मुसलमानों का घटता प्रतिनिधित्व भारतीय लोकतंत्र के लिए ख़तरा क्यों
जेडीयू के भाजपाईकरण का एक संकेत ये है कि आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार बिहार विधानसभा में एक भी मुसलमान विधायक मंत्रिमंडल में शामिल नहीं है। देश के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक परिवेश के लिए मुसलमानों के सिकुड़ते प्रतिनिधित्व के क्या मायने हैं? इतिहास के पन्ने के इस अंक में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय इस सवाल और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर रौशनी डाल रहे हैं।
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