविवार को, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (SFI) और भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI) ने भी "अग्निपथ योजना" के विरोध में संसद चलो का आह्वान किया था। परन्तु दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग पर ही उन्हें रोक लिया और सभी को बलपूर्वक बसों में भरकर ले गए। वही दूसरी तरफ जंतर-मंतर पर कांग्रेस ने अपने केंद्रीय नेतृत्व के साथ सत्याग्रह किया।

पुलिस पर महिला कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट और छेड़छाड़ का आरोप

ये विरोध मार्च राज्यसभा सांसद और डीवाईएफआई के राष्टीय अध्यक्ष एआर रहीम, डीवाईएफआई महासचिव हिमगराज भट्टाचार्य, एसएफआई महासचिव मयूख विश्वास, डीवाईएफआई दिल्ली सचिव अमन सैनी, एसएफआई प्रदेश सचिव प्रीतिश मेनन और जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष के नेतृत्व में किया जा रहा रहा था। हालांकि पुलिस ने राज्यसभा सांसद सहित संसद की ओर मार्च कर रहे सभी कार्यकर्ताओं को घसीटते हुए हिरासत में लिया।

प्रीतिश मेनन ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हम लोग शांतिपूर्ण ढंग से मार्च निकाल रहे थे लेकिन अचानक पुलिस ने हमारा रास्ता संसद मार्ग पर रोक लिया लेकिन पुलिस यहीं नहीं रुकी उसने हमें बेहरमी से पीटा और घसीटकर बस में भर लिया।

आइशी घोष को भी पुलिस ने बर्बर तरीक़े से घसीटते हुए हिरासत में लिया। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, " कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया गया है। महिला कार्यकर्ताओं के साथ पुरुष कांस्टेबलों द्वारा मारपीट की गई। कई कार्यकर्ताओं को चोटें आईं जबकि एक महिला कार्यकर्ता के कपड़े फट गए।"

गार्गी कॉलेज की छात्रा अहाना ऐसी एक प्रदर्शनकारी थीं, जिन्हे पुलिस ने पीटा। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि वे कई प्रदर्शनों में आई हैं पुलिस मारती तो पहले भी थी परन्तु इस तरह का बर्बर हमला नहीं करती थी।

उन्होंने कहा, "जब मार्च शुरू किया तो महिला पुलिस बल था ही नहीं केवल एक महिला दिख रही थी। इसलिए शुरुआत में पुरुष पुलिसवालों ने ही हमें रोका और प्राइवेट पार्ट पर भी बुरे तरीके से छुआ। हालांकि बाद में महिला पुलिस बल भी आया लेकिन उनके बर्ताव में भी कोई बदलाव नहीं था वो भी हमारे कपड़े और शरीर को नोच रही थी। इसमें हमारे कपड़े तक फट गए और पुलिस बल ने लातों से हमारे पेट पर मारा था।

पुलिस ने पत्रकार और राज्यसभा सांसद के साथ की मारपीट!

आज प्रदर्शन के दौरान पुलिस इतनी हिंसक थी कि उसने पत्रकारों के साथ भी धक्का मुक्की और मारपीट की। केरल के स्थानीय टीवी चैनल केरलाई समाचार के दिल्ली में रिपोर्टर अश्विन जो आज के प्रदर्शन को कवर कर रहे थे, पुलिस ने उन्हें भी पीटा। अश्विन ने बताया कि वो अपना काम कर रहे थे उसी बीच उन्होंने देखा कि पुरुष पुलिस वाला महिला प्रदर्शनकारी के पेट पर अपने जूतों से लगातार मार रहा है। इसपर उन्होंने उस पुलिस वाले से पूछा आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? ये ग़लत है आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये सुनते ही पुलिस वाले ने उन्हें दो थप्पड़ मार दिए। अश्विन ने कहा, "मुझे तो मारा लेकिन पुलिस ने कई अन्य पत्रकारों के साथ भी धक्का मुक्की की है। हमने कई प्रदर्शन कवर किए हैं लेकिन पुलिस इतनी आक्रामक कभी नहीं थी।"

अमन सैनी ने कहा, "ये सरकार नौजवानों के हकों को छीन रही है और जब हम उसका विरोध कर रहे हैं तो हमें ही पीट रही है। हम कोई हिंसा नहीं कर रहे थे शांतिपूर्ण ढंग से अपनी माँगो को देश के प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने हमे किसी आतंकवादी की तरह मारा और घसीटते हुए हिरासत में लिया।

दोनों संगठनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी युवाओं की आवाज़ को दबाने की केंद्र सरकार की बर्बरता की निंदा की जानी चाहिए। क्रूरता इस कदर थी कि एक राज्यसभा सांसद को भी नहीं बख्शा गया।

