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रांची : रिम्स में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म की कोशिश, आरोपी सीनियर डॉक्टर फरार

अस्पताल के कोरोना वार्ड में तैनात जूनियर रेजिडेंट महिला डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 511 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल आरोपी पुलिस की गिरफ्त से फरार है।
दुष्कर्म की कोशिश
'प्रतीकात्मक तस्वीर' फोटो साभार: BuzzFeed

ये विडंबना ही है कि देश में एक ओर कोरोना संक्रमण मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में भी भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। ताजा मामला झारखंड की राजधानी रांची में स्थित प्रसिद्ध राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी रिम्स का है। यहां अस्पताल के ही एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर पर छेड़खानी और दुष्कर्म के प्रयास के आरोप लगाए हैं। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन आरोपी डॉक्टर फिलहाल फरार है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक घटना बुधवार रात 27-28 मई की है। पीड़िता रिम्स के ही एक विभाग से पीजी की पढ़ाई कर रही है और जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पद पर कार्यरत है। जबकि आरोपी जिसकी पहचान अरूण मौर्य बताई जा रही है, उसी अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट से संबंधित है।

लाइव हिंदुस्तान में छपी खबर के अनुसार वारदात वाली रात पीड़िता और आरोपी दोनों की ड्यूटी रिम्स के कोरोना वार्ड में थी। आरोपी रोज़ ड्यूटी के बाद अपने घर चला जाता था लेकिन उस रात उसने देर होने का बहाना करके घर जाने से मना कर दिया और पीड़िता के साथ उसके कमरे में रुकने की बात की। लोकिन पीड़िता ने इस बात से इंकार कर दिया और सीनियर रेजीडेंट के लिए अस्पताल के ही पेईंग वार्ड में एक कमरा बुक कर दिया।

इसके बाद सीनियर रेजीडेंट बुक कराए गए कमरे में चला गया और वहां से उसने फोन कर के जूनियर डॉक्टर को एसी नहीं चलने के बहाने से अपने रूम में बुलाया। सीनियर का कहा मानते हुए जूनियर डॉक्टर जब उसके कमरे में एसी चेक करने गई तभी सीनियर रेजीडेंट ने कमरा अंदर से बंद कर दिया और उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास करने लगा। इसके बाद वह बड़ी मुश्किल से शोर मचाते हुए धक्का देकर कमरे से बाहर निकल कर भाग गई।

मामले ने गुरुवार, 28 मई को तूल पकड़ा जब पीड़िता ने इसकी लिखित शिकायत रिम्स निदेशक को दी और आरोपी सीनियर डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने महिला डॉक्टर की शिकायत को बरियातू पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी को भेज दी। जिसका संज्ञान लेते हुए शुक्रवार, 29 मई को पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज दी।

जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन

घटना की जानकारी मिलते ही जूनियर रेजीडेंट डॉक्टरों के एक ग्रुप ने शुक्रवार को बरियातू पुलिस थाने पहुंचकर आरोपी डॉक्टर को तुरंत गिरफ्तार करने और उसका मेडिकल लाइसेंस रद्द करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से कुछ ने आरोप लगाया कि पुलिस इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है क्योंकि आरोपी शहर के जाने-माने नेफ्रोलॉजिस्ट का रिश्तेदार है।

एक जूनियर डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ये हैरानी की बात है कि पुलिस अभी तक आरोपी को पकड़ ही नहीं पाई है, जबकि इस वक्त कोरोना लॉकडाउन के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है बावजूद इसके आरोपी डॉक्टर फरार है। क्या ये सब इतना आसान है? नहीं, आम आदमी को तो एक एरिया से दूसरे एरिया में जाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, लेकिन आरोपी डॉक्टर खास आदमी का दामाद है, उसे कैसे दिक्कत हो सकती है। इसलिए हम लोग आरोपी डॉक्टर की जल्द गिरफ्तारी के लिए बरियातू थाने पहुंचे थे।

क्या कहना है अस्पताल प्रबंधन का?

रिम्स के निदेशक डीके सिंह ने कहा, 'यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और प्रबंधन आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगा। इसके अलावा अगर महिला डॉक्टर आंतरिक जांच के लिए कहती हैं, तो हम अपने स्तर पर मामले की जांच करने के लिए इस केस को रिम्स की महिला सेल को सौंप देंगे।'

पुलिस क्या कह रही है?

बरियातू थाने के थाना प्रभारी सपन मेहता ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 511 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने फरार आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी के लिए कई जगह पर छापेमारी भी की। लेकिन अभी उसका कोई पता नहीं चला है।

उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी ने ये भी कहा कि हमने रिम्स प्रबंधन से कहा है कि क्वारंटीन पीरियड खत्म होने के बाद पीड़ित लड़की का कोरोना टेस्ट कराएं, जिससे की हम उनका बयान दर्ज करने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उन्हें पेश कर सकें।

ये घटनाएं पितृसत्ता की देन है, जो अब नार्मल बन गई हैं!

स्थानीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता रूचिका सिंह कहती हैं कि ये एक समाज के तौर पर हमारे लिए शर्म की बात है की आज महिला सशक्तिकरण के दौर में भी अस्पताल जैसी सुरक्षित जगहों पर भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।

वे कहती हैं, “पुरुष प्रधान समाज की सोच और पितृसत्ता की देन है। जहां पुरुष अक्सर महिला को अपने बराबर होने के बावजूद कमतर समझता है। हमने कुछ दिन पहले कुछ ऐसी ही घटनाएं दिल्ली एम्स में सुनी थीं। कई और अस्पतालों से छिट-पुट मामले सामने आए लेकिन इन सब पर कार्रवाई क्या हुई, पता नहीं। रोज़ाना महिलाओं के खिलाफ हिंसा की सुर्खियां बनती हैं लेकिन उसके बाद क्या होता है, सब भूल जाते हैं जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए। पुलिस-प्रशासन सोता रहता है, जब तक महिला पूरी तरह बर्बाद न हो जाए। हमारे समाज ने इन घटनाओं की आदत डाल ली है, हम सुनते हैं और सुनकर भूल भी जाते हैं। जैसे सब नार्मल है, ये नार्मल ही अब्नार्मल है। इसकी एक मुख्य वजह आपराधिक न्याय प्रणाली में खामियां भी हैं।

सज़ा दर बेहद कम है!

बता दें कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक साल 2018 में देशभर में बलात्कार के 33 हजार 356 केस दर्ज किए गए। यानी रोजाना करीब 90 रेप हुए। जबकि बलात्कार के 1,56,327 मामलों में मुकदमे की सुनवाई हुई। इनमें से 17,313 मामलों में सुनवाई पूरी हुई और सिर्फ 4,708 मामलों में दोषियों को सजा हुई। 11,133 मामलों में आरोपी बरी किए गए जबकि 1,472 मामलों में आरोपियों को आरोपमुक्त किया गया। साल के अंत तक देश की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 38 हजार 342 मामले पेंडिंग थे। तो वहीं इनमें से 17 हजार 313 मामलों का ही ट्रायल पूरा हो सका, जबकि सिर्फ 4 हजार 708 मामलों में ही सज़ा सुनाई गई। यानी सज़ा दर मात्र 27.2 प्रतिशत ही रही।

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