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मुज़फ्फरनगर-शामली में भगत सिंह ने जलाई क़ौमी एकता की मशाल

भगत सिंह के जन्म दिवस पर निवासियों ने अनेक तरीकों  से दिया शान्ति का सन्देश 
 
                                                                 
चित्र १: बबिसा गाँव की जन सभा
चित्र २: गाँव गाँव में जली एकता की मशाल                                                                                                                                                                           
 

मुज़फ्फरनगर और शामली जिले के गाँव जो साल-भर पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग से झुलस रहे थे. हजारों मुस्लिम परिवार बेघर हुए, सैकड़ों हताहत हुए, सदियों पुराना भाईचारा तार-तार हुआ. आज भी वे ज़ख्म भरे नहीं हैं. लेकिन साल-भर बाद भगत सिंह के जन्म दिवस पर इलाके के कुछ गाँवों में एक अलग ही तस्वीर नज़र आई. शहीद भगत सिंह पुस्तकालय और नौजवान भारत सभा के बैनर तले केरटू गाँव के स्कूलों और मदरसे के बच्चे एक साथ मिलकर प्रभातफेरी में शामिल हुए. उन बच्चों के साथ गाँव के नौजवान और बूढ़े-बुज़ुर्ग भी नारा लगा रहे हैं -- भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, हम सब के अरमानों में. भगत सिंह तुम ज़िंदा हो, खेतों में खलियानों में. यह वही इलाका है जहां साल-भर पहले फिरकापरस्ती और नफरत की ज़हरीली हवा बहाई गयी थी, दिलों के बीच दीवार खींची गयी थी. दंगे खत्म हुए, दंगाई दृश्य से ओझल हुए. और हिंदू-मुस्लिम जनता अपनी तमाम मुश्किलों के साथ आज भी रलमिल कर रह रही है. एक साथ जीना यहाँ की रवायत है ज़बकि फूटपरस्ती सियासी साजिश. प्रभातफेरी में यह नारा भी गूंज रहा था -- दाढ़ी का न चोटी का, झगड़ा तो है रोटी का.

प्रभात फेरी के बाद सभा का अयोज़न किया गया था. सभा में विचार व्यक्त करते हुए गाँववासियों ने भगत सिंह और उनके विचारों की रौशनी में सांप्रदायिक नफरत और भेदभाव की जड़ों को जानने, मेहनतकश जनता के जीवन  की असली समस्याओं और उनके समाधान पर गम्भीर चर्चा की. बुज़ुर्ग शिक्षक राजवीर सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सांप्रदायिक दंगों से जनता का भारी नुकसान हुआ है. जानता की भलाई एकता में ही है. शहीदों को श्रधान्ज़ली अर्पित करते हुए मदरसे के छात्र मुहम्मद आरिफ ने राम प्रसाद बिस्मिल की गज़ल “उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्तां होगा, रिहा सैय्याद के हाथों से अपना आशियाँ होगा” पेश की.

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

                                                                                                                              

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