उन्होंने आगे अपने बयान में कहा कि युवाओं की आवाज़ पर हो रहा दमन केंद्र सरकार के निरंकुश स्वभाव को दिखाता है। हम एसएफआई सहारनपुर, यूपी के सचिव सागर गौतम और एसएफआई असम के सचिव कॉमरेड निरंगकुश नाथ की गिरफ्तारी की निंदा करते हैं, जिन्हें तिनसुकिया में एक सम्मेलन से गिरफ्तार किया गया था।

इन सभी को अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की वजह से गिरफ़्तार किया गया है।

प्रदर्शनकारी संगठन SFI और DYFI के नेताओं ने कहा कि नई सेना भर्ती नीति देश के आकांक्षी युवाओं के लिए आपदा है। इस नीति के परिणामस्वरूप हर साल काम की तलाश में 35,000 से अधिक बेरोजगार भर्ती होंगे। जबकि 2021 तक भारतीय सेना में 104,653 कर्मियों की कमी थी। इसके अलावा अब केंद्र सरकार ने चार साल की अल्पावधि भर्ती के माध्यम से भर्ती करने का फैसला किया है, जिसके बाद तीन-चौथाई सैनिक बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यह नीति हमारे राष्ट्र की संप्रभुता के लिए सीधा खतरा है। केंद्र सरकार के नवउदारवादी एजेंडे का उद्देश्य देश में हर नौकरी का अनुबंध करना है। सैन्य भर्ती के लिए ताजा खतरा देश की सार्वजनिक संपत्ति को कम करने और उसका निजीकरण करने का एक और प्रयास है।

SFI और DYFI ने कहा, "वो सरकार की इस योजना का विरोध करना जारी रखेंगे। साथ ही उन्होंने छात्रों, युवाओं और सभी प्रगतिशील संगठनों से पुलिस की बर्बरता और हास्यास्पद अग्निपथ योजना का विरोध करने का आह्वान किया।

अग्निपथ योजना के विरोध में कांग्रेस का दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह

कांग्रेस के सांसदों और नेताओं ने सेना भर्ती के लिए केंद्र की नई अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे युवाओं के प्रति एकजुटता दिखाते हुए रविवार को जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ किया।

इस सत्याग्रह में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी नेताओं-जयराम रमेश, राजीव शुक्ला, सचिन पायलट, सलमान खुर्शीद और अलका लांबा ने ‘सत्याग्रह’ में हिस्सा लिया। प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार गरीबों और युवाओं के लिए नहीं, बल्कि बड़े उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है।

पायलट ने ‘सत्याग्रह’ से इतर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘योजना को वापस लिया जाना चाहिए।’’ उन्होंने प्रदर्शन कर रहे युवकों से हिंसा का सहारा नहीं लेने की अपील करते हुए कहा, ‘‘योजना का विरोध करना उनका अधिकार है लेकिन विरोध शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। हिंसा नहीं होनी चाहिए।’’

धरना स्थल पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की भारी तैनाती देखी गई। जंतर-मंतर के प्रवेश और निकास द्वार को बंद कर दिया गया है।

सनद रहे देश के कई हिस्सों में युवा विवादास्पद रक्षा भर्ती योजना का विरोध कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में, विभिन्न शहरों और कस्बों से प्रदर्शनकारियों द्वारा रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ किए जाने, रेलगाड़ियों में आग लगाने और सड़कों तथा रेलवे पटरियों को अवरुद्ध करने की घटनाएं सामने आई हैं।

‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ गुस्से को देखते हुए सरकार ने इस योजना में कई बदलाव किए है। सरकार ने शनिवार को पैरामिल्ट्री फ़ोर्स में इन सेवानिवृत्त अग्निवीरों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का एलान किया है। देशभर में तेज़ होते प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्रालय ने ट्वीट करते हुए यह बताया कि मंत्रालय ने CAPFs और असम राइफल्स में होने वाली भर्तियों में अग्निपथ योजना के अंतर्गत 4 साल पूरा करने वाले अग्निवीरों के लिए 10% रिक्तियों को आरक्षित करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मंत्रालय ने आगे कहा कि उन्होंने CAPFs और असम राइफल्स में भर्ती के लिए अग्निवीरों को निर्धारित अधिकतम प्रवेश आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट देने का निर्णय किया है और अग्निपथ योजना के पहले बैच के लिए यह छूट 5 वर्ष होगी।

जबकि इससे पहले गुरुवार को वर्ष 2022 के लिए इस प्रक्रिया के तहत भर्ती की उम्र पूर्व में घोषित 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है। सरकार ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि सभी नई भर्तियों के लिए आयु साढ़े 17 से 21 वर्ष के बीच होनी चाहिए। हालांकि चार सालों से सेना भर्ती का इंतज़ार करने वालों के लिए ये सुधार भी नाकाफ़ी रहा है। देशभर में छात्र और युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगह इन प्रदर्शनों ने उग्र रूप भी ले लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि ‘अग्निपथ’ योजना की वापसी से कम उन्हें कुछ भी मंज़ूर नहीं है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

 

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