सत्ता को चुनौती:'लड़कियां बिकाऊ नहीं हैं, आप अपने पावर से सब कुछ नहीं ख़रीद सकते'
कभी रेसिंग ट्रैक पर दौड़ती हरियाणा की एथलीट और जूनियर कोच, जिन्होंने हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया है आज सड़कों पर न्याय के लिए दर-बदर भटक रही हैं। दिन तो बीत रहे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी रुक सी गई है। उनकी पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ लगभग तबाह हो चुकी है और वो रोज़ खुद को टूटा हुआ महसूस करती हैं। उनका कहना है कि उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं और उनका पूरा करियर दांव पर लगा है।
न्यूज़क्लिक से खास बातचीत में पीड़ित एथलीट और जूनियर कोच ने अपनी जिंदगी और संघर्ष को लेकर कई बातें कहीं, जो शायद हमें बार-बार ये सोचने पर मजबूर करता है कि क्या वाकई गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना इस देश में अब मुश्किल हो गया है। पीड़ित कोच शनिवार, 27 मई तो दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों के आंदोलन को समर्थन देने आईं थी। यहीं उन्होंने न्यूज़क्लिक से यह ख़ास बातचीत की।
वे डबडबाई आँखों से कहती हैं कि शोषण की पुलिस शिकायत दर्ज करवाने से लेकर अब तक उन्हें हर रोज़ ये एहसास दिलाया जाता है कि उनका बहादुरी भरा कदम उन्हें और उनके करियर को खत्म कर देगा। वो न सुकून से खा पाती हैं, न चैन से सो पाती है और ट्रेनिंग तो उनकी बंद ही हो गई है, उन्हें स्टेडियम तक में नहीं घुसने नहीं दिया जाता।
चरित्र हनन की हो रही है कोशिश
वे बताती हैं कि उनकी जिंदगी कभी आसान नहीं रही, बहुत मेहनत की है उन्होंने खेल में अपना करियर बनाने के लिए लेकिन अब उनका संघर्ष इस कदर मुश्किल हो गया है कि उनका खुलकर सांस लेना भी लगभग नामुमकिन सा लगता है। घर पर हर समय पुलिस की मौजूदगी, चौबीसों घंटे कैमरे की निगरानी और मकान-मालिक की किच-किच, ऐसा लगता है उन्होंने संदीप सिंह पर आरोप लगाकर कोई गुनाह कर दिया है। उनके मुताबिक शासन-प्रशासन उन्हें ही आरोपी बनाकर कठघरे में खड़ा करना चाहता है। हर समय उनके चरित्र हनन की कोशिश की जा रही है। कानून के खिलाफ उनकी पर्सनल आइडेंटिटी तक का खुलासा कर दिया गया है, जिसकी वजह से उनका कहीं भी आना-जाना दूभर हो चुका है। लोगों की आंखें उन्हें घूरती हैं, हर जगह फुसफुसाहट शुरू हो जाती है, जिससे डील करना आसान नहीं है।
एथलीट और जूनियर कोच ने इस संबंध में 31 दिसंबर को संदीप सिंह के खिलाफ चंडीगढ़ के सेक्टर 26 पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 354 (लज्जा भंग करना या छेड़छाड़ करना), 354ए (किसी को शारीरिक संबंध के लिए कहना), 354 बी (कपड़े फाड़ना या निर्वस्त्र करने की कोशिश करना), 342 (किसी को गलत तरीके से कब्जे में रखना) और 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज करवाया था। लेकिन अब लगभग पांच महीने बीतने को हैं और इस मामले में अभी तक चंडीगढ़ पुलिस चार्जशीट तक नहीं दाखिल कर पाई है।
पीड़िता बताती हैं कि उन्हें केस के संबंध में कोई खास जानकारी नहीं है, उनके बार-बार पूछने पर भी उन्हें पुलिस द्वारा कोई सटीक जवाब नहीं मिलता। उन्हें सिर्फ इतना पता है कि उनके फोन का डेटा रिकवर कर लिया गया है और संदीप सिंह ने पोलीग्राफी टेस्ट के लिए दो महीने बाद मना कर दिया, जो कि अदालत की समय की बर्बादी दी। पीड़िता के मुताबिक अगर संदीप सिंह ने कुछ गलत नहीं किया तो उसे डर किस बात का है। वो खुद इस टेस्ट के लिए पहले दिन से गुहार लगा रही हैं।
