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छेड़छाड़, उत्पीड़न: एक पवित्र त्योहार में अपवित्रता

भारत भर से, अल्पसंख्यकों के अपमान, छेड़छाड़ और महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं की सूचना मिली थी
holi

भारत में होली का उत्सव अक्सर छेड़छाड़ और उत्पीड़न की घटनाओं से प्रभावित होता है क्योंकि वाक्यांश "बुरा न मानो होली है" (बुरा मत मानो, यह होली है) का उपयोग ऐसे सभी आपराधिक कृत्यों को सही ठहराने के लिए किया जाता है जहां अधिकतर महिलाएं ही निशाना बनती हैं।

7 से 8 मार्च के बीच जब देश के विभिन्न हिस्सों में होली मनाई जा रही थी, तब हिंसा, छेड़छाड़, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के उत्पीड़न की कई घटनाएं सोशल मीडिया के जरिए सामने आईं।
 
यह बताया गया कि दिल्ली के पुलिस कंट्रोल रूम को होली पर 35,000 से अधिक शिकायतें मिलीं, जबकि औसतन उन्हें प्रतिदिन 24,000 शिकायतें मिलती हैं। इन शिकायतों में ईव टीजिंग के 211 मामले, गोलीबारी के 40 मामले, छुरा घोंपने के 142 मामले, रोड रेज के 46 मामले, बलात्कार के 21 मामले और हत्या के 11 मामले शामिल हैं, जैसा कि इंडिया टुडे ने बताया है।
 
कोलकाता में, पुलिस ने होली के दौरान अभद्र आचरण के लिए 400 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। टेलीग्राफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश गिरफ्तारियां शराब के नशे में मारपीट, होली खेलते समय सड़कों को अवरुद्ध करने, खुले में शराब पीने और उपद्रव करने से संबंधित थीं।
 
दैनिक भास्कर के एक पत्रकार, राजेश साहू ने यूपी की एक मस्जिद की तस्वीर साझा की। यह मस्जिद हरे कलर की तिरपाल से ढकी हुई है। राजेश साहू ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि यूपी के जिन स्थानों पर मस्जिदें ढकी गई हैं वहां के हिन्दू समाज के लोग मुस्लिमों का इतना भी भरोसा नहीं जीत पाए कि कह सकें, "मत ढको, हम कुछ भी ऐसा नहीं करेंगे जिससे मस्जिद को नुकसान हो।" एक आदर्श समाज बनाने में हम आज भी पीछे रह गए हैं।

सुदर्शन न्यूज पर "मुल्ले होली मिलन में आएंगे लेकिन रंग नहीं लगाएंगे" शीर्षक से एक शो चला। नीचे दी गई टिप्पणी में, सुदर्शन न्यूज ने शब्द को सही किया और लिखा "मुल्ले" के बजाय शब्द "कठमुल्ले" होना चाहिए। 

 

एक अन्य वीडियो यूपी के बरेली में बुर्का पहने महिलाओं का ई-रिक्शा में बैठने का था, जिनपर विरोध करने के बावजूद पानी डाला गया। रिक्शे के चारों ओर कई युवा लड़के देखे जा सकते हैं और एक महिला लड़कों को फटकार लगा रही थी, दूसरी तरफ से एक और आया और उसके साथ बैठी दूसरी महिला पर पानी डाला।
 
कथित तौर पर यूपी के श्रावस्ती जिले के भगवानपुर गांव में होली उत्सव के दौरान भड़काऊ गाने बजाए गए। स्थानीय लोग मुसलमानों का मज़ाक उड़ा रहे थे और एक जुलूस के दौरान गाना बजा रहे थे, जिसमें "जो उखाड़ सको तो उखाड़ लो सुन लो मुल्ला जी" शब्द थे।
 
यह संदीप आचार्य का गाना है जो Apple Music और Spotify जैसे लोकप्रिय ऐप पर प्ले करने के लिए उपलब्ध है!
 
एक अन्य वीडियो पोस्ट किया गया था जिसमें एक व्यक्ति को अपनी भाभी को जबरन रंग लगाते हुए देखा जा सकता है, जबकि वह स्पष्ट रूप से असहज लग रही है। यह महिला के साथ छेड़छाड़ और उसकी मर्यादा को ठेस पहुंचाने जैसा है।
 
होली के दौरान हिंदुओं की संस्कृति को दिखाने वाला एक वीडियो भी था जहां महिलाओं के सामने पुरुष उनके लिए अपमानजनक गीत गाते हैं। इस घिनौनी प्रथा को अपनी संस्कृति के रूप में स्वीकार करने के कारण महिलाओं सहित सभी तमाशबीनों के चेहरों पर मुस्कान है। इसी तरह की प्रथा का एक अन्य वीडियो भी सामने आया, जिसमें पुरुष एक बार फिर कुछ बेहद अपमानजनक, अश्लील और यौन प्रकृति के लिमेरिक्स गा रहे थे, जबकि इसमें "बोलो राधे गोविंद" (राधा-कृष्ण की जय) कहकर भगवान का नाम भी शामिल किया गया था।
  
होली, रंगों का त्योहार एक खुशी का अवसर माना जाता है लेकिन अक्सर ऐसी घटनाएं होती हैं जहां पुरुष "सहमति" भूल जाते हैं और रंग लगाने के नाम पर बल प्रयोग करते हैं और दूसरे इंसान की गरिमा का उल्लंघन करते हैं। जहां महिलाएं अक्सर ऐसे मामलों की शिकार होती हैं, वहीं अल्पसंख्यक भी अब निशाना बनने लगे हैं। 

साभार : सबरंग 

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