Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मंत्री और पत्रकार की बातचीत के वायरल वीडियो पर चुप्पी क्यों?

“ये घटना मेन स्ट्रीम मीडिया के लोगों के साथ ही हुई, फिर भी मीडिया मौन क्यों रहा? मैं समझता हूं, यह एक उदाहरण है कि मीडिया पर सरकार का कितना दबाव है।”
Jharkhand Minister CP SINGH झारखंड के मंत्री सीपी सिंह

मंत्रीः अरे चल जाओ न मोदी जी पीएस में रख लेंगे तुमको

पत्रकारः नहीं जरूरत है ना सर

मंत्रीः रख लेंगे तेरे को, जाओ...

पत्रकारः इतना दिन खराब नहीं आया जो मोदी जी के बगल में बैठे...

ये अंश झारखंड सरकार के मंत्री सीपी सिंह और एक दैनिक अखबार के पत्रकार के बीच हुई बातचीत के हैं, जो करीब दो हफ्ते पहले वायरल हुए वीडियो में सुनी जा सकती है।

26 सेकंड के इस वीडियो में मंत्री सीपी सिंह पत्रकार को आगे अपने हाथों से इशारे करते हुए कहते हैं, “... इतना दिन खराब नहीं आता तो ऐसे झोला लटका के घूमते रहते...” इसके जवाब में पत्रकार ने कहा, “इसी में संतुष्टि है।” उन्होंने इसके जवाब में कहा, “अरे कोई संतुष्टि नहीं है, मजबूरी है। मजबूरी है बोलो! बोलो... मजबूरी है, मजबूरी है... बोलो, मजबूरी में घूम रहे हो...।”

 

इस पूरे मामले पर न्यूजविंग अखबार के संपादक सुरजीत सिंह प्रश्न करते हैं, “ये घटना मेन स्ट्रीम मीडिया के लोगों के साथ ही हुई, फिर भी मीडिया मौन क्यों रहा? विवादित बयानों से भरे पड़े रहने वाले अखबारों से ये खबर गायब क्यों दिखी? मैं समझता हूं, यह एक उदाहरण है कि मीडिया पर सरकार का कितना दबाव है। मेन स्ट्रीम मीडिया को लगता है कि ऐसी खबरों को छापेंगे तो सरकार विज्ञापन नहीं देगी।”

वहीं वरिष्ठ पत्रकार मधुकर बोले, जिस तरह की बात मंत्री सिंह ने कही है, वो गलत है, और इसके खिलाफ मीडिया संस्थान और पत्रकार नहीं खड़े हो रहे हैं, ये भी गलत है।

अखबरों में नहीं सोशल मीडिया पर घिरे मंत्री

इधर, सोशल मीडिया पर पत्रकारों ने मंत्री सीपी सिंह के खिलाफ कैंपेन खूब चलाया।  वरिष्ठ पत्रकार और रांची प्रेस क्लब के महासचिव शंभू नाथ चौधरी ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल को ‘#AgainstCPSingh’ लिख कर ब्लैक कर दिया, और लिखा, “मंत्री जी! चुनाव आ रहे हैं, जनता के कई चुभते सवालों के जवाब देने हैं। लोगों ने राज्य से लेकर शहर तक में आपकी सरकार बनवायी है तो सिस्टम दुरुस्त कीजिए। जनता के सवालों पर ऐसे भड़केंगे तो वह सबक सिखाने को भी तैयार बैठी है।”

हिंदुस्तान अखबार के चीफ रिपोर्टर अखिलेश कुमार सिंह एक खबर का लिंक शेयर करते हुए लिखते हैं, “सीपी कथा अनंता”. वहीं ईटीवी भारत के सीनियर रिपोर्टर अमित मिश्रा ने भी खबर का लिंक शेयर करते हुए मंत्री सीपी सिंह पर व्यंग्य किया, “.....बहुत धन्यवाद महोदय, क्या गजब का ऑफर दिया है...।”

