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दहशत वाली रात के बाद जेएनयू एकजुट

15 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के तीन सप्ताह बाद हथियारबंद भीड़ ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय पर धावा बोल दिया।

15 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के तीन सप्ताह बाद हथियारबंद भीड़ ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय पर धावा बोल दिया। लाठी डंडों वाली इस भीड़ ने छात्र नेताओं को निशाना बनाया और परिसर में संपत्ति और वाहनों को नष्ट किया। जैसे ही जेएनयू के छात्रों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से इस हमले की खबर को लाइव किया तो सिविल सोसाइटी के लोग सक्रिय हो गए। इन्हें विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर जेएनयू के छात्रों के खिलाफ नारेबाजी करने वाले दूसरे भीड़ रोकने लगे।

प्रोफेसर आयशा किदवई के शब्दों में, "जेएनयू ... जेएनयू है! कई लोग घायल हैं, पिछले दस घंटों से कई लोग घायल हो गए हैं, पर सभी असहनीय हैं। हम तात्कालिक प्रेम और एकजुटता से पूरी तरह से अभिभूत हैं जो हमें पूरी दुनिया से मिल रहे हैं…

इस भीड़ से लड़ने वाले लोग दिल्ली के युवा और बूढ़े थे जो शहर के चारों कोनों से जेएनयू के गेट तक पहुंचे थे। नारेबाजी, लगातार दुर्व्यवहार और हिंसा का मुकाबला करते हुए हमारे साथी और दोस्त पुलिस घेरा के पीछे गेट पर खड़े हो गए, स्ट्रीट लाइट चालू करवा दी क्योंकि हम तय कर रहे थे कि गेट को तोड़ने न होने दें जैसा एएमयू में हुआ था।”

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