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कर्नाटक: दशहरा के बाद सरकार और हिंदुत्व संगठनों के निशाने पर मदरसे

6 अक्टूबर की रात को दशहरा जुलूस के दौरान कुछ लोगों की भीड़ बीदर शहर में स्थित प्राचीन महमूद गवां मदरसे में जबरन घुस गई। उन्होंने हिंदू समाज के धार्मिक नारे लगाए और वहां पूजा की।
कर्नाटक: दशहरा के बाद सरकार और हिंदुत्व संगठनों के निशाने पर मदरसे
बीदर स्थित महमूद गवां मदरसा, साभार: कर्नाटक ट्रैवेल ब्लॉगस्पॉट

कर्नाटक में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा सुर्खियां बटोर रही है। इस बीच, राज्य में मदरसे हिंदुत्व संगठनों का निशाना बन गए हैं।

10 अक्टूबर को हिंदू राष्ट्र सेना ने पूरे कर्नाटक में मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दवनगीरी ज़िला कलेक्टर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध के माध्यम से हिंदू राष्ट्र सेना ने दावा किया कि मदरसे नफ़रत और कट्टरता के केंद्र थे।

दवनगीरी शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता आनंद राजू ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "हिंदू राष्ट्र सेना के कुछ सदस्यों ने कर्नाटक में चल रहे मदरसों पर कार्रवाई की मांग की।"

राजू ने न्यूज़क्लिक को बताया, "मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग समाज में नफ़रत फैलाने और समाज का ध्रुवीकरण करके चुनावी लाभ उठाने की भाजपा सरकार की बड़ी योजना का हिस्सा है।"

हिंदुत्ववादी संगठन का दवनगीरी जैसी ही मांग कर्नाटक के बीदर ज़िले में सामने आई है।

6 अक्टूबर की रात को दशहरा जुलूस के दौरान कुछ लोगों की भीड़ बीदर शहर में स्थित प्राचीन महमूद गवां मदरसे में जबरन घुस गई। उन्होंने हिंदू समाज के धार्मिक नारे लगाए और पूजा की।

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो क्लिप में मदरसा स्थल पर पूजा करते हुए कई लोगों को भवानी मां की जय, भारत माता की जय और हिंदू धर्म की जय जैसे नारे लगाते हुए दिखाया गया है।

उत्तरी कर्नाटक के इस शहर में स्थित ऐतिहासिक स्थल महमूद गवां मदरसा में गुरुवार तड़के दशहरा उत्सव के दौरान पूजा की गई थी।

महमूद गवां मदरसा ने 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल बनने की सूची में जगह बनाई थी।

कर्नाटक में अगले साल मई में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा माहौल को सांप्रदायिक बनाने के मामले सामने आ रहे हैं।

बीदर मदरसा की घटना पूर्व नियोजित सांप्रदायिक प्रयास थी

दशहरे के मद्देनज़र हुई इस घटना से बीदर में स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। कई लोग इसे सामाजिक-धार्मिक सद्भाव को अस्थिर करने का एक पूर्व नियोजित और सुनियोजित प्रयास मानते हैं।

मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र और बीदर के रहने वाले मोहम्मद जीशान अली ने न्यूज़क्लिक को बताया, "घटना 6 अक्टूबर की रात 1 बजे की है। घटना का वीडियो वायरल किया गया था। दोपहर में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ-साथ एएसआई ने जाकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की। बीदर टाउन पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गई।”

जीशान ने कहा कि इस घटना के बाद से स्थानीय लोग काफ़ी सदमे में हैं।

जीशान के मुताबिक़, मदरसे में घुसने की पूरी घटना स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में हुई जिसके बाद मदरसे में पूजा की गई और मीनार पर भगवा रंग फेका गया।

इस घटना के अगले दिन बीदर पुलिस के एएसपी और डीएसपी ने कड़ी कार्रवाई का वादा करते हुए प्रदर्शनकारियों से बात की।

बीदर टाउन पीएसआई ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "6 अक्टूबर को पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उनमें से चार को गिरफ़्तार किया। इन नौ लोगों में नरेश गौली, प्रकाश, वीनू, मन्ना, सागर बंटी, जगदीश गौली, अरुण गौली, गोरख गौली और गणेश गौली शामिल हैं।"

स्थानीय लोगों के इस घटना के पीछे हिंदुत्व संगठनों के होने का दावा करने के बावजूद पुलिस अधिकारियों ने गिरफ़्तार आरोपियों का किसी भी दक्षिणपंथी संगठन से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया है।

बीदर के एक अन्य स्थानीय निवासी वाजिद गुलबर्गवी ने कहा कि मदरसे में पूजा की रस्म हिंदुत्ववादी संगठनों का एक पूर्व नियोजित कार्य था।

उन्होंने यह भी कहा कि यह दो पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हुआ और स्थानीय लोगों ने इसे नापाक मंशा से इस सांठगांठ बताते हुए का विरोध किया और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।

लगातार निशाने पर मदरसे

चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नज़दीक है ऐसे में राज्य में हिंदुत्ववादी संगठन समाज को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने और माहौल ख़राब करने का काम कर रहे हैं।

मदरसों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए उकसाने के मामले इस साल की शुरुआत में उस समय शुरू हुए जब भाजपा सांसद रेणुकाचार्य ने राज्य में मदरसों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और उन पर राष्ट्र विरोधी शिक्षा का प्रचार करने का आरोप लगाया।

अगस्त महीने में राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने मदरसों के शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए जांच की घोषणा की थी।

अक्टूबर में, राज्य शिक्षा विभाग राज्य के सभी मदरसों का सर्वेक्षण करेगा। इस तरह के निर्णय पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए थे।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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