विपक्षी दलों के सांसदों ने महंगाई को लेकर संसद परिसर में लगातार दूसरे दिन धरना दिया
नई दिल्ली: राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने महंगाई और कई जरूरी खाद्य वस्तुओं को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने के विरोध में बुधवार को संसद भवन परिसर में धरना दिया।
इन सांसदों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। इन लोगों ने एक बैनर भी ले रखा था जिस पर गैस सिलेंडर की तस्वीर थी और लिखा था ‘‘दाम बढ़ने से आम नागरिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, वे कैसे जीवन यापन करेंगे?’’कुछ सांसदों ने अपने हाथों में तख्तियां भी ले रखीं थीं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, तेलंगाना राष्ट्र समिति के नमा नागेश्वर राव एवं के. केशव राव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर और कई अन्य विपक्षी सांसद इस धरने में शामिल हुए।
विपक्षी सांसदों ने ‘दूध-दही पर जीएसटी वापस लो’ के नारे भी लगाए। इस मौके पर खड़गे ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी के नेतृत्व में कई दलों ने प्रदर्शन किया है। आज आटा, दही और कई अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं। आम लोगों के ऊपर इस सरकार ने अत्यचार किया है। इसके खिलाफ हम विरोध करेंगे।’’
विपक्षी दलों ने मंगलवार को भी इसी विषय पर संसद परिसर में धरना दिया था और दोनों सदनों में हंगामा किया था जिस कारण कार्यवाही बाधित हुई थी।
जीएसटी परिषद के फैसले लागू होने के बाद सोमवार से कई खाद्य वस्तुएं महंगी हो गईं। इनमें पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही शामिल हैं, जिन पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा।
आपको बता दें कि हाल ही में राज्यसभा सचिवालय ने एक बुलेटिन जारी कर कहा था कि संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं किया जा सकता।
धरना, प्रदर्शन को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया था जब एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा था ।
मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी द्वारा जारी बुलेटिन में इस विषय पर सदस्यों से सहयोग का अनुरोध किया गया था।
बुलेटिन में कहा गया है कि, ‘‘सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिये नहीं कर सकते।’’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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