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नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी की बेल याचिका ख़ारिज

ज़मानत की खिलाफत करते हुए सीबीआई के वकील ने कहा कि एजेंसी मुख्य आरोपी वीरेंद्र तावड़े और गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी अमोल खले के बीच सम्बन्ध खोजने के प्रयास में हैं। 
narendra dabholkar

महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्त्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी वीरेंद्र तावड़े की ज़मानत याचिका को पुणे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। ज़मानत की खिलाफत करते हुए सीबीआई के वकील ने कहा कि एजेंसी वीरेंद्र तावड़े और गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी अमोल खले के बीच सम्बन्ध खोजने के प्रयास में हैं। 

सीबीआई ने इस मामले में कई सुराग कोर्ट के सामने रखे। वीरेंद्र तावड़े हिन्दू जनजागृति समीति नामक संगठन से जुड़ा है जो महाराष्ट्र स्थित हिंदुत्व कट्टरपंथी संगठन सनातन संस्था से निकला एक संगठन है। सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समीति से जुड़े लोगों पर सामाजिक कार्यकर्त्ता नरेंद्र दाभोलकर, सीपीआई नेता गोविन्द पंसारे, पत्रकार गौरी लंकेश और प्रोफेसर कुलबुर्गी के क़त्ल के आरोप लगाए जाते रहे हैं। इससे पहले सनातन संस्था से जुड़े दो लोगों पर 2009 में गोवा में बम ब्लॉस्ट करने का आरोप है और इन्हीं दोनों पर पानसरे की हत्या का भी आरोप है। 

2013 में नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद तावड़े को सीबीआई द्वारा जून 2016 में गिरफ्तार किया गया था। गौतलब है कि तावड़े सीपीआई नेता और समाजिक कार्यकर्त्ता गोविन्द पंसारे के क़त्ल में भी आरोपी है, जिनका क़त्ल 2015 में हुआ था। तावड़े को इस मामले कोलापुर कोर्ट से जनवरी 2018 में ज़मानत मिल गयी थी। दाभोलकर की हत्या के मामले में तावड़े पर षडियंत्र करने और दूसरे आरोपियों को असला प्रदान करने के आरोप हैं।  

इस मुद्दे पर बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता और गोविन्द पानसरे की बहु मेघा पानसरे ने कहा "तावड़े को पहले सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और उनके बाद महाराष्ट्र  SIT ने भी पंसारे केस में उनसे पूछताछ की गयी थी। लेकिन कुछ समय पहले उन्हें पानसरे केस में ज़मानत मिल गयी थी। उस समय हमने ये कहा था कि अगर ये व्यक्ति बाहर आया तो ये दोनों मामलों में विपरीत असर डाल सकता है। हमने राज्य  सरकार से अपील की थी कि वह इस ज़मानत के खिलाफ हाई कोर्ट में जाए। अब जब सीबीआई ये कह रही है कि इस व्यक्ति के तार गौरी लंकेश के क़त्ल से भी जुड़े हो सकते हैं, तो हमारा फिर से यही माँग है कि  पानसरे जी के मामले में भी राज्य सरकार जल्द से जल्द ज़मानत के खिलाफ हाई कोर्ट में जाए।"

इसके साथ ही मेघा पानसरे ने कहा कि गौरी लंकेश के क़त्ल के मामले में भी एक हिंदुत्व कट्टरपंथी संगठन श्री राम सेने का नाम सामने आ रहा है। जिससे इन सभी हत्यायों में एक ही हिंदुत्व कट्टरपंथी विचारधारा के होने की बात अब धीरे धीरे साफ़ हो रही है। हाल में सीबीआई द्वारा की गयी जाँच में ये बात भी सामने आयी है कि इस सभी हत्यायों में न सिर्फ विचारधारा का सूत्र है बल्कि एक आतंकी तंत्र भी है। इसपर आगे बोलते हुए मेघा ने कहा "इन सगठनों का हिंसा का एजेंडा है। इनकी विचारधारा ये है कि जो लोग हिन्दू धर्म पर तर्क के ज़रिये बात करते हैं वह 'दुर्जन' है और उनका नाश किया जाना चाहिए। इस तरह की हिसंक विचारधारा सनातन संस्था की वेबसाइट पर साफ़ लिखी हुई है। जिन्हें पकड़ा गया है उनके घरों से भी इस तरह का साहित्य मिला है। ये मसला सिर्फ पंसारे और दाभोलकर तक ही सीमित नहीं है बल्कि इन संगठनों का तंत्र चार या पाँच राज्यों में फैले हुए हैं। हमारा मानना है कि ये संगठन संविधान विरोधी काम कर रहे हैं, इनपर प्रतिबन्ध  लगाया  जाना चाहिए।"

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गौरतलब है कि पिछले महीने ही श्री राम सेने के एक कार्यकर्त्ता परशुराम वाघमारे ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या करने की बात को कबूला था। SIT ने उनकी हत्या के मामले में अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि ये सभी या तो सनातन संस्था या हिन्दू जनजागृति समीति से जुड़े हुए थे। SIT ने अपनी जाँच में ये भी बताया है कि 4 मुख्य हिंदुत्व संगठनों ने मिलकर एक आतंकी संगठन बनाया जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल है। 

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