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“मिशन शक्ति” के लिए वैज्ञानिकों को बधाई, “चुनाव प्रचार” के लिए मोदी की आलोचना

नरेंद्र मोदी ने इस अभियान को अपनी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया है। जिसकी आलोचना भी हो रही है। आलोचना इस घोषणा के तरीके और टाइमिंग को लेकर हो रही है। इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी कहा जा रहा है जिसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
Photo: IANS/ Video grab RSTV

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत एंटी सैटेलाइट मिसाइल यानी उपग्रह-भेदी क्षमता हासिल कर चौथा अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है। उन्होंने इसे सभी देशवासियों के लिए गर्व का क्षण बताया। टीवी पर देश के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कहा, "हमारे वैज्ञानिकों ने कुछ समय पहले पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलीमीटर दूर एक उपग्रह को नष्ट कर दिया।"

उन्होंने कहा, "ए-सैट ने पूर्व निर्धारित लक्ष्य सिर्फ तीन मिनट में नष्ट कर दिया। इसके साथ ही भारत ने खुद को अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर स्थापित कर दिया।"

प्रधानमंत्री ने कहा, " 'मिशन शक्ति' कठिन अभियान था, लेकिन यह बहुत बड़ी सफलता है।" उन्होंने कहा कि इस अभियान में जटिल अंतरिक्ष कुशलताओं का उपयोग किया गया। अभी तक यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस के पास थी।

मोदी ने कहा कि मिशन में किसी अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "देश के लिए यह गर्व का क्षण है। हमारे वैज्ञानिकों ने यह कर दिखाया।"

उन्होंने कहा, "यह नई तकनीक किसी के खिलाफ नहीं है। यह सिर्फ देश के विकास के लिए है। हम यह सिर्फ अपनी सुरक्षा और रक्षा के लिए कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य शांति कायम रखना है, न कि युद्ध जैसे हालात बनाना।"

नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को अपनी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया है। जिसकी आलोचना भी हो रही है। आलोचना इस घोषणा के तरीके और टाइमिंग को लेकर हो रही है। सभी विपक्षी दलों ने इसे लेकर वैज्ञानिकों की तो सराहना की है लेकिन नरेंद्र मोदी पर तीखे कटाक्ष किए हैं। इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन भी कहा जा रहा है जिसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत की जा रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर परोक्ष रूप से मोदी पर कड़ा प्रहार करते हुए अपने ट्वीट में लिखा :

बहुत बढ़िया DRDO आपके काम पर बेहद गर्व है।

मैं पीएम को विश्व रंगमंच दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

सीपीआई (एम) ने भी इस काम के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी लेकिन मोदी सरकार पर सवाल भी उठाए। पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट में कहा, सीपीआई (एम) हमारे वैज्ञानिकों को लॉ अर्थ ऑरबिट सैटेलाइट के विकास, परीक्षण और लक्ष्यीकरण में एक और सफलता के लिए बधाई देती है।

इस तरह के मिशन को आम तौर पर संबंधित वैज्ञानिक प्राधिकारियों द्वारा राष्ट्र और दुनिया के लिए घोषित किया जाना चाहिए।

इसी के साथ उन्होंने बताया कि भारत ने इस क्षमता को 2012 में हासिल कर लिया था जिसे उस समय DRDO द्वारा घोषित किया था।

सीपीआई (एमएल) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा, आज एंटी-सैटेलाइट मिसाइल लॉन्च की गई है, अगला आइटम #ModiBiopic होगा, # Election2019 के दौरान कोई अन्य लॉन्च?”

उन्होंने कहा, “एक मिसाइल लॉन्च की थी, जिसे सब जानते हैं #नोटबैन जिसे लोग लंबे समय तक याद रखेंगे। मुझे लगता है कि इस पूरे चुनाव सीजन और लॉन्च की ज़रूरत होगी।

आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, कायदे से इसरो की वैज्ञानिक टीम को ही ये उपलब्धि बतानी चाहिए थी. लेकिन पुरानी कहावत है माल महाराज का मिर्ज़ा खेले होली....

गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने मैला ढोने की प्रथा और सीवर में मौत का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा वार किया। उन्होंने कहा, प्रिय प्रधानमंत्री, मैं डीआरडीओ की उपलब्धि पर खुश हूं। क्या अब हम मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से मैला उठाने की प्रथा) के उन्मूलन पर बात कर सकते हैं। माफ़ कीजिए, मैं भूल गया था कि सीवर में मौत के मामले में गुजरात दूसरे स्थान पर है। वास्तव में उपलब्धि।

इसके अलावा उन्होंने 2012 की इंडिया टुडे की ख़बर को साझा करते हुए मोदी जी की घोषणा पर सवाल उठाया। इस खबर में बताया गया है कि भारत ने लो ऑरबिट में सैटेलाइट को ध्वस्त करने की तकनीकी क्षमता सन् 2012 में ही हासिल कर ली थी।

इसी ख़बर को योगेंद्र यादव ने साझा करते हुए अपने ट्वीट में लिखा- ध्यान से देखिए, ये खबर 7 मई 2012 की है। उस दिन DRDO ने लोऑर्बिट सेटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता की घोषणा की थी। तो आज किस बात का बैंड बजा रहे हैं? वो भी चुनाव के बीचों बीच? राष्ट्र के नाम संदेश देकर? राष्ट्रीय सुरक्षा की ओट में वोट मांगना बंद करो!

एक अन्य ट्वीट में योगेंद्र यादव ने कहा कि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है? या कुर्सी की सुरक्षा का? ये चुनाव के बीचों बीच हो क्या रहा है? चुनाव आयोग कहां है? 2012 के काम का 2019 में श्रेय ले सकते हैं तो लीजिए,लेकिन चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम प्रसारण का दुरुपयोग क्यों? चुनाव जीतने के लिए कुछ भी करेंगे?

मोदी जी की घोषणा के बाद तो आलोचना का दौर चल ही रहा है। उनकी घोषणा से पहले ही उनके राष्ट्र के नाम संबोधन को लेकर सोशल मीडिया पर तीखे व्यंग्य शुरू हो गए थे। दरअसल मोदी जी ने... ट्वीट किया कि वह आज 11.45 से 12 बजे के बीच कोई बड़ी ख़बर देश से साझा करने वाले हैं।

इसी ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर व्यंग्य की बाढ़ आ गई। सब नोटबंदी की घोषणा को याद करने लगे और कहने लगे कि क्या फिर 500 या 2000 का नोट बंद होने वाला है। कभी मोदी जी घोषणा करें कि आज रात 12 बजे के बाद फलां-फलां नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे। कुछ ने मज़ाक किया कि लगता है 15 लाख मिलने वाले हैं। राष्ट्र के नाम संबोधन में जब देर होने लगी तो व्यंग्य और आशंकाएं दोनों बढ़ गईं। उधर टेलीविज़न चैनल भी लगातार तरह-तरह के कयास लगाकर लोगों के दिल की धड़कन बढ़ा रहे थे। यही वजह रही कि घोषणा से पहले और बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह के व्यंग्य और सवाल पूछे जाने लगे।

बहुत लोगों का कहना था कि मोदी जी सेना और वैज्ञानिकों सबका श्रेय खुद लेना चाहते हैं लेकिन अपनी आर्थिक नीतियों की विफलता को स्वीकारना नहीं चाहते। वह चाहे नोटबंदी से हुआ नुकसान हो या फिर जीएसटी से। बेरोज़गारी बेतहाशा बढ़ी है लेकिन वे अपने ही सरकारी संस्थान के आंकड़े छुपा रहे हैं और दूसरों का श्रेय लेने के लिए खुद सबसे पहले आगे आ रहे हैं। लोगों ने याद दिलाया कि ऐसा ही 2014 में मोदी सरकार बनने के कुछ महीने बाद हुआ था। उस समय भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 24 सितंबर, 2014 को मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित किया था। लेकिन इस ऐतिहासाकि क्षण में भी इसरो के अध्यक्ष के संबोधन की जगह एक लंबा भाषण मोदी जी ने दिया था।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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