क़ानून पर भरोसा, न्यायपालिका का सहारा
पीड़िता कानून में विश्वास जताते हुए कहती हैं कि उन्हें सिर्फ न्यायपालिका का ही सहारा है। यहां कानून सबके लिए बराबर हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनके सच को न्याय जरूर मिलेगा। हालांकि वो ये भी कहती हैं कि चंडीगढ़ पुलिस प्रशासन पर कहीं न कहीं बीजेपी का प्रेशर है, जिसके चलते जांच धीमी हो रही है और चार्जशीट दाखिल नहीं हो पा रही।
संदीप सिंह को सत्ता से मिल रहे समर्थन पर एथलीट और जूनियर कोच खुद को मजबूत करते हुए साफ शब्दों में कहती हैं कि जो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं, उन्हें समझना चाहिए कि वो हमेशा इस पद पर नहीं रहेंगे। जीवन में इंसानियत सबसे ज्यादा जरूरी है, फिर आप कहीं भी हों। एक गलत इंसान का साथ देकर आप खुद भी गलत हो जाते हैं और आज सीएम साहब वही कर रहे हैं। वो पहले दिन से सार्वजनिक तौर पर संदीप सिंह का साथ दे रहे है और दूसरी तरफ हरियाणा डीजीपी और पुलिस प्रशासन सब मिलकर एक लड़की जिसने गलत के खिलाफ आवाज उठाई है उसका जीना दूभर कर रखा है।
पीड़ित को और प्रताड़ित करने की कोशिश
वे कहती हैं कि उनके गांव, स्कूल, कॉलेज, जॉब और मकान मालिक समेत तमाम लोगों से उनके चरित्र को लेकर तमाम तरह की जांच की गई। कई प्रेस कांफ्रेंस हुईं, जिससे उनकी छवि को खराब करने की कोशिश हुई लेकिन इन सब के बावजूद हरियाणा सरकार की गठित एसआईटी उनके खिलाफ कुछ साबित नहीं कर पाई।
पीड़िता को मिलने वाली धमकियों को लेकर वो बताती हैं, “मुझे अलग-अलग लोगों से कई तरह की धमकियां मिलती हैं, मुझ पर कुछ दिनों पहले जानलेवा हमला भी हुआ था, जिसकी कोई जानकारी पुलिस ने अभी तक साझा नहीं की। इसके अलावा मेरी सुरक्षा में लगी पुलिस मेरे साथ कहीं नहीं जाती, पूरे दिन मेरे घर पर रहती सोती रहती है। यहां तक की मेेरी पर्सनल आइडेंटिटी तक चंडीगढ़ प्रेस क्लब में सार्वजनिक करवा दी गई, जिससे मुझे और खतरा बढ़ गया है।
लड़कियां बिकाऊ नहीं हैं, अपने लिए आवाज़ उठाइए
टूटने के बाद भी अपनी हिम्मत जुटाते हुए महिला एथलीट कहती हैं कि लड़कियां बिकाऊ नहीं हैं, आप अपने पावर से सब कुछ नहीं खरीद सकते। वो कहती हैं कि उन्हें पैसों के लालच से लेकर मरवाने तक की धमकी दी गई है। लेकिन ये सब उनकी लड़ाई नहीं रोक सकते, वो जिस रास्ते पर निकल चुकी हैं वो कठिन जरूर है, लेकिन सच्चा भी है और अंत में सच्चाई की ही जीत होती है। वो आज वो लड़की नहीं रहीं जो कभी हुआ करती थीं। इस दौरान उन्होंने इतना कुछ बुरा देखा कि अब उन्हें लगता है कि उनके साथ इससे ज्यादा बुरा नहीं हो सकता। और इसलिए अब वो हालात से लड़ना सीख रही हैं, अपनी हिम्मत और उम्मीद बटोर कर मजबूत बन रही हैं।
पीड़िता देश की सभी लड़कियों को ये संदेश भी देती हैं कि अपनी आवाज़ खुद उठाओ, गलत के खिलाफ चुप मत रहो फिर सामने कोई भी हो। क्योंकि एक लड़की का अपने लिए खड़ा होना बहुत जरूरी है। आप टूट जरूर सकते हैं, लेकिन आपकी एक हिम्मत से कई और लोगों को हिम्मत मिल सकती है। और शायद कुछ लोग जिन्हें लड़कियों की ना समझ नहीं आती उन में थोड़ा डर पैदा हो सकता है, क्योंकि आपकी चुप्पी कई और जिंदगियां भी बर्बाद कर सकती है।
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