कश्मीरः सरकार के ख़िलाफ़ लोगों का 'सिविल कर्फ़्यू’
धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में पाबंदियां शुक्रवार को 18वें दिन में प्रवेश कर चुकी हैं। इसको लेकर घाटी में जनजीवन प्रभावित है। इन पाबंदियों के चलते लोग घाटी से बाहर रह रहे अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही,घाटी के ज़्यादातर हिस्सों में केंद्र के फ़ैसले और जारी संकट के ख़िलाफ़ अपनी नाराज़गी व्यक्त करने के लिए लोगों द्वारा सरकार के फ़ैसले के समानांतर अघोषित बंद किया जा रहा है।
शहर के बीच स्थित लाल चौक के इर्द गिर्द सैकड़ों दुकानें बंद रहीं। हालांकि आवासीय क्षेत्रों में दुकानें सुबह सवेरे और देर शाम में खुलती हैं। इस वक़्त लोग ज़रूरत के सामान की ख़रीदारी करते हैं।
दुकानदारों का कहना है कि भले ही सरकार द्वारा कर्फ़्यू हटा लिया जाता है फिर भी विरोध व्यक्त करने के लिए वे अपनी दुकानों को बंद रख रहे हैं। जवाहर नगर के एक दुकानदार ने कहा, "हम सरकार के ख़िलाफ़ सिविल कर्फ़्यू लगा रहे हैं और यह महत्वपूर्ण है इसलिए इस बार हम अपना विरोध दिखा रहे हैं।"
घाटी में सभी दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बंद होने के चलते लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
लाल चौक के एचएसएच स्ट्रीट में एक कपड़ा व्यापारी आसिफ़ कहते हैं कि गर्मी का मौसम चरम पर है। उन्होंने कहा, "ज़्यादातर शादियां अगस्त और सितंबर के दौरान होती हैं और ये कारोबार का सबसे अहम वक़्त होता है लेकिन इस साल तो यह ख़त्म हो गया है।"
इस साल व्यापारियों के लिए तब मुश्किल बढ़ गई जब सरकार ने पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को घाटी छोड़ने के लिए कहा। सरकार के इस आदेश ने राज्य में काम करने वाले दर्ज़ी, पेंटर, सोनार, नाई जैसे अनौपचारिक क्षेत्र के सैंकड़ों कुशल मज़दूरों को भयभीत कर दिया।
लाल चौक के एक अन्य दुकानदार का कहना है, "मेरे पास दिए गए पिछले ऑर्डर का ढ़ेर है क्योंकि मेरे ज़्यादातर ग्राहक यहां नहीं पहुंच सकते हैं। मुझे लगता है कि शादियों को रद्द कर दिया गया है।"
नोवगाम के वानबल इलाक़े में रहने का फ़ैसला करने वाले एक ग़ैर-कश्मीरी नाई के पासे आज कल बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। बिहार के रहने वाले नाई के दोस्त की टायर-मरम्मत करने की दुकान है। दोनों एक ही समय में काम करते हैं। वे सुबह 9 बजे तक और फिर शाम 6 बजे के बाद काम करते हैं।
अगस्त के लिए शादी के सभी दावत को या तो रद्द कर दिया गया है या तो छोटा-मोटा आयोजन करके संपन्न किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि आमतौर पर शादियों में शामिल होना मुश्किल होता है और अक्सर ख़तरनाक होता है।
दावत में शामिल होने के लिए श्रीनगर के बाहरी इलाक़े के सौरा से अपनी पत्नी और भाई के साथ कार से आ रहे एक व्यक्ति ने लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तो तय कर ली लेकिन नोहट्टा के लिए एक किलोमीटर जाना उतना आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि एक क़रीबी रिश्तेदार के यहां शादी हो रही है इसलिए उन्हें उसमें शामिल होना ज़रूरी है।
व्यक्ति ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि “शादियों में शामिल होना भी एक काम है। इसलिए वहां पैदल पहुंचने के ख़याल से मैंने अपनी कार एक कॉलेज के आसपास बीच रास्ते में ही छोड़ दी।“
