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नागा शान्ति वार्ता में बढ़ती अड़चनें

NNPG ने भारत सरकार से वार्त्ता न करने का अपना निर्णय कायम रखा है और दूसरी तरफ़ असम राइफल्स ने छापों के आरोप को बेबुनियाद बताया हैI
nagaland

वार्त्ताओं की एक श्रंखला में नागा नेशनल पोलिटिकल ग्रुप्स (NNPG) और सिविल सोसाइटी संगठनों ने भारत सरकार से छापों के विषय में सफाई पेश करने की माँग पुरज़ोर तरीके से उठाई हैI

NNPG ने भारत सरकार से वार्त्ता न करने का अपना निर्णय कायम रखा है और दूसरी तरफ़ असम राइफल्स ने छापों के आरोप को बेबुनियाद बताया हैI बड़े नागा संगठनों ने बातचीत शुरू करने की माँग की है वहीं दूसरी ओर Naga Scholars' Association (NSA) ने भारत सरकार से दोहरे खेल खेलने पर सवाल खड़े किये हैंI

 2 जून को असम राइफल्स ने नागा नेशनल काउंसिल के सदस्य वी. नागी के घर छापा माराI ये छापा तब मारा गया जब वह दिल्ली में भारत सरकार से बातचीत कर रहे थेI कथित तौर पर अर्धसैनिक बल उनके घर में घुस गए और वहाँ से उन्होंने हथियार, पैसा और दस्तावेज़ बरामद कियेI NNC ने तुरंत इन आरोपों का खंडन किया और ये आरोप लगाया कि अर्धसैनिक बलों ने घर को तहस-नहस कर दिया, कुछ ज़मीन और फिक्स्ड डिपोज़िटों के दस्तावेज़ चोरी कर लिएI उन्होंने ये भी कहा कि जो हथियार बरामद किये गये वह अनुष्ठानों में इस्तेमाल किये जाते हैं न कि जंग मेंI

इसके आलावा उन्होंने अपनी प्रेस रिलीज़ में ये भी कहा कि असम राइफल्स ने नागी के बेटे को भी धमकियाँ दीं और उनके घर के पास एक हॉस्टल में रह रही उनकी बेटी का भी उत्पीड़न कियाI असम रायफल्स ने इस सभी आरोपों को गलत ठहरायाI

NNPG की वर्किंग कमिटी ने 2 जून के छापे के बाद ये कहा कि 7 जून को होने वाली वार्त्ता का हिस्सा नहीं बनेंगेI इस निर्णय को नागा सिविल सोसाइटी के कुछ लोगों द्वारा हमदर्दी के साथ इसीलिए देखा जा रहा है क्योंकि ये छापे और गिरफ्तारियाँ अब लगातार हो रही हैं I उन्होंने भारत सरकार से भी ये सवाल किया है कि शांति वार्ता इस समय कैसे हो सकती हैं जब लगातार छापेमारी चल रही है I इसके साथ ही उन्होंने वर्किंग कमिटी से वार्ता फिर से शुरू करने पर पुनर्विचार करने की बात की है , उनका कहना है कि ये जनता की भलाई के लिए होगा I

NNPG में छह संगठन शामिल हैं , इसमें से कुछ Naga National Council से टूटे हुए संगठन हैं और बाकि National Socialist Council of Nagaland (NSCN) से टूटे हुए संगठन हैं I ये सभी संगठन अलग अलग इतने ताक़तवर नहीं हैं लेकिन साथ मिलकर इनकी ताक़त बढ़ जाती है I NNPGs और NSCN (Isak Muivah) भारत सरकार के साथ 2015 से तबसे बातचीत कर रहे हैं जबसे एतिहासिक फ्रामवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं I NSCN (IM) इनमें से सबसे ताक़तवर संगठन है I लें अगर सरकार को इस मुद्दे का हर निकलना है तो उसे सभी संगठनों से बात करनी होगी I सिर्फ NSCN (IM) से बात करने से ये समस्या ठीक नहीं होगी बल्कि इससे बाकि संगठनों की नाराज़गी बढ़ सकती है I

दूसरी तरफ़ अगर वार्ता को ख़तम कर दिया गया तो वो सबके लिए हानिकारक होगा I पिछले कुछ सालों में नागालैंड लगातार शान्ति की तरफ इसीलिए बढ़ा है क्योंकि बहुत से संगठनों ने सरकार के साथ सन्ति समझौते कर लिए हैं I अगर वार्ता को ख़तम कर दिया गया तो नागालैंड फिर से एक युद्ध का गढ़ बन सकता है I संगठनों ने एक बात को साफ़ कर दिया है कि , भले ही उन्हें ये नहीं मालूम कि ये छापे सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर कराये गए या नहीं, लेकिन अगर सरकार इस तरह उनके प्रति का रवैया रखेगा , तो वह वार्ता नहीं करेंगे I दूसरी तरह सरकार की नज़र 2019 के चुनावों पर है I अगर शांतिवार्ता कामियाब नहीं होती और इसी तरह चलती है , तो 2015 के ‘एतिहासिक’ समझौते की प्रतिष्ठा एक फरेब लगेगी I

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