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जेएनयू में हिंसा के बाद से आपातकाल जैसा माहौल

जेएनयू में सोमवार रात अचानक ही छात्रावासों में रेड की गई। इसके साथ ही जेएनयू की पहचान वहाँ के सभी ढाबों को बंद कर दिया गया है।
गंगा ढाबा

संयुक्त वामपंथ की जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ चुनावों में भारी जीत हासिल करने के कुछ घंटे बाद, आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) सदस्यों ने परिसर में कुछ छात्रों पर हमला किया। संघ के नव निर्वाचित अध्यक्ष, एन साई बालाजी और पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी को टारगेट कर हमला किया गया, जिसके बाद से ही जेएनयू में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।

जेएनयू के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों का कहना है कि अभी विश्वविद्यालय में हालात आपातकाल जैसे हैं। प्रशासन हिंसा करने वाले अराजक लोगों पर कार्रवाई करने की जगह जेएनयू के लोकतांत्रिक वातावरण को बर्बाद करने की कोशिश कर रहा है। सोमवार रात को अचानक ही छात्रावासों में रेड की गई। इसके साथ ही जेएनयू की पहचान वहाँ के सभी ढाबों को बंद कर दिया गया है। छात्रों को केवल अपने ही छात्रवास में रहने के लिए कहा गया है और किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।

जेएनयू छात्रसंघ का कहना है की ये सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि जिन लोगो ने हिंसा की है वे अभी केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी और आरएसएस की छात्र इकाई से जुड़े हैं, उनको बचाने के लिए है ये सब किया जा रहा हैं।

इसको लेकर पूरे जेएनयू समुदाय - छात्रों और शिक्षकों ने मज़बूत एकता के साथ गुंडागर्दी के खिलाफ मार्च में हिस्सा लिया। चार यूनियन- जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन, जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन, जेएनयू स्टाफ एसोसिएशन और जेएनयू ऑफिसर्स एसोसिएशन ने जेएनयू में हिंसा की निंदा करते हुए संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया और स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी हिंसा जेएनयू की लोकतांत्रिक संस्कृति का विरोध करती है। 

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जेएनयूएसयू के नव निर्वाचित महासचिव एजाज़ अहमद ने कहा कि “वे उन छात्रों पर हमला करके अपनी निराशा को उजागर कर रहे हैं जो पहले एबीवीपी का समर्थन करते थे और जिन्होंने इस बार उनके खिलाफ मतदान किया था, आरएसएस-बीजेपी-एबीवीपी ने हमारे विश्वविद्यालय को तबाह करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वो इसमें कभी कामयाब नही होंगे।”

एजाज़ ने जेएनयू के हालात पर अपने फेसबुक पर लिखते हुए सवाल उठाया है कि "क्या पूरे जेएनयू समुदाय को कुछ दुष्ट तत्वों के लिए दंडित किया जाना चाहिए जो जेएनयू की शांति और लोकतांत्रिक भावना को परेशान करना चाहते हैं। क्या हमें उन कुछ लोगों को आचार और स्वतंत्रता बदलने की इजाजत देनी चाहिए जिसके लिए जेएनयू न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में जाना जाता है। अगर नहीं तो जेएनयू के लिए क्या लड़ना है, इन गुंडों को यह बताने के लिए लड़ें कि जेएनयू क्या होना चाहिए। आइए इस सवाल को पूछें कि जेएनयू प्रशासन कैंपस में शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक माहौल को खराब करने वाले कुछ दुष्ट लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय पूरे छात्र समुदाय को परेशान क्यों कर रहा है। क्या व्यवस्थापक चाहते हैं कि छात्रों को डर में रहना पड़े। जेएनयू एक सरकारी विश्वविद्यालय है, कोई अखाड़ा या सैन्य क्षेत्र नहीं है जहां आपको हर जगह अपनी पहचान साबित करनी है। जेएनयू तक सभी की आसान पहुंच होनी चाहिए।

छात्रावास के नियम और छापे लोकतांत्रिक अभिव्यक्तियों, स्वतंत्र विचारों और परिसर में आंदोलन की स्वतंत्रता को दूर करने के लिए हैं। यह परिसर को अराजनीतिक और demonize करने की प्रक्रिया है। संघ और एबीवीपी की एक योजना परिसर में अपने गुंडवाद को लागू करने के लिए है।

जेएनयू लॉन्ग लिव !”

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जेएनयूएसयू कि पूर्व महासचिव सतरूपा ने कहा कि गुंडे-लफंगे जेएनयू की भावना को समझ नहीं पाएंगे। जब हमारे नव निर्वाचित जेएनयूएसयू अध्यक्ष कॉमरेड एन साईं बालाजी झेलम छात्रावास में हुई हिंसा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए वसंत कुंज पुलिस स्टेशन गए, एबीवीपी केसौरभ शर्मा की अगुआई वाली एक भीड़ ने उन्हें खुले तौर पर धमकी दी। ये लोग उन्हें देख लेने की बात कर रहे थे।

जेएनयू शिक्षक संघ भी जेएनयू के इस संघर्ष में छात्रों के साथ खड़ी है। शिक्षक संघ की आयशा ने कहा कि “हिंसा एक हथियार है परन्तु उसे आसानी से अपनी एकजुटता से कुंद किया जा सकता है। इसलिए सभी से अपील है की बड़ी संख्या में साथ आएं”!

जेएनयू की पूर्व काउंसलर श्रेयसी विश्वास ने कहा कि  “यह एक स्टैंड लेने और जेएनयू के छात्रों के साथ खड़े होने का समय है। परिसर में फासीवाद कोई एक काल्पनिक खतरा नहीं है, क्योंकि कुछ समूहों ने बार-बार दावा किया है। जब से एबीवीपी की मतदान से  हार हुई है , तब से उन्होंने हिंसा और गुंडवाद का सहारा लिया जो चुनाव के बाद भी  जारी है।”

श्रेयसी कहती हैं कि “आरएसएस के लोगों द्वारा शिक्षकों को धमकी दी गई थी जब वे एन साई बालाजी के साथ वसंत कुंज थाने में एफआईआर  कराने के लिए गए थे। छात्राओं पर भी लगातार शारीरिक और मौखिक रूप से हमला किया जा रहा है।” 

जेएनयू की एक शोध छात्रा ने कहा की हमारे जेएनयू में हम कभी और कहीं भी आजादी के साथ जा सकते थे परन्तु अभी हमारे ऊपर कई सारी पाबंदियां लगा दी गई हैं। एक अन्य छात्र ने कहा कि हम संघियों को बताना चाहते हैं, "कोशिश तुमारी जारी है, पर जेएनयू तुम पार भारी है!

 

गंगा ढाबा से मार्च

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एबीवीपी के द्वार कैंपस में की जा रही हिंसा के खिलाफ सोमवार शाम जेएनयू के छात्र और शिक्षकों ने जेएनयू के गंगा ढाबा से मार्च भी किया। जेएनयू के छात्रों का कहना है कि एबीवीपी अपनी हार को पचा नही पा रही है और वो इसलिए जेएनयू के माहौल को ख़राब करने की कोशिश कर रही है लेकिन ये उसमें सफल नही होंगे। छात्र कहते हैं कि ऐसी एक नाकाम कोशिश एबीवीपी ने पहले भी की थी और 9 फरवरी की घटना के बाद जेएनयू को देशद्रोही के अड्डे के रूप में प्रचारित किया था लेकिन उन्हें इसमें मुंह की खानी पड़ी। 

 

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