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केरल: एचएलएल के निजीकरण के ख़िलाफ़ युवाओं की रैली

रैली को संबोधित करते हुए डीवाईएफ़आई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एए रहीम ने कहा कि एचएलएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण से युवाओं को रोजगार की संभावनाओं में अड़चनों का सामना करना पड़ेगा और यह आरक्षण की व्यवस्था को पंगु बना देगा, जो समाज के कमजोर तबकों को सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरियां प्रदान कराने के लिए भरोसा देता है।
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तिरुवनंतपुरम: मंगलवार को 1,500 से अधिक की संख्या में युवाओं ने हिंदुस्तान लाइफकेयर लिमिटेड (एचएलएल) तिरुवनंतपुरम में एक रैली निकाली, जिसमें केंद्र सरकार से इस केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम को निजी हाथों में सौंपने के अपने फैसले को वापस लेने की मांग की गई। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (डीवाईएफआई) के द्वारा आयोजित इस ‘लॉन्ग मार्च’ को पूजाप्पुरा में स्थित एचएलएल के मुख्यालय से शुरू करते हुए राज्य की राजधानी से होते हुए पेरूरकडा की उत्पादन ईकाई तक निकालने में 12 किमी की दूरी तय की। 

रैली को संबोधित करते हुए, डीवाईएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अप्रैल में आगामी राज्य सभा के लिए होने वाली रिक्तियों के लिए वामपंथी उम्मीदवार, एए रहीम ने कहा कि केंद्र सरकार की विनिवेश को लेकर हड़बड़ी युवाओं के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है। उन्होंने आगे कहा कि एचएलएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण से युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाएं बाधित हो जायेंगी और यह आरक्षण व्यवस्था को पंगु बना देगा, जो समाज के कमजोर वर्गों को सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए आश्वासन प्रदान करता है।

चित्र साभार: देशाभिमानी 

केरल सरकार, ट्रेड यूनियनों और आम जनता के कड़े विरोध के बावजूद जहाँ एचएलएल के विनिवेश के काम को आगे बढ़ाया जा रहा है, वहीँ इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य को खुली निविदा में हिस्सा लेने और इसे राज्य के सार्वजनिक उपक्रम के तौर पर बनाये रखने के विकल्प से भी मरहूम कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे एक पत्र में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्र के इस कदम को ‘सहकारी संघवाद के सिद्धांत के विपरीत’ करार दिया है।

इससे पहले, राज्य सरकार ने केंद्र से एचएलएल के विनिवेश के अपने फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया था। जब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के विरोध के बावजूद इस मामले में आगे की कार्यवाई करने का फैसला लिया तो केरल ने खुली निविदा में भाग लेने में अपनी रूचि व्यक्त की। लेकिन केंद्र की ओर से इस बारे में प्रतिक्रिया आशाजनक नहीं रही है। निवेश एवं सार्वजिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने प्रारंभिक सूचना ज्ञापन एवं रूचि की अभिव्यक्ति के अनुसरण में सरकार/सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए रणनीतिक विनिवेश प्रकिया में भाग लेने की संभावना को ही ख़ारिज कर दिया है। 

पीएम के नाम लिखे अपने पत्र में सीएम विजयन ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि राज्य सरकार के पास ऐसे मामलों में अपने दम पर फैसला लेने के लिए संविधान प्रदत्त अधिकार हासिल हैं। उन्होंने लिखा कि यह कहीं पर भी निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि राज्य सरकार/ राज्य सार्वजनिक उपक्रम एचएलएल की निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए पात्र नहीं हैं। विजयन ने पीएम से यह भी ध्यान में रखने का आग्रह किया कि राज्य सरकार के द्वारा ही एचएलएल की भू-संपत्ति का अधिग्रहण किया गया था और एक विशिष्ट परियोजना को स्थापित करने के लिए राज्य द्वारा इसे केंद्र को सौंपा गया था। केंद्र को लिखे अपने पत्र में सीएम विजयन ने लिखा है कि, इसलिए केरल में हिंदुस्तान लाइफकेयर लिमिटेड की भूमि एवं संपत्ति को रखने का ‘पहला हक’ राज्य सरकार को दिया जाना चाहिए। 

राज्य सभा में भी इस मुद्दे को सांसद जॉन ब्रिटास के द्वारा उठाया गया था। पत्रकार से माकपा सांसद बने ब्रिटास ने मांग की कि राज्य को पारस्परिक तौर पर सहमत शर्तों के आधार पर एचएलएल को अधिग्रहित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ब्रिटास ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एचएलएल ही ऐसा एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जिसने कोविड-19 महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, “यह इसे सार्वजनिक क्षेत्र में बनाये रखने की जरूरत को दर्शाता है क्योंकि सरकार को स्वास्थ्य संबंधी मामलों में समय-असमय इस प्रकार के सहारे की जरूरत पड़ती रहती है। इसी के साथ यह भी गौरतलब है कि एचएलएल लाइफकेयर पिछले तीन वर्षों से मुनाफा कमा रही है और यह कि केरल सरकार ने बेहद प्राइम लोकेशन पर करीब 19 एकड़ जमीन मुफ्त में सौंपकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राज्य में एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड की ईकाइयों को स्थापित करने के लिए अब इससे कई सौ करोड़ रूपये अर्जित किये जा सकते हैं।”

चित्र साभार: देशाभिमानी 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत, हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड की स्थापना 1969 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की जरूरतों को पूरा करने के लिए सस्ती दरों पर प्राकृतिक रबर लेटेक्स कंडोम के निर्माण के लिए की गई थी। राज्य में प्रचुर मात्रा में रबड़ की उपलब्धता को देखते हुए, केरल के राजधानी शहर के पेरूकडा में इसकी पहली उत्पदान इकाई को स्थापित किया गया था। राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण कर इसे केंद्र सरकार को सौंप दिया था।

बाद में, पीएसयू ने अपने परिचालन को विभिन्न स्वास्थ्य उत्पादों एवं सेवाओं तक विस्तारित कर लिया। बाद के दौर में कंपनी ने अपना नाम बदलकर हिंदुस्तान लाइफकेयर कर लिया था। 2009 से अब इसके पास सात उत्पादन ईकाइयां हैं, जिनमें से चार केरल में हैं। उच्च गुणवत्ता वाले अस्पताल के उत्पादों, दवाइयों, आयुर्वेदिक, टीकों, व्यक्तिगत स्वच्छता के उत्पादों और नैदानिक किट इत्यादि के उत्पादन में अपनी प्रतिष्ठा को स्थापित करने के साथ एचएलएल प्रमुख स्वास्थ्य संकटों के समय भरोसेमंद सरकारी उद्यमों में से एक तौर पर उभरी है। इसके साथ-साथ कंपनी हिन्दलैब्स, लाइफ स्प्रिंग मैटरनिटी एंड चाइल्डकेयर हॉस्पिटल और गोवा एंटीबायोटिक्स एंड फर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (जीएपीएल) सहित सात सहायक कंपनियों का भी संचालन करती है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Kerala: Youths Rally Against HLL Privatisation, Uphold State’s First Right to Bid

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