कानून से ऊपर कोई नहीं: जज गोगोई के केस में निष्पक्ष जाँच की ज़रूरत
19 अप्रैल 2019 को एक हलफनामा सामने आया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगायाI पीड़िता के बयान के मुताबिक जब उसने गोगोई के प्रयासों का विरोध किया तो उसका तबादला एक से दूसरे विभाग में किया जाता रहा और अंततः उसे नौकरी से बर्खास्त कर दियाI इस मामले की जाँच करने के लिए बनायी गयी आंतरिक जाँच कमेटी ने 6 मई को ठोस सबूत न होने के कारण गोगोई को क्लीन चिट दे दीI देश भर में वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसकी कड़ी निंदा कीI 'सत्ता से सवाल' के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने इस केस से जुड़े कई प्रश्न उठाये जो भारत की कानून व्यवस्था को कठघरे में लाते हैंI
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।