क्यों नहीं दी जाती भारतीय मज़दूरों को उचित मज़दूरी?
क्या वक़्त नहीं आ गया है कि हम अपने देश के मज़दूरों को उनका हक़ दें?
पिछले तीन दशकों में अर्थव्यवस्था में मज़दूरों द्वारा की जाने वाली मूल्यवृद्धि 210 गुना बढ़ गयी है। फिर भी मज़दूरों के हाथ में आने वाले वेतन में सिर्फ़ 14% की वृद्धि ही हुई है।क्या देश के मज़दूर इसी लायक़ हैं? क्या वो इतने कम वेतन के हक़दार हैं जिसमें कि वो पेटभर खाना भी न खा सकें और एक आधी -अधूरी सी ज़िन्दगी जियें। क्या ऐसे वो अपने बच्चों को शिक्षा, पोषण और एक बेहतर भविष्य दे पायेंगे? क्या वक़्त नहीं आ गया है कि हम अपने देश के मज़दूरों को उनका हक़ दें?
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