NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
ईरान को जयशंकर के ज़रिए  पोम्पिओ से उपहार में मिले  चाबहार पोर्ट से नफरत है
अमेरिका के गृह सचिव पोम्पिओ ने जयशंकर को नजरंदाज करते हुए पाकिस्तान आर्मी चीफ से बात की। जबकि जयशंकर को अमेरिका का करीबी समझा जाता है।
एम. के. भद्रकुमार
07 Jan 2020
India-Iran Joint Commission meeting
साभार- इंडियन पंचलाइन

कभी-कभी किसी देश की क्षेत्रीय नीतियों की प्रभावशीलता परखने के लिए किसी संकट की जरूरत पड़ती है। अमेरिका और ईरान का ताजा विवाद भारत के लिए एक ऐसा ही मौका है। भारत और अमेरिका के बीच वाशिंगटन में 18 दिसंबर को  2+2 फॉरमेट में हुई मीटिंग शर्मिंदगी की वजह बन गई। उस मीटिंग के ठीक 15 दिन बाद राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने जनरल सुलेमानी की हत्या का आदेश दे दिया। बता दें जनरल सुलेमानी को भारत, ईरान का वरिष्ठ नेता कहता था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने 22 दिसंबर को तेहरान यात्रा की थी। इसमें ईरानी नेतृत्व के साथ कई मुद्दों पर बातचीत की गई थी। तेहरान जाने से पहले जयशंकर ने वाशिंटगटन से अनमुति ली थी, ताकि चाब्हार पोर्ट प्रोजेक्ट को शुरू करने की खुशखबरी ईरानी नेताओं को दे सकें।

जयशंकर ने खुद तेहरान में कहा था, क्षेत्रीय और वैश्विक परिदृश्य में बहुत अच्छी बातचीत हुई। भारत और ईरान मिलकर आपसी हितों पर साथ काम करेंगे। लेकिन जयशंकर की यात्रा के दस दिन बाद ही अमेरिका ने ''ईरान के वरिष्ठ नेता'' सुलेमानी की हत्या कर दी, जबकि इस मुद्दे पर भारत को विश्वास में ही नहीं लिया गया। ध्यान रहे ईरान भारत का पड़ोसी है।

जैसे ही ईरान के साथ तनाव बढ़ा, अमेरिकी गृह सचिव माइक पॉम्पेय ने अहम देशों से संपर्क साधा। यह वो देश थे, जो अमेरिका की खाड़ी नीति के लिए अहम हैं।

पॉम्पेय ने पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा से भी बात की। पर जयशंकर से नहीं, जिन्हें आज अंतरराष्ट्रीय गलियारों में अमेरिका के सबसे करीबी दोस्तों में माना जाता रहा है।  

न ही ट्रंप ने मोदी को फोन किया। जबकि मोदी अलग तरह से दुनिया के नेता बने फिरते हैं। मसलन अमेरिकी चुनावों में एक खास नेता के लिए उन्होंने खुलकर प्रचार किया। यह वो नेता है, जो अमेरिका को दोबारा महान बनाने की बात कहते रहते हैं। लेकिन अब यह इन दो शीर्ष के नेताओं के अहम की बात नहीं है। भारत की ''खाड़ी नीति'' इज़रायल और सऊदी अरब के साथ बहुत पतली बर्फ की सिल्ली पर चल रही है।
 
भगवान न करे, अगर खाड़ी में युद्ध छिड़ जाता है और लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट के तहत अमेरिका के जंगी जहाज भारत में बंदरगाहों और हवाईअड्डों के इस्तेमाल की मांग करें तो?अच्छी बात यह है कि कतर के दोहा स्थित अमेरिकी केंद्रीय कमांड ऑफिसर ने अभी तक अपने जहाजों को आगे नहीं बढ़ाया है। मैं तो इसके बारे में सोचना भी नहीं चाहता। इस जंग से  उन 90 लाख भारतीयों और उनके भारत में रह रहे परिवारों का क्या होगा?  

