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गोविंद पानसरे की हत्या के 8 साल बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हो पाया

महाराष्ट्र के विशेष एटीएस जज एसएस तांबे ने जनवरी के महीने में 10 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप तय किए थे।
Govind Pansare

16 फ़रवरी, 2015 को दो अज्ञात लोगों ने तर्कवादी-कार्यकर्ता और सीपीआई सदस्य गोविंद पानसरे को पांच बार गोली मार हत्या कर दी थी लेकिन हत्या के आठ साल बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। गंभीर रूप से घायाल होने के चार दिन बाद यानि 20 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई थी।

पानसरे की बहू और सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पानसरे ने ‘द हिंदू’ को बताया कि, "दोषियों को दंडित किया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि समाज में हिंसा बढ़ गई है।"

पानसरे की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक ‘हू वाज़ शिवाजी’ में उन्होने दक्षिणपंथी समूहों के उस प्रचार का खंडन किया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज मुस्लिम विरोधी थे।

पीटीआई के मुताबिक, जनवरी में महाराष्ट्र के विशेष आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के न्यायाधीश एसएस तांबे ने उन 10 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे जो सनातन संस्था के सदस्य थे। 

इन 10 आरोपियों में समीर गायकवाड़, वीरेंद्र सिंह तावड़े, अमोल काले, वासुदेव सूर्यवंशी, भरत कुराने, अमित देगवेकर, शरद कालस्कर, सचिन अंदुरे, अमित बद्दी और गणेश मिस्किन शामिल हैं। दो अन्य आरोपी विनय पवार और कथित शूटर सारंग अकोलकर आज भी फ़रार हैं।

नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में आरोपी तावड़े और गायकवाड़ जमानत पर बाहर हैं, जबकि अंदुरे, बद्दी, सूर्यवंशी, कुराने, देगवेकर, कालस्कर, काले और मिस्किन जेल में हैं। काले और देगवेकर पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में भी आरोपी हैं।

विशेष सरकारी वकील शिवाजीराव राणे के अनुसार, भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 120-बी (आपराधिक साजिश) और शस्त्र अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के मुताबिक, न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष और जांच एजेंसियों से गवाहों की सूची और दस्तावेज पेश करने को भी कहा है।

पिछले अगस्त में, बंबई उच्च न्यायालय (एचसी) ने, पानसरे परिवार द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार करते हुए, हत्या के सात साल से अधिक समय बाद मामले को महाराष्ट्र आपराधिक जांच विभाग के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से एटीएस को के लिए जांच स्थानांतरित कर दिया था। 

विशेष सरकारी वकील हर्षद निंबालकर ने ‘द हिंदू’ को बताया कि "सबूतों की रिकॉर्डिंग जल्द ही शुरू होगी। हम जांच शुरू करेंगे और एटीएस भी जांच साथ-साथ करेगी। 

अदालत में पानसरे परिवार की ओर से पेश होने वाले वकील अभय नेवगी ने बताया कि, 'एटीएस को जांच सौंपना मामले में एक सकारात्मक कदम है और मुझे उम्मीद है कि एजेंसी एक महीने में शुरू होने वाले मुकदमे में फरार शूटरों को भी गिरफ्तार कर लेगी।”

मेघा कहती हैं कि, हालांकि, परिवार "मुक़दमे की गति से संतुष्ट नहीं है क्योंकि मुकदमा अभी भी शुरू नहीं हुआ है"। “हम उम्मीद कर रहे थे कि अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए जाने के बाद, मुकदमा जल्द शुरू होगा। हालाँकि, गति बहुत धीमी है। अब जबकि मामले की जांच एटीएस को सौंप दी गई है, हमें उम्मीद हैं कि इसमें तेजी आएगी और एजेंसी मास्टरमाइंड और फरार लोगों तक पहुंच जाएगी।'

उन्होंने कहा कि, "हमें उम्मीद है कि एटीएस के सुरागों को चार्जशीट में दाखिल किया जाएगा क्योंकि मुक़दमा उच्च न्यायालय की निगरानी में चल रहा है।"

मेघा के मुताबिक, मुक़दमे में आरोपी ताकतें और संगठन "बहुत मजबूत और आक्रामक हो गए हैं, और समाज में हिंसा बढ़ गई है। इसलिए, इन लोगों को दंडित करना बहुत जरूरी है क्योंकि इन्हें नियंत्रित करने का कोई अन्य तरीका नहीं है”।

नेवगी ने सोमवार को ‘द वायर’ में प्रकाशित एक कॉलम में लिखा था कि, यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी इस बात पर ध्यान दिया है कि "मुक़दमे में जो कार्यप्रणाली अपनाई गई उससे फरार अभियुक्तों को वर्षों से गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।"

नेवगी के अनुसार, मामले में धीमी प्रगति ने हाईकोर्ट को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि: "यह वह समय है कि जब हम मंत्रालयों और विशेष रूप से विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय पर दबाव बनाए ताकि अपराध की जांच करें और हमारे पहले के आदेशों में जितनी गंभीर बात सामने आई थी उसके मुताबिक वह एक बड़े सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति करेगा जो न केवल भारत में पुलिस और जांच तंत्र पर विश्वास जगाएगा बल्कि दुनिया भर में सही संदेश भेजेगा कि इस देश में कोई भी अपराध बिना सजा के नहीं रहेगा।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

No Trial 8 Years After Govind Pansare’s Murder

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