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केजरीवाल का मोदी से सवाल, क्या लोकतंत्र से आपका मतलब विपक्षी विधायकों को खरीदना है!

केजरीवाल की प्रतिक्रिया भाजपा के उस दावे के बाद सामने आयी है जिसमें उन्होंने कहा था कि आप के 14 ‘निराश’ विधायक उनके संपर्क में हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
PHOTO : IANS

चुनावी दौर में राजधानी दिल्ली की राजनीति में नए दांव-पेच देखने को मिल रहे हैं और बात विकास और अन्य मुद्दों से आगे जाकर विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त तक जा पहुंची है और इसपर वार-पलटवार शुरू हो गया है। दिल्ली में छठे दौर में 12 मई को मतदान होना है।  

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुये सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री के लिए लोकतंत्र का मतलब विपक्षी पार्टी के विधायकों को ‘खरीद’ कर सरकार बनाना है? केजरीवाल की प्रतिक्रिया भाजपा के उस दावे के बाद सामने आयी है जिसमें उन्होंने कहा था कि आप के 14 ‘निराश’ विधायक उनके संपर्क में हैं।

केजरीवाल ने यह भी जोर देकर कहा कि आप सदस्यों को खरीदना आसान नहीं है।

एक समाचार को टैग करते हुये केजरीवाल ने कई ट्वीट के जरिये भाजपा पर निशाना साधा।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मोदी जी, लोकतंत्र का मतलब दूसरी पार्टी के विधायकों को खरीदना और इससे सरकार बनाना है। विधायकों को खरीदने के लिए भाजपा इतना पैसा कहां से लाती है। आप लोग पहले भी कई बार हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश कर चुके हो लेकिन आप सदस्यों को खरीदना इतना आसान नहीं है।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में यही खबर भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल को टैग करते हुये सवाल किया, ‘‘आप के 14 विधायकों को खरीदने की आपकी बात कहां फंस गयी। आप कितना दे रहे हो और वो कितना मांग रहे हैं।’’   

गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा था कि आप विधायक ‘बहुत निराश’ हैं और पार्टी छोड़ने के लिए तैयार हैं।

आप ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव के दौरान खरीद-फरोख्त में लिप्त होने का आरोप लगाया।

गोयल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आप के 14 विधायक हमारे संपर्क में हैं और वे जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे क्योंकि वे अपने अपनी पार्टी द्वारा किए गए काम से निराश हैं।’’

आप नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने बुधवार को भाजपा पर अपने सात विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ रुपये का प्रस्ताव देने का आरोप लगाया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘जब से भाजपा के पास विकास का कोई मुद्दा उठाने के लिए नहीं बचा है तब से वह हमारे सात विधायकों को 10-10 करोड़ रुपये देकर खरीदने का प्रयास कर खरीद-फरोख्त में लिप्त हो गई है।’’

इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरुवार को भाजपा ने दावा किया कि सात नहीं बल्कि 14 आप विधायक 'निराश' थे और पार्टी छोड़ना चाहते थे। 

अब इन सब दावों-प्रतिदावों में कितना दम है, ये कितनी दबाव की रणनीति है और कितनी गंभीर, ये देखने वाली बात है। बिल्कुल यही दांव बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में खेला है। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की एक चुनावी रैली में कहा था कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक उनके संपर्क हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद वे भाजपा में शामिल होंगे। इसे विपक्षी पार्टी को भीतराघात का डर दिखाकर उलझाने और बढ़त बनाने की राजनीति के तौर पर भी देखा-समझा जा सकता है, लेकिन जब इस तरह की बातें चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं की ओर से कही जाती है तो बात गंभीर हो जाती है और निश्चित तौर पर चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए कि क्या ये एक महज़ मामूली चुनावी जुमला या भाषण है या फिर चुनाव आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन।

(समाचार एजेंसी भाषा और आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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