राजस्थान : सरकार गौ पूजा में व्यस्त, किसान त्रस्त, आंदोलन जारी
राजस्थान में कांग्रेस के मुख्यमंत्री राज्य स्तरीय गौ रक्षा सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। वहीं दूसरी और राज्य के किसान प्याज़ की फसल की सरकारी ख़रीद शुरू करने और उसके उचित दाम की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। किसानों ने कहा है कि सरकार गाय पूजा में लगी हुई है जबकि किसान अपने दाम को तरस रहा है।
प्याज़ की सरकारी ख़रीद की मांग को लेकर राजस्थान के सीकर में किसानों का विरोध प्रदर्शन छठे दिन सोमवार को भी जारी है। सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब न मिलने की वजह से किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है और इस आंदोलन में लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है। किसानों का समर्थन करते हुए सीकर की मंडियों ने भी ख़रीदारी पूरी तरह से बंद कर दी है।
किसानों ने फ़ैसला किया है कि वो जनप्रतिनिधियों के घरों का घेराव करेंगे। शनिवार को राज्य के शिक्षा मंत्री का घेराव किया। इस के अलावा कल रविवार को स्थानीय सांसद का भी घेराव किया और आज वहाँ के विधायकों का भी घेराव किया गया। लेकिन सरकार की और से कोई भी संतोषजनक उत्तर ना मिलने से नाराज़ किसानों ने साफ़ किया जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक वो प्रदर्शन करते रहेंगे | मंगलवार को किसानों ने सीकर में एक बड़ी आम सभा करने का ऐलान किया है, जिसमें हज़ारों किसानो के शामिल होने की बात कही जा रही है। इस रैली में राजस्थान के किसान नेता , AIKS के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक अमराराम, और AIKS के राज्य अध्यक्ष पेमाराम सहित माकपा के दोनों विधायक बलबान पुनिया और गिरधारी लाल महिया इस सभा को संबोधित करंगे।
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजस्थान के पूर्व विधायक अमराराम ने न्यूज़क्लीक से बात करते हुए कहा की काफ़ी समय से राज्य के प्याज़ किसान परेशान हैं ,उन्हें अपना भाव नहीं मिल रहा है। लेकिन इन्हीं किसानों के द्वारा चुने गए जन प्रतिनधि मौन है। यहाँ तक कि किसी भी जनप्रतिनिधि ने सरकारों को इस समस्या को लेकर पत्र तक नहीं लिखा है। सरकार और इन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी को देखते हुए किसान सभा ने निर्णय किया है कि वो सभी जनप्रतिनिधियों के घरों का घेराव करेंगे। जिससे किसानों कि आवाज़ इनके कानों तक पहुँच सके।
राज्य के किसान पिछले काफ़ी समय से अपनी इन्हीं मांगों को लेकर गांव और ब्लॉक स्तर पर धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं | लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन पिछले ६ दिनों से अखिल भारतीय किसान सभा के नेतृत्व में किसानों ने कलेक्ट्रट पर पड़ाव डाला है तब से सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं। ज़िला कलेक्टर ने किसान नेताओं से कई दौर की बातचीत की है, वो यह मान रहे हैं कि प्याज़ किसान संकट में है लेकिन इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं कर रहे हैं। वो हर बार की तरह आश्वासन दे रही है लेकिन किसानों ने साफ़ किया है कि उन्हें इस बार हल चाहिए।
किसानों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने साफ़ कहा है कि चुनाव से पहले किसानों की समस्या का हल इन पार्टियों के पास होता है लेकिन सरकार में आते ही यह भूल जाते हैं। यही काम गहलोत सरकार कर रही है। उन्होंने चुनाव से पूर्व पूर्ण क़र्ज़ा माफ़ी का वादा किया था लेकिन अब वो इससे मुकर रही है। इसको लेकर किसानों में भरा ग़ुस्सा दिखा रहा है। वो इस रैली में नारा लगा रहे थे - "थूककर चाटने वाली सरकार मुर्दाबाद"
किसान प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
राज्य सरकार द्वारा प्याज़ नहीं ख़रीदे जाने से नाराज़ किसानों का कहना है कि इससे प्याज़ किसान बर्बाद हो रहे हैं। एक एकड़ में7 से 8 हज़ार रूपये लागत आती है लेकिन उन्हें बाज़ार में इसकी क़ीमत 2-3 रूपये मिल रही है। किसान इसे अपने पास दो महीने से अधिक रख भी नहीं सकता। इसलिए उन्हें मजबूरन बेचना पड़ता है। इससे तो किसानों की लागत भी नहीं निकल रही। किसानों का कहना है कि प्रदेश की सरकार उनके प्याज़ को 10 रुपए किलो ख़रीदकर इसे प्रदेशभर की राशन की दुकानों पर आम जनता को बेचे।
नासिक के बाद सीकर, चूरू और झुंझुनू ज़िले प्याज़ के पैदावार की लिहाज़ से देश का बड़ा इलाक़ा है। इसके लिए 15 साल पहले रशीदपुरा में प्याज़ मंडी बनाने की घोषणा हुई थी, जो एक साल पहले तैयार हो चुकी है, लेकिन उसे चालू नहीं किया गया।
प्याज़ के साथ ही किसानों को दूध का भी दाम नहीं मिल रहा है
पिछले साल किसानों को 25 से 28 रूपये लीटर तक का दाम मिलता था, लेकिन आज किसान दूध को 20 रूपये लीटर में बेचने को मजबूर है। जबकि वही दूध क्रीम निकालकर 50 रूपये की दर से शहरों में आमजन को बेचा जा रहा है।
किसानों की मांग है कि जिस दर पर आमजन को दूध बेचा जा रहा है, उसका 70 % किसानों को मिलना चाहिए। बाक़ी 30%पैकेजिंग वगैरह के लिए ख़र्च किया जाए। 11 सूत्रीय मांग पत्र को किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
राजस्थान के शेखवटी, सीकर भादर, झुंझुनू और रशीद पूरा आदि के लगभग 65 हज़ार किसान प्याज़ की खेती करते हैं क्योंकि यह उनकी मजबूरी है। किसानों का कहना है कि सर्दी के मौसम में प्याज़ एक नक़दी फसल होती है। इसलिए वो सभी प्याज़ उगाते हैं। सरकारी स्तर पर कोई भंडारण की व्यवस्था ना होने के कारण उन्हें इसे फ़ौरन पौने दामों पर बेचना पड़ता है |
किसानों को एक बार फिर से धोखे की आशंका है
हर बार चुनावों में चाहे वो लोक सभा या फिर विधानसभा हो रशीदपुर प्याज़ मंडी चुनाव का मुद्दा होता है लेकिन चुनाव के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। एक बार फिर किसानों को इसकी चिंता सता रही है कि कहीं एक बार फिर यह मुद्दा अगले चुनाव तक न टल जाए इसलिए उनकी मांग है कि आचार संहिता लगने से पहले इसका उद्घाटन कर दिया जाए नहीं तो फिर चार महीने तक के लिए यह टल जाएगा।
इसे भी पढ़े :-राजस्थान में एक बार फिर से किसानों का आंदोलन
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।