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किसानों की ज़िन्दगी-4#

आंदवार तमिल नाडू के एक आकाल ग्रस्त इलाके अरियालुर के एक किसान हैं I
farmers scrises

2017 में देश भर में किसान आन्दोलनों की लहर सी उठ गयी I ऐसा क्यों हुआ इसे समझने के लिए न्यूज़क्लिक देश भर के विभिन्न किसानों पर एक सिरीज़ लेकर आया है,जो कि किसानों के इंटरव्यू पर आधारित है और जिसे दिल्ली के छात्रों द्वारा सोसाइटी फॉर सोशल एंड इकोनोमिक रिसर्च की मदद से बनाया गया है I इस श्रंखला की भूमिका यहाँ पढ़ें I

20-21 नवम्बर को दिल्ली में किसान मुक्ति संसद के दौरान हमने तमिलनाडू के अरियालुर ज़िले के करैयेवेत्ति गाँव के एक धान किसान आंदवार से उनके परिवार पर लगातार पड़ रहे आकाल के असर को समझने के लिए बातचीत की I

46 वर्षीय आंदवार ने वैसे तो कम्युक्निकेशन इनजीनियरिंग में डिपलोमा किया है पर उन्हें कभी भी इंजिनियर के तौर पर कोई नौकरी नहीं मिली I पाँच एकड़ पारिवारिक ज़मीन पर खेती करना और पशु पालन करना ही उनका पेशा है I आंदवार एक 9 सदस्यों वाले एक संयुक्त परिवार में रहते हैं I उनके दो भाई हैं एक मनिवान्नन जो कि कराइवेत्ति बर्ड सेंचुरी में जंगले की निगरानी का काम करता है और दूसरा भाई है सुन्दरन जिन्हें केटरर की तौर पर कभी-कभी काम मिल जाता है I

आंदवार की पत्नी की मौत हो चुकी है I उनके दो बच्चे हैं जो कि स्कूल में पढ़ते हैं I आंदवार की माँ गोविन्दम्माल और उनकी साली पूमाला नियमित तौर पर उनके खेत पर काम करती हैं I उनके भाई भी कभी-कभी खेतों पर काम करते हैं I

अरियालुर ज़िला कावेरी डेल्टा में स्थित है जो कि पूर्वी घाट की तराई में आता है I इस क्षेत्र के ज़्यादातर लोग खेती या उससे जुड़े काम करते हैं I ज़िले के 2014-15 के फ़सलों के आँकड़ों के अनुसार, पूरे ज़िले में उगने वाले अनाज का 20 प्रतिशत यहाँ पैदा होने वाला धान है I धान के आलावा काजू, कपास, मक्का, गन्ना, दालें और मूंगफली इस इलाके की अन्य मुख्य फसलें है I अरियालुर के किसान सिंचाई के लिए टैंकों, कनालों और ट्यूबवेलों पर निर्भर रहते हैं I  

आंदवार जिस कराईयावेत्ति गाँव के निवासी हैं वो अरियालुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित हैI 2011 की जनगणना के अनुसार करईयावेत्ति गाँव में 793 परिवार रहते थे और वहाँ की कुल आबादी 3051 थी, जिनमें से 1248 किसान थे और 496 खेत मज़दूर I करईयावेत्ति में सिंचाई कराईवेत्ति टैंक द्वारा की जाती है जो कि तमिलनाडू में सिंचाई के लिए बना सबसे बड़ा टैंक है I उत्तरपूर्वी मानसून के दौरान पानी भेजकर इस टैंक को पुल्लाम्बदी टैंक को भरा जाता हैI इसके साथ ही सालेम के मेत्तुर बाँध से भी इसे  पानी मिलता हैI

नवराय (जनवरी से अप्रैल) करैयावेत्ति में मुख्य कृषि मौसम है जिसके दौरान 120 दिन धान की फसल उगाई जाती है। इस मौसम के दौरान ट्रेक्टर और दिहाड़ी मज़दूरों के श्रम से खेतों को तैयार किया जाता हैI इसके बाद कटायी, भूसा अलग करने और अनाज को मंडी तक पहुँचाने के लिए मज़दूर बुलाये जाते हैंI इसके अलावा सारे काम घरवाले खुद ही करते हैंI पिछले नवराय मौसम में आदमियों को 600 रूपये प्रतिदिन दिहाड़ी दी गयीI इसके उलट औरतों को 300 रूपये प्रतिदिन ही मिलेI

