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ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी जारीः तीन महीने में दो लाख कर्मियों की हुई छंटनी

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में रोज़गार का संकट गहराता जा रहा है। इस साल अप्रैल तक 18 महीने के दौरान देशभर के 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हुए।
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फोटो साभार : The Financial Express

ऑटोमोबाइल की बिक्री में भारी कमी के चलते देश भर में पिछले तीन महीनों में खुदरा विक्रेताओं ने दो लाख कर्मचारियों की छंटनी की है। उद्योग संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अनुसार निकट भविष्य में इसमें सुधार की संभावना नहीं दिखाई दे रही है। इसके चलते और शोरूम बंद हो सकते हैं और छंटनी का सिलसिला जारी रह सकता है।

फाडा के अध्यक्ष आशीष हर्षराज काले के हवाले से जनसत्ता में छपी ख़बर के मुताबिक़ बिक्री में कमी के चलते कर्मचारियों की छंटनी के अलावा डीलरों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है ