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मप्र चुनाव : आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवारों में वृद्धि, करोड़पतियों की भी संख्या बढ़ी

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में एडीआर द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट सामने आयी है जिसमें कुछ चौंका देने वाले तथ्य सामने आए हैं।
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मध्य प्रदेश के चुनाव में न केवल करोड़पतियों की संख्या बढ़ी है, बल्कि आपराधिक रिकार्ड वाले उम्मीदवारों की की संख्या भी बढ़ गई है। इसमें भी सतारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस आपस में होड़ करते दिखाई दे रहे हैं। ये खुलासा एडीआर यानी एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट से हुआ है।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में एडीआर द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट सामने आयी है जिसमें कुछ चौंका देने वाले तथ्य सामने आए हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 2899 उम्मीदवार मैदान में हैं। 2716 उम्मीदवारों के शपथपत्रों के आधार से पता चलता है कि 656 उम्मीदवार करोड़पति हैं जो संख्या साल 2013 में 472 थी।

पार्टियों के आधार पर देखें तो भाजपा के 81 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं, वहीं कांग्रेस भाजपा से बस थोड़ी ही कमतर है। कांग्रेस के भी 78 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं।

यहां चुनाव में एक तरफ करोड़पति उम्मीदवारों की भीड़ है वहीं 7 ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिन्होंने अपने शपथपत्र में अपनी संपत्ति शून्य बताई है। वहीं 500 से अधिक ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिन्होंने चुनाव आयोग को अपनी पैन संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और 50 फीसदी उम्मीदवारों ने आयकर संबंधित जानकारियों को आयोग से छुपाना बेहतर समझा।

कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा के 174 विधायकों द्वारा पुनः नामांकन किया गया है, जिसमें 167 विधायकों के शपथपत्रों के विश्लेषण से पता चलता है कि महज 5 वर्षों में विधायकों की औसतन संपत्तियों में 71 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

वर्ष 2013 में जहां विधायकों की औसत संपत्ति 5.15 करोड़ थी, वहीं वर्तमान में औसत संपत्ति 8.79 करोड़ हो चुकी है। महज 5 वर्षों में औसतन 3.64 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

बात अगर दलवार तरीके से करें तो मध्य प्रदेश की सत्ता पर पिछले 15 वर्षों से काबिज भाजपा ने अपने 165 विधायकों में से 107 विधायकों को पुनः टिकट देकर मैदान में उतारा है। वहीं बात करें कांग्रेस की तो 58 विधायकों में से 53 विधायकों पर अपना भरोसा जताया है। भाजपा के विधायकों की सम्पत्ति में जहां औसतन 84.76 फीसदी की अभूतपूर्व बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यहां कांग्रेस भाजपा से काफी पिछड़ गई है। लेकिन उसके उम्मीदवार भी पहले से गरीब नहीं बल्कि अमीर ही हुए हैं। कांग्रेस के 49.1 फीसदी की औसतन बढ़ोतरी के साथ वह भी भाजपा से होड़ करने की कोशिश में है।

सबसे ज्यादा बढ़ोतरी समाजवादी पार्टी के एक विधायक की संपत्ति में देखने को मिली है। सपा विधायक की संपत्ति में पिछले पांच साल में औसतन 311.58 फीसदी का इजाफा हुआ है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आत्महत्याओं के मामले में मध्य प्रदेश देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हैं, जिस राज्य के किसान फांसी लगाने पर विवश हो, जहां बुंदेलखंड जैसे शुष्क क्षेत्र हो, उस राज्य के विधायकों की संपत्तियों में इस प्रकार की बढ़ोतरी अपने आप में अपनी अलग कहानी बयां करती है।

एडीआर की 301 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट से पता चलता है कि सत्ता पर काबिज भाजपा के 38 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर अपराध दर्ज हैं तो 30 फीसदी ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो किसी न किसी प्रकार के आपराधिक मामलों में संलिप्त हैं।

वहीं अगर महिलाओ के प्रति होने वाले अपराध की बात करें तो 20 उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनपर महिलाओं के प्रति अपराध के मामले दर्ज हैं। 24 ऐसे भी उम्मीदवार हैं जिनपर हत्या या हत्या के प्रयास के मामले लंबित हैं। सबसे ज्यादा चौंका देने वाली बात यह भी है कि मध्यप्रदेश के करीब 33 फीसदी निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां 3 से अधिक उम्मीदवारों के ऊपर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं।

सुशासन की लंबी चौड़ी दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दावों को एडीआर की यह रिपोर्ट आईना दिखा रही है।

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