इस सभी को अगर मिलाकर देखें, तो जो अमेरिकी-भारतीय साझेदारी की बात कही जाती है, वो पूरी तरह बकवास है। भारत केवल विश्वास और आपसी सहयोग के दम पर अमेरिका के साथ बराबरी की साझेदारी का सपना नहीं देख सकता। यह समझौता आपसी लेन-देन पर आधारित है और इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।

पॉम्पेय के बाजवा को फोन करने के बाद अमेरिका-पाक के बीच ''सेना से सेना'' का सहयोग भी चालू हो गया। साफ है कि पॉम्पेय ने बाजवा को ज़्यादा अहमियत दी, क्योंकि पेंटागन को लगता है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों पर खतरा ज्यादा है। पॉम्पेय के एजेंडे के तीन पहलू हैं। पहला, तेजी से अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते को संपन्न करवाया जाए, ताकि वहां से अमेरिकी फौज़ हटाई जा सके। दूसरा पहलू ये है कि तालिबान को खुश किया जाए, ताकि वहां प्रतिरोध के गठबंधन में ईरान के साथ शामिल न हो। बता दें तालिबान के ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं। तीसरा पहलू, जो सबसे अहम भी है, वो ये है कि बाजवा को पेंटागन और सीआईए के साथ एक नए ढांचे में काम करने के लिए मजबूर किया जाए।

बल्कि बाजवा ने पाक और ईरान के संबंधों को ऊपर उठाने में बहुत योगदान दिया है। पिछले साल नवंबर में अपनी तेहरान यात्रा के दौरान उन्हें लेने IRGC चीफ जनरल होसैन सलामी आए थे।पॉम्पेय ने बाजवा को क्या प्रस्ताव दिया, यह हम नहीं जानते, लेकिन उस एक फोन ने बाजवा पर जादुई प्रभाव डाला। बाजवा तबसे ही अमेरिका और ईरान के संबंधों में तटस्थता की बात कर रहे हैं। यह बात वाशिंगटन के पक्ष में है।अमेरिका की यह चालें इतिहास में भी नज़र आती है। पुरानी आदते आसनी से नहीं बदलतीं।  साफ है कि पिछले पांच सालों में मोदी द्वारा अमेरिका की सात यात्राओं में कुछ भी नहीं बदला।

इस बीच अमेरिका के सामने पूरी तरह झुककर भारत ने ईरान के विश्वास और आपसी समझ को बुरी तरह हिला दिया है। यह बेहद बेइज्जती वाली बात थी कि जयशंकर ने चाब्हार में रुके हुए काम को चालू करने की अनुमति देने के लिए खुलकर पॉम्पेय को धन्यवाद दिया।क्या शताब्दियों से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मशगूल ईरान यह अंदाजा नहीं लगा पाया होगा कि पॉम्पेय ने ही जयशंकर को दोबारा काम चालू करने की अनुमति दी है।

640.jpg
छबहार पोर्ट, सिस्तान-बलूचिस्तान प्रोवेंस, ईरान

''इस पैंतरेबाजी को समझने के क्रम में हमें चाब्हार का पैंतरेबाजी के लिए इस्तेमाल समझना होगा। भूराजनीतिक स्थिति से चाब्हार पोर्ट एक अहम बिंदु पर है। भारत ने इसमें भारी निवेश किया है। मध्य एशियाई देशों के लिए यह समुद्र का काम करेगा। अगर यह काम हो जाता है तो ईरान की वजनदारी भी बढ़ेगी।''

''इस पोर्ट की संवेदनशीलता और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के साथ इसकी प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा है कि पिछले 6 महीने के प्रतिबंधों के दौरान डोनल्ड ट्रंप ने भी इसको अपवाद रखा! अब ईरान, चीन और रूस के साथ मिलकर कहा है कि इस पोर्ट की भूराजनीतिक अहमियत काफी ज्यादा है। जिसे बड़ी ताकतों ने भी माना है। चीन भी अब चाब्हार और इसकी सुरक्षा के लिए अपनी बाहें फैला रहा है।''

दिल्ली को ईरान से पंगा नहीं लेना चाहिए था। तेहरान टाईम्स साफ कर चुका है कि चाबहार में सिर्फ भारत ही अकेला खिलाड़ी नहीं है। यह राष्ट्रीय सम्मान, आत्मसम्मान और रणनीतिक स्वायत्ता का एक चालाकी भरा संदेश था। ईरान को पॉम्पेय द्वारा जयशंकर को गिफ्ट में दिए गए चाब्हार से घृणा है। या तो हमें इसे रखना चाहिए या पॉम्पेय को लौटा देना चाहिए।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

