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हरियाणा: मुक़दमे के 100 दिन बाद भी मंत्री संदीप सिंह आज़ाद, न्याय संघर्ष समिति का धरना- उपवास जारी

"मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती धाराओं में एफ़आईआर दर्ज हुए 104 दिन हो गए हैं लेकिन अब तक चंडीगढ़ पुलिस द्वारा चालान पेश नहीं किया गया है।"
sandeep singh

हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह पर यौन शोषण मामले में मुकदमा दर्ज हुए 100 दिन से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक न तो उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया है और न ही उनकी गिरफ्तारी हुई है। ऐसे में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य संगठन न्याय संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करवा रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार, 12 अप्रैल को झज्जर और हिसार सहित कई जिलों में धरना प्रदर्शन और सामूहिक उपवास के कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें मुख्य तौर से जनवादी महिला समिति और न्याय संघर्ष समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया।

इस प्रदर्शन में पीड़िता के पिता भी शामिल हुए और उन्होंने हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर आरोपी मंत्री को बचाने का आरोप लगाते हुए अपनी बेटी के लिए इंसाफ की मांग की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब उन्हें प्रदेश सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है, वो केवल न्यायपालिका से इसकी आस लगाकर बैठे हैं।

धरना प्रदर्शन और सामूहिक उपवास

सामूहिक उपवास कार्यक्रम में शामिल जनवादी महिला समिति की जिला अध्यक्ष शकुंतला जाखड़ ने मीडिया को बताया कि मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज हुए 104 दिन हो गए हैं लेकिन अब तक चंडीगढ़ पुलिस द्वारा चालान पेश नहीं किया गया है। वहीं हरियाणा सरकार संदीप सिंह को बचाने में लगी है। और खुद संदीप सिंह बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं।

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शकुंतला के मुताबिक शहीदों की प्रतीमा के आगे अनशन का मुख्य उद्देश्य संविधान के मूल्यों को बचाना और पीड़िता के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। क्योंकि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो बेटियां कैसे सुरक्षित रह सकती हैं। सरकार की जिम्मेदारी बेटियों के सुरक्षा की है, लेकिन यहां उसका उल्टा ही नज़र आ रहा है। सरकार ने आरोपी मंत्री को न तो मंत्रिमंडल से हटाया है और न ही गिरफ्तारी की है। इस पूरे मामले में सरकार मंत्री संदीप सिंह को बचाने के लिए हर ओछा हथकंडा अपना रही है। इसलिए न्याय संघर्ष समिति लगातार न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।

बता दें कि संदीप सिंह के खिलाफ यौन शोषण का मामला बीते साल 26 दिसंबर को सुर्खियों में आया था। जिसके बाद 31 दिसंबर को चंडीगढ़ के सेक्टर 26 पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 354 (लज्जा भंग करना या छेड़छाड़ करना), 354ए (किसी को शारीरिक संबंध के लिए कहना), 354 बी (कपड़े फाड़ना या निर्रवस्त्र करने की कोशिश करना), 342 (किसी को गलत तरीके से कब्जे में रखना) और 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज कर लिया था। हालांकि अब तक इस मामले में लगभग 105 दिन का समय बीत गया है, लेकिन कोई खास एक्शन सामने नहीं आया है। संदीप सिंह अभी भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं और उन्हें सरकार का संरक्षण मिलता नज़र आ रहा है।

मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी, गिरफ्तारी और ओलंपिक एसोसिएशन अध्यक्ष पद से हटाने की मांग

वहीं इस मामले में संदीप सिंह की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी और गिरफ्तारी समेत हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों ने एकजुट होकर जूनियर महिला कोच के लिए न्याय को सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक संघर्ष समिति बनाई है, जिसके बैनर तले प्रदेशभर में तमाम रोष प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। एडवा बीते लंबे समय से हरियाणा में संदीप सिंह के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चला रही थी, जिसका ज्ञापन बीते 27 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली में सौंपा गया था।

गौरतलब है कि न्यायिक संघर्ष समिति ने इस मामले को लगातार जिंदा रखने और सरकार की आंखें खोलने की कोशिश कर रही है, जिसमें उन्हें स्थानीय लोगों के साथ ही खाप पंचायतों का भी साथ मिला है। अभी तक इस मामले में बड़े प्रदर्शन देखे गए हैं, साथ ही खाप पंचायतों ने भी कैथल समेत हरियाणा के अन्य जिलों में मंत्री संदीप सिंह की एंट्री बैन कर रखी है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को भी इस पूरे विवाद में विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि अभी लंबा संघर्ष बाकी है।

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