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जलियांवाला स्मारक संशोधन विधेयक :  विपक्ष का सरकार पर इतिहास बदलने का आरोप

इस संशोधन विधेयक में ट्रस्टियों में से कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को हटाने और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है।
Jallianwala Bagh National Memorial Bill
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक फोटो सभार : The Tribune

केंद्रीय सत्ता में बीजेपी के काबिज़ होने के बाद से ही विपक्ष लगातार सरकार पर इतिहास बदलने का आरोप लगाता रहा है। फिर चाहे वो शहरों या सड़कों के नाम परिवर्तन की बात हो या ऐतिहासिक तथ्यों की, विपक्ष और सरकार अक्सर इतिहास के नाम पर आमने-सामने ही नजर आते हैं।

लोकसभा में शुक्रवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक2019’ को मंजूरी दे दी गई। जिसे लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने एक बार फिर सरकार पर इतिहास बदलने का आरोप लगाया। इस प्रस्ताव को 30 के मुकाबले 214 मतों से स्वीकृति मिली, जिसके विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया।

दरअसल इस संशोधन विधेयक में ट्रस्टियों में से कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को हटाने और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है। अब तक इसमें केवल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ट्रस्ट के सदस्य के तौर पर शामिल हैं। इस बिल का एक और प्रावधान है जिसे लेकर विपक्ष ने आपत्ति जताई, ये विधेयक केंद्र सरकार को किसी मनोनीत ट्रस्टी का कार्यकाल बिना कारण बताए पांच साल की तय अवधि से पहले समाप्त करने का अधिकार भी देता है।

बता दें कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और इसके ट्रस्टियों में कांग्रेस अध्यक्षसंस्कृति मंत्री,लोकसभा में नेता प्रतिपक्षपंजाब के राज्यपालपंजाब के मुख्यमंत्री सदस्य होते रहे हैं।

लोकसभा में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है और घटना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर हम इस स्मारक को राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं।

उन्होंने सरकार पर इतिहास बदलने के कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इतिहास को कोई नहीं बदल सकता। आज हम इतिहास बदल नहीं रहेबल्कि जलियांवाला बाग स्मारक को राजनीति से मुक्त कर राष्ट्रीय स्मारक बनाकर इतिहास रच रहे हैं।

पटेल ने कहा कि स्मारक की स्थापना के समय जवाहरलाल नेहरूसैफुद्दीन किचलू और अब्दुल कलाम आज़ाद इसके स्थायी ट्रस्टी थे और इनके निधन के कई साल बाद भी कांग्रेस को स्थायी ट्रस्टियों के पद भरने की याद नहीं आई।

उन्होंने कहा कि यह विवाद का विषय नहीं है। कांग्रेस को स्मारक के इतिहास की इतनी चिंता है तो उसने स्मारक के ट्रस्टी में सरदार उधम सिंह के परिवार के किसी सदस्य को क्यों नहीं शामिल किया?

पटेल ने कहा कि कांग्रेस का दावा है कि स्मारक के लिए कांग्रेस ने जमीन खरीदने को पैसा दिया। लेकिन सबसे पहले पैसा इकट्ठा करने की शुरुआत आम आदमी ने की थी और आम आदमी ने ही शहादत दी थी। कांग्रेस ने बाद में पैसा दिया।

उन्होंने कहा कि देश में ऐसे कई स्मारक हैं जिन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृतिइतिहास को फिर से लिखा नहीं जा सकता लेकिन उसका पुन: निरीक्षण होना चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस समेत सभी दलों के सदस्यों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील करते हुए कहा कि इस विधेयक के माध्यम से लाए गए संशोधनों से किसी राजनीतिक दल को तकलीफ नहीं होनी चाहिए और यदि तकलीफ होती है तो वह भी राजनीति के लिए हो रही है।

पटेल ने बताया कि जलियांवाला बाग में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की निगरानी में लगभग 19.5 करोड़ रुपये की लागत से काम हो रहे हैं। इस घटना के शताब्दी वर्ष में देशभर में कई कार्यक्रम हुए।

इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की। कांग्रेस के गुरजीत औजला ने आरोप लगाया, ‘यह विधेयक केवल स्मारक से कांग्रेस का नाम हटाने की साजिश के साथ लाया गया है

द्रमुक के दयानिधि मारन ने कहा कि आप इतिहास बदलने का प्रयास न करेंइतिहास बनाने का प्रयास करें। युवाओं के लिए काम करें।

तृणमूल कांग्रेस के प्रो. सौगत राय ने कहा कि इतिहास को दोबारा लिखने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यह समझने की जरूरत है कि कांग्रेस का देश के लिए योगदान रहा है।

गौरतलब है कि 13 अप्रैल 1919 में बैसाखी के दिन पंजाब के अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में नरसंहार हुआ था। अंग्रेज अफसर जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने पंजाब के अमृतसर शहर स्थित जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोली चला दी थीजिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। मरने वालों में पुरुषमहिलाएं और बच्चे शामिल थे। इसी घटना की याद में 1951 में स्मारक की स्थापना की गई थी।

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