पत्रकार सुशील सिंह मंटू ने फेसबुक प्रोफाइल पर‘#AgainstCPSingh#MantriJharkhand’ लिखकर आगे लिखा, “मंत्री सीपी सिंह द्वारा पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार का प्रतिकात्मक विरोध को प्रदार्शित करने के लिए मैंने अपने प्रोफाइल पिक्चर को काला किया है। अगले 48 घंटे तक ये प्रतीकात्मक विरोध जारी रहेगा। अगर आप भी मेरे विचार से समहत हैं तो ऐसे करें।”

वहीं वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल अपने वॉल पर लिखते हैं, “जब पद और पैसे का नशा सर पर चढ़ जाता है तो जबान काबू में नहीं रहती है, (इसे CP Singh Ji से कृपया ना जोड़ें) Navin Sharma ke wall se”.

प्रमुख अखबारों से एक तरह से गायब रही इस खबर पर वरिष्ठ पत्रकार फैसल अनुराग का मानना है कि यह मीडिया का सरकार के सामने आत्मसमर्पण है। पिछले चार साल में देश में सत्ताधारियों से सवाल नहीं पूछने वाला माहौल बनाया गया है। सीपी सिंह का बयान भी इसी कड़ी का हिस्सा है।

रांची प्रेस क्लब का शिकायत पत्र.jpg

सीएम से शिकायत

इधर रांची प्रेस क्लब ने मामले को संज्ञान में लिया और बैठक कर मंत्री सीपी सिंह के खिलाफ शिकायत करने का फैसला लिया। रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश सिंह कहते हैं, “सीपी सिंह के बयान से पत्रकार की मान-मर्यादा का हनन हुआ है। किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे नेता-मंत्री को अपनी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए। हमलोगों ने इसे लेकर सीएम, राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को एक शिकायत पत्र सौंपा। पत्र में मंत्री, और अन्य विधायक के व्यवहार और कृत्य को देखने की बात कही है और इसपर अंकुश लगाने की मांग की है।”

मंत्री सीपी सिंह झारखंड सरकार में नगर विकास मंत्री हैं और वह 11 अक्टूबर को रांची के वार्ड नंबर 25 में एक पार्क का शिलान्यास करने पहुंचे थे। यहीं एक पत्रकार के सवाल पर वो भड़क उठे जिसका का वीडियो वायरल हो गया

वीडियो की प्रमाणिकता

वीडियो में जो देखा-और सुना गया और उससे पहले और बाद में हुई बातचीत।

वीडियो कट करके चलाया जा रहा : सीपी सिंह

क्या आपको अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं है?  इस प्रश्न पर सीपी सिंह कहते हैं, “दुनिया में हर किसी के लिए कानून बराबर है। किसी को विशेष दर्जा प्राप्त नहीं है। इस पूरी घटना को जानना चाहिए। वीडियो को कट करके चलाया जा रहा। पूरे वीडियो को क्यों नहीं दिखाया जा रहा है।”

मुझे अच्छा नहीं लग रहा था: रांची सांसद

वीडियो में मंत्री सीपी सिंह के दायीं ओर रांची की मेयर आशा लकड़ा और बायीं ओर रांची के सांसद रामटहल चौधरी दिखाई दे रहे हैं और ये दोनों भी भाजपा के ही नेता हैं।

मामले पर रामटहल चौधरी ने कहा, “हर किसी  का अपना-अपना नजारिया होता है। वो मंत्री हैं, मैं कोई कमेंट नहीं करूंगा। मैं एक ही शब्द कहूंगा कि उस वक्त मुझे अच्छा नहीं लग रहा था।”

उन्होंने तीन बार ‘अच्छा नहीं लग रहा था’  को दोहराया।

जानिए वो पत्रकार क्या बोले

जिस पत्रकार को मंत्री सीपी सिंह ने ‘झोला लेकर घूमने और पीएम मोदी के पीएस’ वाली बात कही, उनका कहना है कि मंत्री जी एक प्रश्न के जवाब में भड़क उठे थे।

