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मध्य प्रदेश : ख़तरनाक है हत्याओं पर राजनीति

मध्य प्रदेश में हाल में हुई तीन हाई प्रोफाइल हत्याओं को राजनीतिक रंग दिए जाने से प्रदेश की राजनीतिक सहिष्णुता खत्म हो सकती है।
इंदौर में प्रदर्शन

मध्य प्रदेश में पिछले एक हफ्ते में तीन हाई प्रोफाइल हत्याओं को लेकर विपक्षी दल भाजपा ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदेश व्यापी प्रदर्शन किया। भाजपा इन हत्याओं को राजनीतिक रंग देने में लगी है। जबकि कांग्रेस के कुछ नेता भी प्रतिक्रिया में इन हत्याओं को भाजपा की अंदरूनी रंजिश बता रही है। प्रदेश में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप पहली बार लगाए जा रहे हैं। प्रदेश में राजनीतिक प्रतिशोध को लेकर अपराध बहुत कम हुए हैं और उन मामलों को बड़े पैमाने पर राजनीतिक रंग देने का प्रयास कभी नहीं हुआ।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कांग्रेस परिवर्तन की बात करती है, क्या यही परिवर्तन है, हत्याओं का दौर शुरू हो गया है। मंदसौर हत्याकांड में भाजपा से जुड़े कार्यकर्ता की गिरफ्तारी पर कांग्रेस प्रतिक्रिया दे रही है कि ये हत्याएं भाजपा के भीतर की रंजिश है। मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि पिछले 15 सालों में प्रदेश में अपराध तेजी से बढ़ा है, ऐसे में कांग्रेस की एक महीने की सरकार पर भाजपा आरोप न लगाए। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप के बीच मध्य प्रदेश में बढ़ते अपराध का मुद्दा गुम हो जाने का डर है।

पिछले 16 जनवरी को इंदौर के बिल्डर व केबल संचालक संदीप अग्रवाल की हत्या अपराधियों ने कर दी। थाने से लगभग 150 मीटर की दूरी पर घटी इस घटना से इंदौर सहित पूरा प्रदेश स्तब्ध हो गया। एक सुनियोजित साजिश के तहत इसे अंजाम दिया गया। पुलिस इसे कारोबारी विवाद बता रही है। इसे लेकर भाजपा ने कानून-व्यवस्था के सवाल उठाए। अगले ही दिन मंदसौर नगर पालिका के अध्यक्ष भाजपा नेता प्रहलाद बंधवार की हत्या हो गई। इस हत्या के बाद भाजपा और आक्रामक हो गई। शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने आरोप लगाए कि अपराधियों को कांग्रेस सरकार द्वारा राजनैतिक संरक्षण मिलने से अपराधियों के हौसले बढ़े हैं। इस हत्याकांड को पुलिस ने चंद घंटों में ही सुलझा लेने का दावा किया। प्रहलाद बंधवार के नजदीकी मनीष बैरागी को पुलिस ने इस हत्याकांड का आरोपी बताया। बैरागी भी भाजपा से जुड़ा हुआ था। उसका नाम आने पर कुछ भाजपा के नेताओं ने इससे इनकार किया, लेकिन कुछ ने स्वीकार किया कि वह साधारण कार्यकर्ता था। इस हत्या के पीछे भी जमीन एवं पैसे के लेन-देन का विवाद बताया जा रहा है। इस हत्या के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। इस पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा को इस पर राजनीति नहीं करने की सलाह दी।

इन घटनाओं के तीन दिन बाद ही 20 जनवरी को प्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन के जिले बड़वानी में भाजपा नेता का शव खेत में मिला। भाजपा के बलवाड़ी मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे सुबह की सैर पर निकले थे। उनका पत्थर से सिर कुचला हुआ शव खेत में मिला। इसी दिन बड़वानी में ही दो सर्राफा व्यापारियों के साथ लूट हो गई। इसमें 30 किलो चांदी, 20 ग्राम सोना और कुछ नकदी की लूट हो गई। इसी दिन गुना जिले के मवन पिपरिया निवासी परमाल कुशवाहा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। भाजपा इसे पार्टी के स्थानीय नेता बता रही है और वह स्थानीय कांग्रेस पर हत्याकांड का आरोप लगा रही है।

भाजपा इन अपराधों को लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रही है। और बयान दे रही है कि यदि इस पर अंकुश नहीं लगा, तो भाजपा कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेंगे। दूसरी ओर गृह मंत्री बाला बच्चन बयान दे रहे हैं कि बड़वानी की घटना भी मंदसौर के समान लग रही है। मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जिन्होंने अपने 15 साल के शासन काल में प्रदेश को अपराध प्रदेश बनाए रखा, वे एक माह की वर्तमान सरकार को कोस रहे हैं।

इस पूरे मामले को लेकर सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता बादल सरोज का कहना है कि जिस तरीके से भाजपा इस मामले को दिखाना चाहती है, वह गलत है। भाजपा के शासनकाल में अपराधी बेखौफ थे और राजनीतिक संरक्षण भी था। पुलिस की नियुक्ति भी उसी आधार पर होती थी। इसलिए इसे राजनीतिक रंग देने और बयानबाजी करने के बजाय अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कानून-व्यवस्था को ज्यादा बेहतर करने की जरूरत है, जिसकी पहल वर्तमान सरकार की ओर से अभी तक नहीं की गई है। मध्य प्रदेश को अपराध से मुक्त करने के लिए सतही प्रयासों के बजाय ठोस कार्रवाई करने और बिना राजनीतिक दबाव या बयानबाजी के अपराधियों को पकड़ने के जरूरत है।

दोनों पार्टियों की इस तरह के बयानबाजी से प्रदेश की राजनीतिक सहिष्णुता खतरे में दिखाई देने लगा है। भाजपा के कार्यकाल में यदि अपराध होते थे, तो उस आधार पर वर्तमान में हो रहे अपराधों की गंभीरता खत्म नहीं हो जाती। लेकिन जिस तरह से बयानबाजी की जा रही है, वह अपराधियों को पकड़वाने या पकड़ने के बजाय राजनीतिक ज्यादा है। यद्यपि कमलनाथ यह कहते हैं कि चाहे भाजपा के आपसी अंतर्कलह के विवाद हो या अन्य कारण, सरकार अपने कर्तव्यों का पूरा पालन करेगी। यद्यपि सरकार को भी चाहिए कि अपनी गंभीरता दिखाते हुए विपक्ष द्वारा की जा रही उच्च स्तरीय जांच की मांग को मंजूर कर विश्वास दिलाए कि वह वास्तव में अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाना चाहती है।

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