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हिमाचल में अंधविश्वास की आड़ में बुजुर्ग महिला से मार-पीट, भीड़ ने पोती कालिख

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 70 साल की बुजुर्ग विधवा महिला को देवता और जादू-टोने के नाम पर ना सिर्फ बुरी तरह पीटा गया बल्कि बाल काटकर, मुंह पर कालिख पोतकर पूरे गांव में घुमाया गया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर फोटो साभार:: Routers

अंधविश्वास के नाम पर आज भी देश में महिलाओं पर अत्याचार जारी है। ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का है। जहां एक 70 साल की बुजुर्ग विधवा महिला को देवता और जादू-टोने के नाम पर ना सिर्फ बुरी तरह पीटा गया बल्कि बाल काटकर, मुंह पर कालिख पोतकर पूरे गांव में घुमाया गया। हैरानी की बात यह है कि मंडी हिमाचल का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यहीं के हैं। इन सब के बावजूद वृद्ध महिला को इस क्रूरता से कोई नहीं बचा सका और प्रशासन की नींद भी इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद ही टूटी।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल बीते बुधवार मामला 6 नवंबर का है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के मुताबिक कुछ लोग एक बुजुर्ग महिला को अपमानित और प्रताड़ित करते दिखाई दे रहे हैंं। महिला बार-बार उनके सामने गिड़गिड़ा रही है मगर भीड़ में से कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। वीडियो में हैरान करने वाली बात ये है कि एक ओर जहां लोग महिला को पीट रहे थे, थप्पड़ मार रहे थे और सड़कों पर घसीट रहे थे, वहीं दूसरी ओर ढोल-नगाडों और घंटियों की आवाज़ के साथ एक स्थानीय देवता की जय-जयकार भी कर रहे थे।

मामले को तूल पकड़ता देख मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने घटना का संज्ञान लेते हुए मंडी के एसपी गुरदेव चंद शर्मा को दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त क़दम उठाने के निर्देश दिए। तब जाकर प्रशासन ने इसकी सुध ली और नौ नवंबर को सरकाघाट थाने में एफ़आईआर दर्ज कर 21 लोगों को गिरफ़्तार किया है। जिनमें से सात महिलाएं हैं पुलिस ने सभी पर आईपीसी की धारा 147, 149, 452, 435, 355 और 427 के तहत मामला दर्ज किया है।

मंडी के एसपी गुरदेव चंद शर्मा ने मीडिया को बताया, "मामले में एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है। वायरल वीडियो पुलिस के पास है और हम आरोपियों की पहचान कर रहे हैं और उसके बाद क़ानूनन कार्रवाई करेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि यह घटना स्थानीय देवता के गूर के इशारे पर हुई थी।"
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स्थानीय पत्रकार अभिषेक सूध ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, यहां बहुसंख्यक आबादी के लोग जो स्थानीय देवता के भक्त कहे जा रहे हैं, उन लोगों ने अफ़वाहें फैलाईं की बुज़ुर्ग महिला काला जादू करती है। जिसके बाद पूरी घटना ने एक विकराल रूप ले लिया।

अभिषेक का आगे कहना है कि महिला ने इस संबंध में कुछ दिन पहले ही स्थानीय ग्राम पंचायत में कुछ लोगों के खिलाफ शिकायत दी थी, जो उसे अक्सर परेशान किया करते थे। लेकिन वहां महिला के शिकायत पत्र को ही फाड़ दिया गया था। जिसके बाद शिकायत देने से भड़के लोगों ने महिला को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था।

इलाके में धारा 144 लागू

बता दें कि घटना का मुख्य अभियुक्त स्थानीय देवता का पुजारी है। इसे मानने वाले लोगों की ओर से हंगामे की आशंका को देखते हुए ज़िला प्रशासन ने इलाक़े में धारा 144 लगा दी है।