उस विवादित बयान से पहले और बाद में क्या बात हुई थी? के प्रश्न पर पत्रकार बताते हैं, “मैंने कहा कि रांची नगर निगम बोर्ड की बैठक में पत्रकारों को अधिनियम की किस धारा के तहत नहीं बैठने दिया जा रहा है, इसे नगर आयुक्त नहीं बता रहे हैं। आप (मंत्री सीपी सिंह) नगर आयुक्त से स्पष्ट करवा दीजिए।”

वे कहते हैं, “इसी बात पर मंत्री सीपी सिंह भड़क गए और उन्होंने कहा, आप (पत्रकार) ज्यादा विद्वान हैं। आपको ही निगम में बैठा देते हैं। तब मैंने इसके जवाब में उनसे कहा कि मैं अगर विद्वान होता तो आपके बगल में बैठता। फिर वो कहने लगें कि मोदी जी के पीएस बन जाइए… और झोला लेकर घूमने वाली बात कही।”

कितना जायज है बयान?

इसी विवाद से संबंधित और एक अन्य वीडियो में सीपी सिंह संवाददाता पर भड़कते हैं और कैमरा बंद करने का इशारा करते नजर आ रहे हैं। उस समय वहां मौजूद एक पत्रकार ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि जब मंत्री सीपी सिंह भड़क रहे थे तब सारी चीजें कैमरे में कैद हो रहीं थी। इसे देख उन्होंने कैमरा बंद करने को कहा।

 

अब सवाल है कि अगर मंत्री सीपी सिंह के मुताबिक रिकॉर्डेड वीडियो से पहले और बाद में जो बाते हुईं, और उसमें पत्रकार के द्वारा कही बात अपत्तिजनक या विवादित थी, तो जवाब में मंत्री सीपी सिंह के विवादित बयान को सत्यापित किया जा सकता है?  क्या तब ऐसी स्थिति में उनका पत्रकार के साथ ये सुलूक जायज माना जा सकता है?

इसके जवाब में पत्रकार फैसल अनुराग कहते हैं, “हर किसी की अपनी गरिमा होती है। जैसे एक मंत्री की है, वैसी ही पत्रकार की भी। सीपी सिंह का बयान पत्रकार की गरिमा पर हमला है। बयान को किसी भी मापदंड से जायज या सत्यापित नहीं किया जा सकता है। उनके बयान में, ‘इंडिया जीत लिया है और कभी नहीं हारने’ वाला रिफ्लेक्शन है।”

पहले भी रहा विवाद का नाता

सीपी सिंह पलामू जिला के रहने वाले हैं और उनका पूरा नाम चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह है। झारखंड भाजपा में इनका नाम कद्दावर नेताओं की फेहरिस्त में आता है। लगातार चौथी बार वे रांची विधानसभा से निर्वाचित हुए हैं। पूर्व की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। फिलहाल झारखंड सरकार में वो शहरी नगर विकास और परिवहन मंत्रलाय का जिम्मा संभाल रहे हैं।

इसी वर्ष के जुलाई में स्वामी अग्निवेश को सीपी सिंह ने फ्रॉड और राष्ट्रविरोधी बताया था। झारखंड के पाकुड़ जिले में स्वामी अग्निवेश पर हमला हुआ, तो इसका आरोप भाजपा के युथ विंग झायुमो पर लगा।

कई प्रमुख अखबारों और मीडिया की खबरों के मुताबिक इस मामले को सीएम रघुवर दास ने गंभीरता से लेते हुए जांच का आदेश दिया था, पर उनके ही मंत्री सीपी सिंह ने स्वामी अग्निवेश पर अपने ऊपर खुद से हमला करवाने की बात कहते रहे। साथ ही स्वामी को फ्रॉड और राष्ट्रविरोधी बताया था।

वहीं हमले का विरोध करते हुए जब विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री हमेंत सोरेन और झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने हंगामा किया, तो इन्हें सीपी सिंह ने अफजल गुरु गैंग का सदस्य बता दिया। बीते तीन महीने में सीपी सिंह का ये तीसरा विवादित बयान है, जबकि खबरों की माने तो इससे पहले भी कई बार वे अपने बयान को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest