NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
“कृषि में विफल 'टीआरएस' पट्टेदार किसानों के मामले में भी नाकाम रही”
"भूमि पर किसी प्रकार का मालिकाना हक़ न रखने वाले सबसे उपेक्षित किसान के प्रति टीआरएस पार्टी के नकारात्मक रवैये की किसान, एक्टिविस्ट और किसान संघ कड़ी निंदा कर रहे हैं।"
पृथ्वीराज रूपावत
06 Dec 2018
TELANGANA KISAN
तेलंगाना में कृषि समस्या के चलते आत्महत्या करने वाले किसानों की तस्वीर लिए उनके परिवारों की महिला सदस्य। ये तस्वीर नई दिल्ली में 30 नवंबर को 'किसान मुक्ति मार्च' के दौरान ली गई।

तेलंगाना फार्मर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, रायथू स्वराज्य वेदिका और तेलंगानना रायथंगा समिति सहित कई किसान संगठनों ने 4 दिसंबर को किसानों और कृषक श्रमिकों से आह्वान किया है कि 7 दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में उन राजनीतिक दलों को वोट न दें जो अब तक बड़े पैमाने पर हुए कृषि संकट का समाधान करने में नाकाम रहे हैं।

किसान संघों का कहना है कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार ने 15 लाख से अधिक पट्टेदार किसानों को कृषक के रूप में भी नहीं माना है। संघ का कहना है कि इन्हें रायथू बंधु (प्रति वर्ष 4,000 रुपये प्रति एकड़ का निवेश भत्ता) और रायथू बीमा (किसानों को 5 लाख रुपये का बीमा) योजनाओं के दायरे से बाहर रखा गया है।

रायथू स्वराज्य वेदिका की नुमाइंदा किरण विस्सा ने कहा, "मुख्य रूप से पट्टेदार किसानों तक किसान योजना का लाभ पहुंचाने की मांग को लेकर किसान के संगठनों द्वारा कई विरोध प्रदर्शन किए गए लेकिन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस मांग की अनदेखी कर दी।" उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों को लेकर जारी टीआरएस के घोषणापत्र में पट्टेदार किसानों और कृषि श्रमिकों के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की गई।

विस्सा ने कहा, "सबसे कमज़ोर किसान जिनके पास किसी प्रकार का भू-स्वामित्व नहीं है उसके प्रति टीआरएस पार्टी के नकारात्मक रवैये को लेकर किसान,कार्यकर्ता और संघ गंभीरता से निंदा कर रहे हैं।"

इस वर्ष की शुरुआत में किए गए एक सर्वे के अनुसार वर्ष 2014 से आत्महत्या करने वाले किसानों में 75 प्रतिशत से ज़्यादा पट्टेदार किसान हैं। ऐसा अनुमान है कि पिछले चार वर्षों में राज्य में 4,000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है जो कि देश में सबसे ज़्यादा है।

गडवाल ज़िले के अनंतपुर गांव ताल्लुक़ रखने वाले 45 वर्षीय पट्टेदार किसान खाजा मोबिन कहते हैं, "तेलंगाना राज्य की ये पहली सरकार पिछली सरकारों से कोई अलग नहीं है जिसने यहां शासन किया है।" अनंतपुर गांव के लगभग सभी परिवारों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही है। इस गांव की आबादी लगभग 4000 है। इनमें से लगभग 80 प्रतिशत पट्टेदार किसान हैं, जिनके पास केवल 0-1 एकड़ ही भूमि है जबकि शेष ज़मींदार हैं जो कम से कम 10 एकड़ भूमि के मालिक हैं। पट्टेदार किसान उन ज़मींदारों पर निर्भर करते हैं जो पट्टेदार किसानों को अपनी कृषि भूमि पट्टे पर देते हैं।

मोबिन कहते हैं कि औसतन एक पट्टेदार किसान (महिला या पुरुष) कड़ी मेहनत करके केवल 200 रुपये प्रति दिन ही कमा पाता है। वे कहते हैं, "अनंतपुर गांव में एक पट्टेदार किसान को एक एकड़ भूमि पट्टे पर लेने के लिए 15,000 रुपये का अग्रिम भुगतान करना पड़ता है। कृषि के दौरान, किसानों को बीज, कीटनाशक, कृषि श्रमिकों आदि के लिए विभिन्न चरणों में पैसा निवेश करना पड़ता है। एक सीजन (6 महीने) के आखिर में, 25 से 30 बोरी (धान की फसल के लिए प्रत्येक बोरी 70किलो) का उत्पादन तभी होता है जब सबकुछ ठीक हो। इतना मेहनत करने के बाद सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुताबिक़ प्रति बोरी उन्हें केवल 1,600 रुपये ही मिल पाएगा।"