अधिकांश शादियां साधारण तरीक़े से संपन्न हो गई हैं क्योंकि कश्मीरी शादी के दौरान सबसे बड़ा आकर्षण वज़वान जिसकी 200-300 लोगों को भोजन करना की क़ीमत लाखों रुपए होती है उसे रद्द कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि उन्होंने समाज के साथ एकजुटता दिखाने के लिए शादियों या अन्य समारोहों में ख़र्च कम करने के उपाय किए हैं।
एक युवा उद्यमी सलीम की इसी महीने शादी हो रही है। वे कहते है, "मुझे लगता है कि मुझे केवल एक जोड़ी जीन्स में ही शादी करनी पड़ेगी। अागे कहते है, "परेशानी यह है कि भव्य समारोह के लिए तैयारी की गई थी और फिर अचानक से आप समारोह का आयोजन नहीं कर सकते हैं।"
लोग जितना नाराज़ धारा 370 के हटाने और राज्य का बंटवारा होने को लेकर हैं उतना ही नाराज़ 5 अगस्त को सरकार द्वारा हुई अचानक कार्रवाई और संचार पर लगाई गई पाबंदियों को लेकर हैं।
बड़ी संख्या में माता-पिता अपने बच्चों से बात करने के लिए श्रीनगर स्थित डीसी कार्यालय में लैंडलाइन के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं। इनमें से कुछ लोगों ने सुविधा केंद्र के अंदर इंतज़ार करने की प्रक्रिया को 'बेहद अपमानजनक' बताया है।
अपने बेटे से बात करने के लिए ओल्ड श्रीनगर के एक निवासी ने कहा, “हम सुबह 7 बजे के क़रीब आ जाते हैं और अब दोपहर के 1 बजे चुके हैं और मैंने अभी भी फ़ोन नहीं किया है। प्रशासन बच्चों के प्रति हमारी तड़प को आज़मा रहा है। यह ब्लैकमेल करना है।”
सिविल लाइन के कई क्षेत्रों में कुछ लैंडलाइन ने काम करना शुरू कर दिया है। इससे कुछ परिवारों को राहत मिली है। हालांकि कुछ लोग अपना लंबा बक़ाया बिल का भुगतान करने या अपने पुराने कनेक्शन को फिर से हासिल करने के लिए बीएसएनएल एक्सचेंज कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
बर्जुल्ला एक्सचेंज के बीएसएनएल के एक कर्मचारी का कहना है, “हम लोगों की भीड़ देख रहे हैं। श्रीनगर के चार एक्सचेंजों में हमने केवल सिविल लाइन क्षेत्रों में कनेक्शन दिया है। लोग बड़ी संख्या में यहां आ रहे हैं।”
एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार राज्य भर में 63,000 से अधिक लैंडलाइन कनेक्शन दिए गए हैं लेकिन लाल चौक और श्रीनगर के ज़्यादातर क्षेत्र अभी भी कनेक्शन का इंतज़ार कर रहे हैं। और, कई विद्यालय इस क्षेत्र में स्थित हैं।
यहां तक कि सरकार का दावा है कि स्कूल में पढ़ाई शुरू हो गई है लेकिन श्रीनगर में लगभग सभी स्कूल बंद हैं। दो बच्चों के पिता तसद्दुक़ ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, “इस स्थिति को देखते हुए आप कैसे सोच सकते हैं कि आप अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे। सरकार तर्कहीन तरीक़े से बात कर रही है।”
गोजगी बाग़ स्थित ओएसिस इंटरनेशनल स्कूल के दरबान ने कहा, "कोई भी यहां नहीं आता है, न ही शिक्षक या न ही छात्र, देखभाल करने वाले कुछ कर्मचारी ही अंदर हैं।"
तसदुदक आगे कहते है, "यह शिक्षा की बात नहीं है, हम अपने बच्चों को फ़र्जी 'सामान्य स्थिति' के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए स्कूल नहीं भेजेंगे।"
कई अन्य स्कूल पूरी तरह से बंद हैं। पाबंदियों के चलते सिर्फ़ स्कूल ही नहीं बल्कि स्कूली बच्चे निजी ट्यूशन की कक्षाओं में भी शामिल नहीं हो पा रहे हैं
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।