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साउथ अफ्रीका के मज़दूर संगठनों ने सरकारी निवेश सम्मेलन को धोखा बताया

मज़दूर संगठनों के मुताबिक़, इन सम्मेलनों से आर्थिक सुधार की झूठी आशाएं पैदा की जाती हैं। संगठनों ने सरकार से कहा कि वे इन सम्मेलनों की जगह कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना करें। साथ ही पूंजी नियंत्रण और सार्वजनिक-सामाजिक निवेश को बढ़ाने जैसे ठोस कदम उठाए।
South African Unions Call

दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक-आर्थिक समता लाने की कोशिशों में लगे मज़दूर संगठनों और दूसरे समूहों ने 7 नवंबर को जोहेंसबर्ग यूनिवर्सिटी के सोवेटो कैंपस में हुए ''दूसरे निवेश सम्मेलन'' स्थल तक जुलूस निकाला। उन्होंने सम्मलेन को धोखा करार दिया। संगठनों ने कठोर नीतियों और विकास के लिए 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)' पर सरकार की अंध निर्भरता की निंदा की।

इस मार्च का नेतृत्व साउथ अफ्रीकन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स (SAFTU) ने किया। इसमें नेशनल यूनियन ऑफ मेटल वर्कर्स ऑफ साउथ अफ्रीका (NUMSA), अबाहलाली बेसम्जोंदोलो (ABM), जनरल इंडस्ट्रीज़ वर्क्स यूनियन ऑफ साउथ अफ्रीका (GIWUSA), द एसोसिएशन ऑफ माइन वर्कर्स एंड कंस्ट्रक्शन यूनियन (AMCU) और अनएंप्लायड पीपल्स असेंबली समेत कई दूसरे नागरिक-सामाजिक संगठन भी शामिल थे।

जुलूस के बाद देश के राष्ट्रपति सायरल रेमाफोसा के लिए संगठनों ने एक साझा मेमोरेंडम जारी किया। 50 संगठनों की तरफ से दिए गए इस मेमोरेंडम को लघु उद्योग विकास मंत्री लिंडिवे जुलू को सौंपा गया। मेमोरेंडम के मुताबिक़, फिलहाल निवेश स्तर जीडीपी का 18 फ़ीसदी है। यह विकास और आर्थिक गतिविधियों को सुचारू तरीके से चलाने के लिए बेहद कम है। 1970 के दशक में, नव उदारवाद युग के पहले, यह जीडीपी का 26-32 फ़ीसदी हुआ करता था। मेमोरेंडम में आगे कहा गया कि सम्मेलन, अर्थव्यवस्था में हो रहे बेहद कम निवेश को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के ज़रिए बढ़ाने से संबंधित झूठी उम्मीदें जगाता है।  

दक्षिण अफ्रीकी सरकार, कॉरपोरेट को छूट देने और दूसरों के लिए कठोरता की अपनी नवउदारवादी नीतियों पर लगातार चल रही है। सरकार को आशा है कि इससे निवेश बढ़ेगा और रोज़गार पैदा होंगे।  लेकिन यूनियनों के दावे के मुताबिक़, आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसी ही नीतियों से ताजा आर्थिक संकट पैदा हुआ है।
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1994 में जब नवउदारवादी सुधारों को बड़े पैमाने पर लागू किया गया, तबसे अबतक कॉरपोरेट टैक्स को 56 फ़ीसदी से घटाकर 28 फ़ीसदी किया जा चुका है। लेकिन इस कटौती से निवेश या नौकरियों की संख्या बढ़ाने में मदद नहीं मिली। इसके उलट कुल निवेश स्तर (जो जीडीपी के फ़ीसद हिस्से में मापा जाता है) गिर गया और इस अवधि में बेरोज़गारी दर 20 फ़ीसदी से बढ़कर 38.5 फ़ीसदी पर पहुंच गई। 15 से 24 साल की उम्र के बीच बेरोज़गारी दर 58 फीसदी जैसे बेहद चिंताजनक स्तर पर है।

यूनियनों का कहना है कि निजी पूंजी से आर्थिक विकास या रोजगार नहीं बढ़ाए जा सकते, इसलिए कॉरपोरेट टैक्स को 1994 की दर, 56 फ़ीसदी पर वापस ले आना चाहिए। ऊपर से ऊंची बेरोज़गारी और नौकरी पर लगे लोगों की घटती वास्तविक आय के चलते साउथ अफ्रीका के आम आदमी की खरीद क्षमता काफी कम हो चुकी है। इसलिए निजी निवेश को सही ठहराने की कोई वजह नहीं बचती।

यूनियनों के मुताबिक़ ताजा हालातों में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केवल एक ही तरीका है। इसके लिए सार्वजनिक निवेश को बड़े स्तर पर बढ़ाया जाए, इससे सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा और लोगों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही नई नौकरियां आएंगी और घरेलू मांग भी बढ़ेगी।''मेमोरेंडम में कहा गया कि दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 33.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के भारी-भरकम आर्थिक पैकेज की जरूरत है। सरकार का खुद का निवेश तेजी से गिर रहा है। इसकी वजह राजकोष द्वारा, राज्य और निगम बजटों में पिछले हफ्ते की गई बड़ी कटौती है। अगर अर्थव्यवस्था के लिए कोई उम्मीद बची है तो उसके लिए इस फ़ैसले को तुरंत पलटा जाना चाहिए।'' लेकिन सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने की जगह सरकार उलटा कर रही है।

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यूनियन ब्याज़ दर को 3 फ़ीसदी कम करने की भी मांग कर रही हैं। ''इससे उधार सस्ता होगा और घरेलू समेत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (SMMEs) को मदद मिलेगी।'' यूनियन पूंजी नियंत्रण और  पूंजी बाधकों को लगाने की भी मांग कर रहे हैं, ताकि देश में जो पैसा बनाया गया है वो बाहर न जा पाए। मेमोरेंडम के मुताबिक़, इससे 18 फीसदी जैसा बेहद खराब निवेश स्तर तेजी से सुधरेगा।

टैक्स से बचने और दूसरे अवैध तरीके जिनसे देश का पैसा बाहर जा रहा है, उन पर भी रोक लगाने की जरूरत है। एक अनुमान के मुताबिक़, दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था को हर साल इन वज़हों से 10.8 से 24.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।मेमोरेंडम में आगे कहा गया कि सरकार को एक ऐसा तंत्र लाना चाहिए जिससे सरकार के 'खरीद बजट' में बड़े पैमाने पर होने वाले भ्रष्टाचार को रोका जा सके। राजकोषीय अधिकारियों के मुताबिक़ सरकार के खरीद बजट का 30 से 40 फ़ीसदी हिस्सा टेंडर से जुड़े भ्रष्टाचार और आउटसोर्सिंग में नष्ट हो जाता है।

Courtesy: Peoples dispatch

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आपने नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

South African Unions Call Government’s Investment Summit a Bluff

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