मोबिन पिछले 20 वर्षों से पट्टेदार किसान के रूप में कृषि करते रहे हैं, लेकिन वे कहते हैं कि उन्हें सरकार या बैंकों से कोई मदद नहीं मिली है क्योंकि उनके पास ज़मीन नहीं है। हर मौसम में वह ज़मींदारों से पट्टे पर पांच एकड़ भूमि लेकर धान की फसल उगाते रहे हैं। वह हाल ही में तेलंगाना रायंतंगा समिति में शामिल हुए हैं और किसानों के संघों की शक्ति में विश्वास करते हैं। विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहे मोबिन न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहते हैं, "वर्ष 2017 में फसलों के लिए ख़ास तौर से महत्वपूर्ण समय पर जब सरकार ने जूराला बांध से नहरों में पानी छोड़ने पर रोक लगा दी तो गडवाल में सैकड़ों किसान इकट्ठा हुए और कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया। नतीजतन सरकार को नहरों में पानी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा जिससे लगभग 100 करोड़ रुपए का फसल बचा गया।"

किसान अधिकारों के कार्यकर्ताओं का कहना है कि टीआरएस सरकार क़र्ज़माफी के वादे सहित मौजूदा लाइसेंस्ड कल्टिवेटर्स एक्ट, 2006 के अनुसार पट्टेदार किसानों को ऋण पात्रता कार्ड जारी करने, पोडू किसानों को भूमि दस्तावेज़ के मामले, एमएसपी, मिलावटी बीज तथा कीटनाशकों जैसे कई मुद्दों पर नाकाम साबित हुई है।

आदिलबाद के रहने वाले किसान अधिकारों के कार्यकर्ता और तेलंगाना रायतंगा समिति के महासचिव सयन्ना कहते हैं, "टीआरएस वादा कर रही है कि अगर वो सत्ता में फिर से आती है तो रायथू बंधु योजना के तहत 5000 रुपये प्रति एकड़ तक निवेश भत्ता बढ़ाएगी, लेकिन वह वास्तविक मुद्दों पर चर्चा बात नहीं कर रही है।"

न्यूज़़क्लिक के साथ एक साक्षात्कार में सयन्ना ने कहा: "रायथू बंधु योजना कृषक की वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं करती है। इस योजना के तहत कुल 55 लाख लाभार्थी किसानों में कृषि भूमि का 50 प्रतिशत से अधिक का स्वामित्व केवल एक लाख बड़े ज़मींदारों के पास है। दूसरी तरफ हालांकि नौ लाख ग़रीब किसानों को अभी भी उनके भूमि का पट्टा हासिल करना बाक़ी है वहीं पट्टेदार किसान, दान भूमि पर खेती करने वाले किसान, पोडू भूमि को किसी तरह की सहायता नहीं दी जाती है।"

सयन्ना का कहना है कि लाखों विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (चेन्चूस, कोलम, कोंडा रेड्डी और थोटिस) हैं जो राज्य भर में पोडू कृषि कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि जो भी पार्टी सरकार बनाती है उसे इस समूह को कृषि के लिए कम से कम 1 लाख निवेश सहायता प्रदान करनी चाहिए और उन्हें पट्टा देकर सुरक्षित करना चाहिए।

एमएसपी के मुद्दे पर किसानों के संगठनों ने राज्य सरकार से उपयुक्त क़ानून की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया है ताकि किसानों को बेहतर क़ीमत मिल सके। मोबिन का कहना है, "गांव या ज़िले में फसलों का एमएसपी वहां काम कर रहे किसानों के संघों द्वारा तय किया जाना चाहिए न कि राज्य की राजधानी में बैठे कुछ अधिकारियों द्वारा।"

राज्य में रायथू स्वाराज्य वेदिका के सदस्य कोंडल का कहना है, "टीआरएस सरकार भूमिहीन ग़रीब दलितों को तीन एकड़ भूमि देने के अपने वादे को लागू करने में ही विफल रही। दूसरी तरफ ये सरकार उन्हें भी किसान नहीं मानती जो लीज और कृषि के लिए ज़मीन लेते हैं। वे सवाल करते हैं, उपेक्षित पट्टेदार किसान टीआरएस को आखिर वोट क्यों देंगे?" कोंडल 'वॉयस ऑफ फार्मर्स' नाम से एक ऑनलाइन अभियान चला रहे हैं, जिसमें किसानों को अपना वोट समझदारी से देने का आग्रह कर रहे हैं। न्यूज़़क्लिक से बात करते हुए कोंडल कहते हैं टीआरएस सरकार ने आत्महत्या करने वाले सभी किसानों के परिवारों को भी अब तक मुआवजा नहीं दिया है और न ही उन्होंने अपने घोषणापत्र में इस मुद्दे को शामिल किया है।

Telangana elections 2018
Assembly elections 2018
TRS GOVT
kisan andolan
anti farmer
farmer crises

Trending

क्या फिर से मंदिर मस्जिद के नाम पर टकराव शुरू होगा?
क्या राजनेताओं को केवल चुनाव के समय रिस्पना की गंदगी नज़र आती है?
बंगाल चुनाव: पांचवां चरण भी हिंसा की ख़बरों की बीच संपन्न, 78 फ़ीसदी से ज़्यादा मतदान
नौकरी देने से पहले योग्यता से ज़्यादा जेंडर देखना संविधान के ख़िलाफ़ है
भाजपा की विभाजनकारी पहचान वाले एजेंडा के कारण उत्तर बंगाल एक खतरनाक रास्ते पर बढ़ सकता है
लेबर कोड में प्रवासी मज़दूरों के लिए निराशा के सिवाय कुछ नहीं

Related Stories

किसान आंदोलन और दलित आंदोलन के बीच एकता के गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं
लाल बहादुर सिंह
किसान आंदोलन और दलित आंदोलन के बीच एकता के गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं
14 April 2021
चौतरफा बढ़ते संकट और
किसानों ने धूम धाम से मनाई बैशाखी
न्यूज़क्लिक टीम
किसानों ने धूम धाम से मनाई बैशाखी
13 April 2021
किसानों ने किया KMP Highway बंद, नेता बोले संघर्ष और तेज होगा
न्यूज़क्लिक टीम
किसानों ने किया KMP Highway बंद, नेता बोले संघर्ष और तेज होगा
10 April 2021

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • MIgrants
    दित्सा भट्टाचार्य
    प्रवासी श्रमिक बगैर सामाजिक सुरक्षा अथवा स्वास्थ्य सेवा के: एनएचआरसी का अध्ययन
    20 Apr 2021
    ‘अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों का अनुभव एक सहायक नीतिगत ढाँचे की ज़रूरत पर ध्यान दिला रहा है। प्रवासी श्रमिकों की इन जटिल समस्याओं का निराकरण करने के लिए केंद्र, राज्य एवं समुदाय आधारित संगठनों द्वारा…
  • Election Commission of India
    संदीप चक्रवर्ती
    बंगाल चुनाव: निर्वाचन आयोग का रेफरी के रूप में आचरण उसकी गरिमा के अनुकूल नहीं
    20 Apr 2021
    निर्वाचन आयोग ने बंगाल में जारी लंबी चुनावी प्रक्रिया में आलोचना के कई कारण दे दिए हैं। अगले तीन चरण बहुत महत्वपूर्ण हैं।
  • library
    अनिल अंशुमन
    ख़ुदाबख़्श खां लाइब्रेरी पर ‘विकास का बुलडोजर‘ रोके बिहार सरकार 
    20 Apr 2021
    ख़ुदाबख़्श खां लाइब्रेरी के प्रति वर्तमान सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये और तथाकथित फ्लाई ओवर निर्माण के नाम पर लाइब्रेरी के वर्तमान अध्ययन कक्ष लॉर्ड कर्ज़न रीडिंग रूम को तोड़ने के सरकारी फरमान के खिलाफ…
  • tunisia
    पीपल्स डिस्पैच
    ट्यूनीशियाई राज्य समाचार एजेंसी टीएपी के विवादास्पद प्रमुख ने विरोध के बाद इस्तीफा दिया
    20 Apr 2021
    देश के पत्रकार संघ ने बाद में घोषणा की कि वह 22 अप्रैल को अपनी पहली हड़ताल की योजना को वापस लेगा और इसके साथ ही सरकार के बारे में समाचारों के बहिष्कार को भी बंद करेगा।
  • corona
    अजय कुमार
    20 बातें जिन्हें कोरोना से लड़ने के लिए अपना लिया जाए तो बेहतर!
    20 Apr 2021
    न लापरवाह रहिए, न एकदम घबराइए। न बीमारी से डरिए, न सरकार से। जहां जब जो ज़रूरी हो वो सवाल पूछिए, वो एहतियात बरतिये।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें