अमेरिका ने बढ़ते विरोध के बीच अपने सैनिकों को स्थानांतरित करने का फैसला किया
अमेरिका ने इराक में तीन प्रमुख ठिकानों को खाली करने और उन्हें इराकी सेना को सौंपने का फैसला सोमवार 16 मार्च को किया है। अमेरिकी सेना इन ठिकानों को छोड़ देगी और अपने सैनिकों शेष पांच ठिकानों पर स्थानांतरित कर देगी। तीन ठिकानों की पहचान इराक-सीरिया सीमा के पास अल-क़इम, क़ायरा एयरफ़ील्ड वेस्ट और किरकुक के रूप में की गई है।
प्रेस टीवी के अनुसार इराकी सेना ने आधिकारिक तौर पर अमेरिकी सैनिकों को देश छोड़ने के लिए कहा है और शनिवार 14 मार्च को की गई कई पॉपुलर मोबलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) या हसद अल-शाबी शिविरों पर अमेरिकी हमलों की निंदा की है।
पीएमएफ शिविरों पर हमले ताजी शिविर पर हुए हमलों के बाद किए गए थे जिसमें 3 विदेशी सैनिकों की मौत हो गई थी। इराकी सेना द्वारा जारी बयान के अनुसार अमेरिकी सैनिकों पर हमले सरकार की अनुमति के बिना इराक के अंदर हमले करने के क्षमा योग्य नहीं हो सकते।
यूएस सेक्रेट्री ऑफ स्टेट माइक पोम्पिओ ने पहले किसी भी हमले का बदला लेने के अपने अधिकारों का दावा किया है। हालांकि, शिविरों से सैनिकों को वापस लेने का सोमवार का निर्णय इराक में अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं का संकेत है।
अमेरिका द्वारा 3 जनवरी को कमांडर अबू मेहदी अल-मुहांदिस की हत्या के बाद पीएमएफ ने कई मौकों पर अमेरिकी सैनिकों को देश छोड़ने के लिए कहा है।
5 जनवरी को इराकी संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें सभी विदेशी सैनिकों को देश छोड़ने के लिए कहा गया था।
अमेरिका और अन्य विदेशी सैनिकों ने तब से अपने ठिकानों पर कई रॉकेट हमलों का सामना किया और इन हमलों में कई सैनिक मारे गए और घायल हुए।
अमेरिका ने वर्ष 2003 में इराक पर आक्रमण किया और बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को वहां तैनात किया। हालांकि बाद में अधिकांश सैनिकों को वापस बुला लिया गया था लेकिन उनकी उपस्थिति को 2014 में इस्लामिक स्टेट या आईएसआईएस के उदय के बाद बढ़ा दिया गया। देश में इस समय लगभग 5200 अमेरिकी सैनिक हैं। 2017 में इस्लामिक स्टेट की हार के बाद से इराक में सैनिकों की उपस्थिति एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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