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कश्मीर : 370 हटने के बाद से पर्यटन क्षेत्र संकट में

राज्य के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, पिछले तीन महीनों में विदेशी पर्यटकों सहित कुल 20,000 से कुछ अधिक सैलानी कश्मीर की यात्रा पर आए, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान यह संख्या 2,28,905 थी।
कश्मीर

कश्मीर में आज पर्यटन क्षेत्र अपने निम्नतम बिंदु पर है क्योंकि धारा 370 के निरस्त होने और अक्टूबर माह से ग़ैर-स्थानीय लोगों पर बढ़ते हिंसक हमलों के बाद से यह जोखिम और अनिश्चितता का सामना कर रहा है।

सरकार द्वारा घोषित बंदी और नागरिकों की बंदी के बीच घाटी में पर्यटकों की आवक प्रतिदिन जारी है, लेकिन पिछले वर्षों के मुक़ाबले यह संख्या काफ़ी कम है। राज्य के पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, पिछले अगस्त में सरकार द्वारा घोषित बंदी की शुरुआत के बाद से पिछले तीन महीनों में विदेशी सैलानियों सहित 20,000 से कुछ अधिक पर्यटक कश्मीर का दौरा कर चुके हैं। हालांकि, पिछले वर्ष कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की यह संख्या 2,28,905 थी, और यह संख्या दर्शाती है कि अस्थिरता के चलते पर्यटन क्षेत्र किस क़दर प्रभावित हुआ है।

इससे पहले 2 अगस्त को, सरकार की ओर से कश्मीर की यात्रा पर गए सभी पर्यटकों को एडवाइज़री जारी की गई थी, जिसमें उन्हें अपनी यात्रा को तत्काल समाप्त कर घाटी छोड़ने का निर्देश दिया गया था, और यह निर्देश 5 अगस्त को होने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के एकतरफ़ा फ़ैसले को ध्यान में रखकर दिया गया था। भारी संख्या में पर्यटक घाटी छोड़ने लगे और कुछ ही दिनों में घाटी पर्यटकों से ख़ाली हो गई, जिसके चलते पर्यटन क्षेत्र से जुड़े होटल व्यवसाय, हाउसबोट और परिवहन सेवाओं सहित सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को एक तगड़ा झटका लगा।

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इसके बाद 9 अक्टूबर को फिर से सरकार ने कश्मीर यात्रा पर से प्रतिबंध को हटा लिया है, और एक दूसरी एडवाइज़री में लोगों से कश्मीर की यात्रा को फिर से शुरू करने की अपील की है। पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि यात्रा पर लगे इस प्रतिबंध के दौरान 1,373 विदेशियों सहित कुल 8,404 पर्यटकों की आमद दर्ज हुई है।

और यात्रा पर लगे इस प्रतिबंध के हटने के बाद से अक्टूबर के महीने में, कुल 9,327 पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया है जिसमें 824 विदेशी सैलानी शामिल थे।

सरकार की कथित तौर यह समझ कि अब घाटी की स्थिति में सुधार हो चुका है और यात्रा पर प्रतिबंध समाप्त करने के बाद से, कश्मीर में ग़ैर-स्थानीय लोगों के लिए हालात और बदतर हो गए हैं, और सेब व्यापारियों और मज़दूरों सहित कई आगंतुकों को संदिग्ध आतंकवादियों ने इस बीच अपना निशाना बनाया है, जिसमें अभी तक हुए कुल सात हमलों में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। पर्यटन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने न्यूजक्लिक को बताया है, "इन हमलों के चलते स्थिति और ख़राब हुई है, और कई लोगों ने अपनी कश्मीर यात्रा की योजना को रद्द कर दिया है।"

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम इलाक़े में पांच बंगाली पर्यटकों की हत्या ने भी इस सीज़न में पर्यटकों के आगमन को प्रभावित किया है क्योंकि इस समय सबसे अधिक घरेलू पर्यटक पश्चिम बंगाल से आते हैं और उसके बाद गुजरात राज्य से।

पर्यटक अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर माह वैसे तो पर्यटन के लिहाज से हल्का सीज़न माना जाता है लेकिन पश्चिम बंगाल से बहुत सारे लोग इन्हीं महीनों के दौरान घुमने-फिरने के लिए आते हैं।

हालांकि, विभाग की नज़र अब सर्दियों की आवक पर है। अधिकारी के अनुसार, "दिसम्बर से विंटर सीज़न का पर्यटन अपनी रफ़्तार पकड़ लेता है और सर्दियों का मौसम भी यहाँ का पीक सीज़न माना जाता है, जिसके दौरान ढेर सारे विदेशी पर्यटक गुलमर्ग के प्रसिद्ध स्की-रिसोर्ट जैसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं।"

जहाँ एक ओर पर्यटन क्षेत्र पर बंदी के चलते लगातार संकट जारी है वहाँ घाटी में आने वाले यात्रियों को लगातार कई दूसरी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।

कुबेर जो मुंबई निवासी हैं, और पहली बार अपने परिवार और दो अन्य परिवारों के साथ कश्मीर की यात्रा पर निकले हैं, लेकिन यात्रा पर लगी रोक हटने के बाद से बढती हिंसा से पैदा हुए हालात के बावजूद उन्होंने अपनी कश्मीर यात्रा की योजना पर डटे रहे। उनका कहना है, “हम भयभीत नहीं हैं और तमाम राजनीति के बावजूद यहाँ के लोगों का व्यवहार गर्मजोशी भरा है। लेकिन, यहाँ पर सारी दुकानें बंद हैं, जबकि मुझे यहाँ से ढेर सारी ख़रीदारी करनी थी और मैं चाहता था कि यहाँ के स्थानीय रेस्तरां में भोजन का आनंद लिया जाए।“

दूसरी ओर, सोमवार (4 नवंबर) को शहर के मुख्य व्यावसायिक केंद्र लाल चौक पर ग्रेनेड विस्फ़ोट में एक अन्य ग़ैर-स्थानीय रिंकू कुमार की मौत हो गई है, और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हैं।

श्रीनगर, पहलगाम और गुलमर्ग सहित घाटी के कई हिस्सों में होटल धीरे-धीरे खुलने शुरू हो गए हैं। गुलमर्ग के एक होटल मैनेजर ने बताया, "पर्यटकों की आमद अभी भी बेहद कम है, और अनिश्चितता के चलते उनके व्यापार की संभावनाओं पर संकट के बादल छाए हुए हैं। अभी फ़िलहाल अधिकतम तीन से चार बुकिंग ही प्राप्त हो रही हैं।" 

अनुच्छेद 370 के निरस्त करने से भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते गुलमर्ग भी अगस्त और सितंबर की शुरुआत में कई दिनों तक नो-गो क्षेत्र बना रहा। तब से केबल-कार सेवा फिर से शुरू हो गई है और अक्टूबर के महीने में, गुलमर्ग के मैदानों में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र गोंडोला की 1,600 लोगों ने सवारी की है।

अधिकारियों के अनुसार, इस समय आने वाले पर्यटकों की कोई ख़ास पसंदीदा जगह नहीं है, लेकिन वे दक्षिण कश्मीर के श्रीनगर और पहलगाम के साथ-साथ उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग और सोनमर्ग का दौरा कर रहे हैं। हालांकि, पर्यटन विभाग ने ट्रैवल प्लानर्स और टूर ऑपरेटरों को निर्देशित किया है कि शोपियां और कुलगाम ज़िलों जैसे कुछ पर्यटक स्थलों पर तनाव अधिक है, वहाँ यात्रियों के लिए प्लान बनाने से बचें।

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