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क्या छात्रों का नरसंहार मेक्सिको के लिए 'परिवर्तन का क्षण' हो सकता है?

43 मैक्सिकन छात्र-शिक्षकों के कथित नरसंहार और सरकारी भ्रष्टाचार के चलते प्रदर्शनकारियों ने गुस्से में आकर दक्षिण राज्य के गुएर्रेरो में शासक पार्टी के क्षेत्रीय कार्यालय में आग लगा दी।

चिल्पन्सिंगो के ग्युरेरो की राजधानी में प्रदर्शन के बाद सोमवार की शाम को अकापुल्को के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के सामने एक और बड़ी रैली हुयी, इस रैली के न्रेतत्व छात्रों के अभिभावकों ने किया जिन्हें शक है कि सरकार और पुलिस के भ्रष्ट अफसर उस गैंग के साथ मिले हुए हैं जिन्होंने पिछले सप्ताह हुए कत्लों के लिए हामी भर दी है। 26 सितम्बर से जो छात्र गायब हैं उन्हें कथित तौर पर ग्युरेरोज़ यूनीडोस ड्रग गिरोह ने मार डाला और उन्हें जला दिया गया; उनके अवशेषों को संभव डी.एन.ए.जांच के लिए ऑस्ट्रिया भेज दिया गया है। 

11 नवंबर 2014 को चिल्पन्सिंगो में लापता 43 प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्युरेरो शिक्षक संघ के शिक्षकों की राज्य समन्वयक के सदस्य दंगा पुलिस का सामना करते हुए।

डॉयचे वेले के अनुसार, "करीब 200  दंगा सुरक्षा पुलिस ने हेलमेट पहने हुए और ढाल लिए हुए करीब 1,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को तब खदेड़ा जब ग्युरेरो राज्य की राजधानी चिल्पन्सिंगो में संस्थागत रिवोल्यूशनरी पार्टी (पीआरआई) के दो मंजिला मुख्यालय से काला धुआं निकल रहा था।  मंगलवार के प्रदर्शन पर पुलिस की कार्यवाही से दो पत्रकार समेत तीन प्रदर्शनकारी घायल हो गए।”

छात्रों की कथित हत्या से देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे है। कुछ लोगों ने  सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने मामले पर ठीक से कार्यवाही नहीं की और केस को दबाने की कोशिश की है। कई लोगों ने ऐसे उथलपुथल के बीच अपेक शिखर सम्मेलन के लिए चीन की यात्रा करने के लिए राष्ट्रपति एनरिक पेना निएतो  के फैसले की आलोचना की हैं। और इस प्रकरण से देश की भयानक वास्तविकताओं का पता चलता है: 2006 से 70,000 मेक्सिकन मारे जा चुके हैं, और नार्को युद्द्ध के चलते करीब 27,000 लोग “गायब” हो चुके हैं।

“मेक्सिको के कईं हिस्सों में छात्रो पर संकट के चलते सुरक्षा का कितना बड़ा पतन हुआ है यह साफ़ तौर पर पता चलता है। गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक़ यहाँ अपराधी समूहों ने नगरनिगम सरकारों को नियंत्रण में लिया हुआ है, और संघीय प्रशासन ने इसको पूरी तरह नजरंदाज कर दिया है। “इन हालात ने निर्वार्त्मान राष्ट्रपति की उस सुधारवादी तस्वीर को भी ध्वस्त कर दिया है जिसे उसने काफी चतुरता से बनाया था और उसने अपने  पूर्ववर्ती, फेलिप कालडरन  द्वारा शुरू किये गए संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई को पलट दिया है जिसकी वजह से आक्रामक ड्रग युद्ध छिड़ गया है। "

                                                                                                                        

हौस्टन के एक अखबार डलास मोर्निंग न्यूज़ मेक्सिको के संवादाता और लेखक अल्फ्रेडो कोर्चादों ने एक साक्षात्कार में कहा कि इकुँला नरसंहार एक निर्णायक मोड़ हो सकता है- बशर्ते मेक्सिकन इस स्थिति के कारण लोगो में बढ़ते गुस्से को सही ढंग से दिशा दे सकें तो।

"मैंने कई नरसंहार को रिपोर्ट किया है, मैंने मेक्सिको में काफी घिनौनी तस्वीरें देखीं हैं, में हमेशा कहता हूँ कि हम काफी नीचे गिर गए हैं”, ये बातें उन्होंने हौस्टन क्रोनिकल में कही। लेकिन मुझे अब शक होने लगा है कि हम ओर कितना नीचे गिरेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है की मेक्सिको में नरसंहार एक वाटरशेड है।  आप भ्रष्टाचार और ड्रग उत्पादक माफिया जैसे मुद्दों बात करना बंद नहीं कर सकते हैं, । आप शांत नहीं रह सकते हैं, सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकती है।”

कोर्चादों अपनी बात जारी रखते हैं:

मेरा मानना है कि जो गुरेर्रो में हुआ उससे सब-कुछ साबित हो जाता है। ड्रग माफिया और संगठित अपराध के साथ प्रशासन भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है । आपने स्थानीय और नगरनिगम सरकार की मिलीभगत देखी और शायद सरकार की भी। आपने यह भी देखा की इतने बड़े स्तर पर मिलीभगत के बावजूद लोग दंड से भयमुक्त हैं। इससे बड़ी धृष्टता क्या होगी।

लेकिन मुझे सबसे ज्यादा चिंता मेक्सिको में छायी उदासीनता से है। कुछ वर्ष पहले, मेरा एक साथी जो कुछ ख़ास चीजों के बारे रिपोर्ट नहीं कर पाया, उसने मुझसे कहा “में कुछ नहीं कर सकता क्योंकि मुझे सेंसर कर दिया गया है, लेकिन मेरे पास सुचना है।” वे लोग इस तरह की चीज़ों को प्रकाशित करने के इच्छुक थे, लेकिन आज आप किसी साथी को फोन करें तो कहेगा वह कुछ नहीं जानता है और उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है। क्यों? क्योंकि कोई भी किसी बात की परवाह नहीं करता। फिर आप निराशा से भर जाते हैं। में नहीं  मानता की पूरे मेक्सिको में ऐसी स्थिति है, लेकिन कुछ इलाकों में लोग निराश हो चुके हैं। यह एक चिंता की बात है क्योंकि यह सिविल सोसाइटी की और वर्तमान मेक्सिको की बात है।

अब रैली और प्रदर्शनों की भरमार है और उम्मीद है यह जारी रहेगा, लेकिन मसला केवल सड़क पर जाने का नहीं है। लोगों को दूसरों को जिम्मेदार ठहराना सीखना होगा।

20 नवम्बर को ट्विटर पे  #TodosUnidosPorAyotzinapa या  #TodosVestidosDeNegro हैशटैग के नाम से गम का राष्ट्रीय दिवस भी मनाने की तैयारी की गई है ।

सौजन्य: commondreams.org

(अनुवाद:महेश कुमार)

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

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