IRAN
Mohammed Javad Zarif
S. Jaishankar
tehran
Chabahar Port
Mike Pompeo
United States
Narendra modi
US-India Relations

Trending

गण ने किया तंत्र पर दावा : देश भर में किसान उतरे सड़कों पर, दिल्ली में निकली ट्रैक्टर परेड
देश की विवधता और एकता के साथ गणतंत्र दिवस परेड को तैयार किसान
किसान परेड : ज़्यादातर तय रास्तों पर शांति से निकली ट्रैक्टर परेड, कुछ जगह पुलिस और किसानों के बीच टकराव
किसानों का दिल्ली में प्रवेश
शाहजहांपुर: अनगिनत ट्रैक्टरों में सवार लोगों ने लिया परेड में हिस्सा
71 साल के गणतंत्र में मैला ढोते लोग  : आख़िर कब तक?

Related Stories

 मैला ढोते लोग
राज वाल्मीकि
71 साल के गणतंत्र में मैला ढोते लोग  : आख़िर कब तक?
26 January 2021
जिस देश में संविधान को लागू हुए 71 वर्ष हो गए हों और फिर भी उस देश के नागरिक मैला ढोने जैसे अमानवीय कार्य में लगे हों तो उस देश के विकास का अनुमान
cartoon click
उर्मिलेश
गणतंत्र पर काबिज़ होता सर्वसत्तावाद बनाम जन-गण का गणतंत्र
26 January 2021
भारतीय गणराज्य के इतिहास में इस गणतंत्र दिवस को कई कारणों से उल्लेखनीय और अपूर्व माना जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण है कि हर बार जन-गण की तरफ से तंत
कटाक्ष: न्यू इंडिया का न्यू-न्यू ‘गनतंत्र’ मुबारक
राजेंद्र शर्मा
कटाक्ष: न्यू इंडिया का न्यू-न्यू ‘गनतंत्र’ मुबारक
26 January 2021
गनतंत्र, मुबारक! दूसरा है कि सातवां, इसकी गिनती छोड़ो, आप तो बस गनतंत्र की मुबारकबाद लो। और हां!

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गण ने किया तंत्र पर दावा : देश भर में किसान उतरे सड़कों पर, दिल्ली में निकली ट्रैक्टर परेड
    26 Jan 2021
    गणतंत्र दिवस पर दिल्ली ही नहीं मध्य प्रदेश, बिहार, गुजरात सहित देश भर में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली। इस दौरान दिल्ली में कुछ स्थानों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। लाल क़िले भी किसान…
  • किसानों का दिल्ली में प्रवेश
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसानों का दिल्ली में प्रवेश
    26 Jan 2021
    कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने सुबह-सुबह ट्रेक्टर परेड की शुरुआत की। इनमें से किसानों का एक जत्था बैरिकेड हटाकर आगे बढ़ गया। वे पुलिस द्वारा दिए गए रुट पर न चलकर सीधे दिल्ली में…
  • शाहजहांपुर: अनगिनत ट्रैक्टरों में सवार लोगों ने लिया परेड में हिस्सा
    न्यूज़क्लिक टीम
    शाहजहांपुर: अनगिनत ट्रैक्टरों में सवार लोगों ने लिया परेड में हिस्सा
    26 Jan 2021
    शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानो ने ट्रैक्टर - ट्राली परेड कर के मनाया गणतंत्र दिवस। आज के दिन किसानों ने परेड करके लोकतंत्र को दी अहमियत। किसानों ने कृषि कानूनों को वापस करने की मांग उठाई।
  •  मैला ढोते लोग
    राज वाल्मीकि
    71 साल के गणतंत्र में मैला ढोते लोग  : आख़िर कब तक?
    26 Jan 2021
    देश की आबादी का एक तबका अभी भी शुष्क शौचालयों से मानव मल साफ़ करके अपनी जीविका चला रहा है। आख़िरकार कब तक कुछ लोगों को ऐसी अमानवीय जिंदगी जीनी पड़ेगी?
  • कोरोना वायरस
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोरोना अपडेट: दुनिया भर में संक्रमित लोगों की संख्या 10 करोड़ के क़रीब पहुंची
    26 Jan 2021
    दुनिया में 24 घंटों में कोरोना के 5,05,144 नए मामले सामने आए है। दुनिया भर में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 9 करोड़ 97 लाख 18 हज़ार 414 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें