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कृष्णा सागर बांध परियोजना से किसानों की आजीविका और पर्यावरण को ख़तरा

इस क्षेत्र में जारी अवैध खनन के ख़िलाफ़ विरोध तेज़ करते हुए किसानों और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से मुलाक़ात के लिए 150 किलोमीटर तक मार्च किया।
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अपने हाथों में पत्थर लिए कर्नाटक के मंड्या इलाक़े के किसान 150 किलोमीटर चलकर बेंगलुरु पहुंचे। 17 नवंबर को आयोजित किसानों के इस मार्च का मकसद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से मुलाक़ात कर कृष्णा राजा सागर (केआरएस) बांध पर मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी विकास परियोजना के तहत इलाक़े में जारी अवैध कार्यों की जानकारी देना था।

न्यूज़क्लिक के साथ बात करते हुए कार्यकर्ता डॉ. वासु ने कहा, "प्रतिबंध के बावजूद इस क्षेत्र में अवैध खनन लोगों के लिए ख़तरे की घंटी है, जो भूकंपीय गतिविधि वाले इस क्षेत्र को ख़तरनाक बना रहा है।" उन्होंने कहा, "एक बार इसके नुकसान हो जाने के बाद भरपाई नहीं हो सकती है।"

इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने और विशाल प्रतिमा के निर्माण की प्रवृत्ति को जारी रखने के क्रम में राज्य सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका में डिज़नीलैंड पार्क की तर्ज पर राज्य में कृष्णा राजा सागर बांध पार्क विकसित करने की योजना बना रही है। प्रस्तावित परियोजना में मंड्या जिले के जलाशय के पास 360 फीट ऊंचा संग्रहालय परिसर और "मां कावेरी" की 125 फीट की प्रतिमा शामिल है।

विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान और कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में अवैध खनन फौरन रोक दिया जाना चाहिए। इस क्षेत्र के विकास का वादा करने वाली इस परियोजना से उस भूमि के शक्तिहीन होने की संभावना है जिसके जीर्णोद्धार की तत्काल आवश्यकता है। ज़मीनी स्थिति के बारे में बताते हुए डॉ. वासु ने कहा, "यह क्षेत्र राज्य में सबसे ज़्यादा किसानों की आत्महत्या का साक्षी है और यहां पानी का संकट जारी है, लेकिन इन मुद्दों को नज़रअंदाज़ करते हुए राज्य सरकार एक और प्रतिमा निर्माण करना चाहती है।"

प्रतिबंध के बावजूद अवैध खनन जारी रहा

हाल ही में मंड्या के डिप्टी कमिश्नर ने केआरएस बांध के चारों ओर 20 किलोमीटर की क्षेत्र में खनन, पत्थर उत्खनन और इसी तरह की अन्य सभी कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया था। कर्नाटक स्टेट नेचुरल डिजास्टर मॉनिटरिंग कमेटी (केएसएनडीएमसी) की सिफारिशों के बाद ये प्रतिबंध लगाया गया था। कमेटी ने ज़िला प्रशासन को बांध के आसपास खनन क्षेत्रों में तेज़ विस्फोटों के चलते बांध की संरचना के नुकसान और फ्रैक्चर की जांच करने का निर्देश दिया था। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मैसूर, श्रीरंगपट्टन, पांडवपुरा और मंड्या के कुछ हिस्सों में उच्च तीव्रता की आवाज़ सुनी गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि ये आवाज़ इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों की हो सकती है।

जल संसाधन विभाग ने पहले यह भी कहा था कि खनन क्षेत्रों में उच्च तीव्रता वाले विस्फोटों के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण के अलावा आसपास के इलाकों की इमारतों और घरों में दरार आ रही है।

किसी भी प्रमुख बांध के स्थान से 2 किलोमीटर की परिधि के भीतर खनन विस्फोटक गतिविधि पर प्रतिबंध लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए केएसएनडीएमसी के अधिकारियों ने मंड्या ज़िला प्रशासन और सिंचाई विभाग के अधिकारियों से केआरएस बांध के रखरखाव, फ्रैक्चर और अन्य सिविल संबंधित नुकसान की नियमित रूप से जांच करने के लिए कहा था। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन आदेशों के बावजूद इस क्षेत्र में खनन गतिविधि अभी भी चल रही है जिससे किसान बेंगलुरू के फ्रीडम पार्क की तरफ मार्च करने को मजबूर हुए।

इस विरोध प्रदर्शन के बाद जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार और पर्यटन मंत्री एसआर महेश ने बुधवार को 1,200 करोड़ रुपये के प्रस्तावित परियोजना के बारे में चर्चा करने के लिए बुधवार को बैठक की जिसे जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। केआरएस बांध पार्क को विकसित करने की परियोजना को पहली बार मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बजट में इस साल की शुरुआत में पेश किया गया था। हालांकि, किसानों और कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना की मंज़ूरी के लिए रास्ता निकाला है जो सरकार के लिए काफी मुश्किल है।

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