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महिला सशक्तिकरण से जुड़े सवाल उठे संसद में

संसद में 8 फरवरी को महिला सशक्तिकरण से जुड़े कई ज़रूरी सवाल उठाये गयेI
women in parliament

संसद में 8 फरवरी को महिला सशक्तिकरण से जुड़े कई ज़रूरी सवाल उठाये गयेI

पंचायतों में महिलाएँ

पंचायती राज मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री परषोत्तम रुपाला ने बताया कि वर्तमान में देश में 1,06,154 महिला पंचायत अध्यक्ष हैंI उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कमीशनड “एलेक्टेड वीमेन रिप्रेसेंटेटिवज़ (EWR) इन पंचायती राज इन्स्तिट्यूशन्ज़ (PRIs)” नाम के एक अध्ययन के हवाले से बताया कि आरक्षण नीति की वजह से महिलाओं को मुख्यधारा की राजनीति में आने, इसमें हिस्सेदार बनने के अवसर मिले हैंI बीस राज्यों में पंचायतों में  50% महिला आरक्षण हैI  

मैला उठाने वाली महिलाएँ

देश में मैला उठाने वाला काम करने वाली महिलाओं की संख्या से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री ने बताया कि जनवरी 2018 के अंत तक 11,044 महिलाओं की शिनाख्त की गयी है जो मैला उठाने का काम करती हैंI

मैला उठाने वाली 9,798 महिलाओं को एक बारगी मदद के तौर पर 40,000 रुपए दिए गयेI यह पूरी रक़म कुल मिलाकर 39.19 करोड़ रुपए थीI सरकार इतना पैसा लायी कहाँ से यह जानना भी रोचक होगा क्योंकि पिछले बजट में सरकार ने इनके पुनर्वास के लिए सिर्फ 5 करोड़ रूपए ही दिए थेI 

मंत्री ने बताया कि मैला उठाने वाली 1,246 महिलाओं को पुनर्वास का लाभ नहीं दिया जा सका क्योंकि या तो उनके बैंक अकाउंट की जानकारी मुहैया नहीं करवायी गयी थी या पूरी जानकारी नहीं थीI अगर इन महिलाओं ने सही जानकारी दी होती तो सरकार ने कुल 4,984 करोड़ रुपए की मदद मुहैया करवायी होती जबकि सरकारी आबंटन सिर्फ 20 करोड़ थीI

आंगनवाड़ी कर्मचारियों से जुड़े सवाल

एक सवाल उठा कि क्या आंगनवाडी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन से कम मानदेय दिया जा रहा हैI

सरकार ने जवाब में कहा कि आंगनवाडी में काम करने वाली महिलाएँ कर्मचारी नहीं बल्कि ‘कार्यकर्त्ता’ हैंI सरकार ने बताया कि आंगनवाडी वर्करों को प्रतिमाह 3,000 रुपए और आंगनवाडी सहायिकाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपए दिए जाते हैंI

केंद्रीय मंत्री मेनका गाँधी ने यह भी बताया कि जो वर्कर “मिनी-आंगनवाडी केन्द्रों” में काम कर रहीं हैं उन्हें 4 जुलाई 2013 से ही 2,250 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा हैI

आंगनवाडी वर्करों के लिए मैट्रिक पास होना आवश्यक हैI इसलिए यह सभी प्रधानमंत्री के उस बयान को भलीभांति समझतीं है जिसमें उन्होनें पकौड़े बेचने को एक रोज़गार कहा थाI चूंकि पकौड़े बेचना स्व-रोज़गार के अंतर्गत आता है तो किसी व्यक्ति को न्यूनतम वेतन मिल रहा है या नहीं, यह सवाल ही नहीं पैदा होताI

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