सरकाघाट तहसील के समाहल गांव के कुछ स्थानीय निवासियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पीड़ित महिला के पति फौज में थे और रिटायर होने के कुछ ही समय बाद 37 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। करीब 25 साल की उम्र में महिला विधवा हो गई थी, जिसके बाद से वह पूजा-पाठ के प्रति समर्पित हैं। फिलहाल परिवार के नाम पर महिला की एक बेटी है जिसकी शादी हो चुकी है। महिला अपने घर में अकेली रह रही थी।

कुछ लोगों का कहना है कि गांव के कई प्रभावशाली लोगों की नज़र महिला की संपत्ति पर है। इससे पहले भी महिला के घर को जलाने की कोशिश की गई थी। इस मामले की जानकारी भी पुलिस को पहले से ही थी। कई बार कुछ लोगों ने विधवा को बदनाम करने की भी कोशिश की है मगर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

स्थानीय पत्रकार पूनम मंढोतरा का कहना है कि इस इलाक़े में जादू-टोने की घटनाओं के बारे में कभी सुनने को नहीं मिला। देव संस्कृति का प्रभाव भी खास नहीं है। लोग शिक्षित हैं और ज्यादातर सरकारी नौकरियों में हैं। ऐसे में इस तरह की घटना को अंजाम देने के पीछे कुछ और कारण भी हो सकता है।

पूनम आगे बताती हैं कि लोग महिला को पहले से परेशान कर रहे थे। जाहिर है उन्हें अकेला देखकर उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश है। हो सकता है उनकी संपत्ति का मामला हो या कोई निजी रंजीश या अकेली औरत समझ कर लोग उनको परेशान कर रहे हों।

बता दें कि मंडी के डिप्टी कमिश्नर ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर ने मीडिया से कहा है कि देव समाज इस घटना में किसी देवता का कोई प्रभाव नहीं मानता। इसलिए अब हम इस घटना के कारण पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

नहीं खत्म हो रही महिलाओं को प्रताड़ित करने की प्रथा

गौरतलब है कि हिमाचल के कई जिलों में देव संस्कृति का असर हैष कुल्लू, चंबा, सिरमौर और शिमला जैसे इलाकों में इसका बहुत प्रभाव है। लेकिन हाल के दिनों में तांत्रिक क्रियाओं और जादू-टोने की घटनाएं सामने नहीं आईं। ऐसे में इस घटना पर यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या कुछ लोग अंधविश्वास के नाम पर इस वाहियात कृत्य को आस्था और देव संस्कृति का रंग देकर बचने की कोशिश कर रहे हैं या आज भी हमारे समाज में विधवा महिलाओं को जानबूझ कर प्रताड़ित करने की प्रथा खत्म नहीं हो पा रही है।

अंधविश्वास की आड़ में औरतों पर जुल्म करना, उनकी हत्या कर देना, उनका बलात्कार करना, घर से निकाल देना, मार-पीट करना कोई नई बात नहीं है। आधुनिकीकरण के इस दौर में शहरों में भले ही ऐसे मामले कम दिखाई दें लेकिन गांवों में अभी भी इस तरह की घटनाएं आम हैं।

महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कई सालों से कार्यरथ आस्था श्रीवास्तव कहती हैं कि गांवों में अक्सर अकेली औरत से जुड़ी कई अफवाह देखने को मिलती हैं। आम तौर पर विधवाएं, बूढ़ी औरतें, वो औरतें जिनका कोई बच्चा ना हुआ हो, इस तरह की औरतों को टार्गेट किया जाता है क्योंकि इनमें किसी ना किसी तरह की कमी निकलना आसान हो जाता है। कई औरतों को डायन कहकर इसलिए मार दिया गया क्योंकि उनका खुद का कोई बच्चा नहीं था और उस गांव से कोई छोटा बच्चा गायब हो गया था। हैरानी होती है कि आज के हमारे पढ़े-लिखे समाज में भी ये घटनाएं होती हैं।

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