महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ हड़ताल पर अध्यापक और छात्र
बिहार के मोतिहारी में स्थित महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में 29 मार्च से अध्यापक धरने पर बैठे हुए हैं। अध्यापकों और छात्रों की माँग है कि इस केंद्रीय विश्विद्यालय के कुलपति को तुरंत हटाया जाए। दिलचस्प बात ये है कि भूख हड़ताल पर बैठे ये अध्यापक विश्वविद्यालय में चल रही परीक्षा में अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाना भी नहीं छोड़ रहे हैं। इन सभी अध्यापकों को छात्रों का भी पूरा समर्थन है, जैसे-जैसे छात्रों की परीक्षा ख़तम होती जा रही है वैसे वैसे छात्र भी अध्यापकों का साथ देने धरने पर बैठ रहे हैं।
दरअसल इस देश के सबसे नए केंद्रीय विश्वविद्यालय में अध्यापकों और छात्रों ने कुलपति के ज़ुल्मों से परेशान होकर ये निर्णय लिया है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय में छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया और कर्मचारियों की भर्ती में आरक्षण की नीति लागू नहीं किया जाता, अध्यापकों को लगातार मानसिक प्रताड़ना दी जाती है, छात्रों की फीस में अत्याधिक वृद्धि की गयी है, उनसे लाइब्रेरी में काम करवाया जाता है और पैसा नहीं दिया जाते, अध्यापकों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद किया गया और किताबों की खरीद में भारी भ्रष्टाचार किया गया है।
लेकिन अध्यापकों ने कहा कि इस हड़ताल को शुरू करने का तात्कालिक कारण ये था कि उनके साथी अध्यापक बुद्धि प्रकाश जैन ने राजस्थान विश्वविद्यालय में नौकरी के लिए आवेदन भरा था और इसीलिए उन्होंने विश्विद्यालय से NOC देने को कहा, लेकिन इसपर कुलपति अरविन्द कुमार अग्रवाल ने उन्हें मेमो भेज दिया और NOC देने से मना कर दिया। इस घटना के बाद अध्यापकों के सब्र का बाँध टूटा और वह 29 मई से धरने पर बैठे हैं। एक अध्यापक (जिन्होंने अपनी पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर हमसे बात की ) ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि पिछले साल सितम्बर में भी बिना कारण बताए कुलपति ने दो अध्यापकों को निकाल दिया था। इस कार्यवाही के बाद अध्यापकों ने मिलकर इसका विरोध किया , जिसके बाद उन्हें वापस रख लिया गया। अध्यापकों और छात्रों दोनों का आरोप है कि इस घटना के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर 3 RTI दायर की थी लेकिन अब तक ये जवाब नहीं मिला है कि क्यों उन अध्यापकों को हटाया गया था। न्यूज़क्लिक से बात करने वाले अध्यापक ने बताया कि कुलपति अध्यापकों से भरती के समय की इस्तीफा लिखा लेते हैं और फिर उनसे अपने काम करते हैं, उनसे कहा जाता है कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें निकाल दिया जायेगा।
अध्यापक ने ये भी बताया कि कुलपति कई लोगों को ये कहकर भी अपना काम करवाते हैं कि "तुम पर यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज़ करा दूंगा। " अध्यापक का ये भी दवा है कि उनके पास इस तरह की धमकियों की रिकॉर्डिंग है। उन्होंने कुलपति पर किताबों की खरीद पर भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और ये भी कहा कि अध्यापकों की नियुक्ति में भाई भतीजावाद किया जा रहा है । अध्यापकों ने इस सब के खिलाफ हाल ही में देश के राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है।
ये विश्वविद्यालय 2016 में शुरू हुआ और इसमें करीबन 650 छात्र और 68 अध्यापक हैं। अध्यापकों के आलावा छात्र भी कुलपति की तानाशाही के शिकार हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए छात्रों ने बताया गरीब छात्रों लाइब्रेरी में छात्रों से काम कराया गया जो कि छात्रों का काम नहीं है। उनसे कहा गया कि इसके लिए पैसे दिए जायेंगे लेकिन महीनों तक 4 से 5 घण्टे काम कराने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं दिए गए। इसके साथ छात्रों ने आरोप लगाया कि छात्रों का बीमा कराने का वादा किया गया था लेकिन उनसे इसके पैसे लिए जाने के बाद भी अब तक बीमा नहीं कराया गया। छात्रों के दो सबसे बड़े मुद्दे हैं फीस में मनमानी वृद्धि और आरक्षण को लागू कराने की माँग । छात्रों ने बताया कि 2016 -2017 सत्र में BA की फीस थी 4700 रुपये ,b.com और B.SC की फीस थी 5800 रुपये , लेकिन इस स्तर में इसे कई गुना बढ़ा दिया गया । अब BA की फीस है 8000 रुपये और विज्ञान के विषयों की है 1000 से 12000 रुपये और MBA और MS W 30000 से 35 000 . इस अत्याधिक फ़ीस वृद्धि से पिछड़े तबके से आने वाले छात्रों पर काफी बोझ पड़ रहा है।
छात्र और अध्यापक माँग कर रहे हैं कि कुलपति को हटाया जाए , कर्मचारियों की भर्ती और छात्रों के दाखिले में आरक्षण की नीति लागू की जाए , साउथ बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की ही तरह फीस को संचालित किया जाए , लाइब्रेरी में उनके द्वारा किये गए काम का पैसा मिले , कुलपति के भ्रष्ट्राचारी साथियों को हटाया जाए , EC के मिनट्स को सार्वजनिक किया जाए , 4 सेमिस्टर से नहीं अये परीक्षा नतीजों को निकला जाए।
अध्यापकों ने कहा है कि उन्होंने इस सब की शिकायत राष्ट्रपति और MHRD दोनों से की है। जब तब उनकी माँगे नहीं मांगी जाएँगी वह हड़ताल जारी रखेंगे और अगर उनकी बात नहीं सुनी गयी तो फिर वह कोर्ट के दरवाज़े भी खटखटाएंगे।
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