इस साल जून से ही National South Indian River’s Interlinking Farmer’s Association (NSIRIFA) के नेतृत्त्व में कुछ किसान दिल्ली में अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रहे हैं I तमिलनाडु के लिए 40,000 करोड़ रूपये का राहत पैकेज, कृषि कर्ज़ों को माफ़ करना, कावेरी नदी मैनेजमेंट बोर्ड का गठन, सभी किसानों के लिए बीमा और उनकी फसलों के सही दाम इन किसानों की कुछ मुख्य माँगें हैं I

पिछले दो साल के सूखे के चलते पानी की कमी की वजह से आंदवार के परिवार को नवराय के मौसम के बाद उन्हें अपनी ज़मीन खाली ही छोड़नी पड़ी I 2015 में नवराय के मौसम में इस परिवार ने 120 क्विंटल धान उगाई जिसमें से उन्होंने 30 क्विंटल घरेलू उपयोग के लिए रख ली और बाकि बची धान तमिलनाडु सिविल सप्लाईज़ कॉर्पोरेशन (TNCSC) को 1420 रूपये प्रति क्विंटल पर बेच दी I 175 क्विंटल जो धान का भूसा निकला उसमें से 105 क्विंटल जानवरों के चारे के तौर पर रखकर बाकि को स्थानीय बाज़ार में 143 रूपये प्रति क्विंटल की दर से बेच दिया गया I आंदवार का परिवार एक साल में धान की फ़सल से लगभग 1.25 लाख रूपये तक की आय कमा पाए I

परिवार के पास 5 गाय और 3 भैंसें भी हैं उनसे मिलने वाला दूध बेचकर मिलने वाले रूपये तंगी के मौसम में उनकी पारिवारिक  आय का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है I लेकिन लगातार सूखा पड़ने की वजह से चारे की कमी हो गयी I जिस कारण इनके परिवार के लिए जानवर पालना मुश्किल हो गया क्योंकि उनकी अपनी ज़रूरतें पूरी करने में ही उन्हें बड़ी परेशानी हो रही थी और मजबूर होकर उन्हें अपने जानवर बेचने पड़े I

आंदवार का परिवार कर्ज़े में पूरी तरह डूबा हुआ है और पिछले साल के सूखे ने उनके हालात और भी बिगाड़ दिये हैं I 2015 में उन्होंने गहने कोओपरेटिव सोसाइटी को गिरवी रखे और 1 % ब्याज़दर से 1.35 लाख रूपये का कर्ज़ लिया I इससे पहले 2010 में वे तमिलनाडु सरकार से 7% की ब्याजदर पर 2.50 लाख रूपये का कृषि कर्ज़ भी ले चुके थे I 2017 में उन्होंने अपनी ज़रुरतें पूरी करने के लिए 1.25 लाख रूपये का कर्ज़ लिया I पिछले 7 सालों में अपना कुछ कर्ज़ चुकाने के लिए इनका परिवार अपनी 2 एकड़ ज़मीन बेच चुका है I परिवार में 4 बच्चे अभी पढ़ रहे हैं, शिक्षा का बढ़ता खर्च और रोज़मर्रा की ज़रूरतों की बढ़ती कीमतों के कारण इनके लिए अपना कर्ज़ चुकाना लगभग नामुमकिन हो गया है I

आंदवार को दर है कि अगर सरकार की तरफ से कोई मदद न मिली तो उन्हें अपनी पूरी ज़मीन बेचनी पड़ेगी I उन्होंने यह भी कहा कि उनके यहाँ सिंचाई तभी संभव है जब कावेरी नदी के पानी से जुड़ा विवाद सुलझेगा और निचले इलाकों में भी कुछ पानी पहुँचाया जायेगा I

नागराज ने कहा कि, “अगर सरकार हमें फसलों के बेहतर दाम नहीं देती और कारगर फ़सल बीमा नहीं देती तो मेरे गाँव के और भी कई किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जायेंगेI”

एम.एस. रौनक जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर हैं और श्रेष्ठा सारस्वत सोसाइटी फॉर सोशल एंड इकॉनोमिक रिसर्च में रिसर्च फेलो हैं I

इस श्रंखला का पहला भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं I

इस श्रंखला का दूसरा भाग आप यहाँ पढ़ सकते हैं I

इस श्रंखला का तीसरा भाग आप यहाँ  पढ़  सकते हैं I

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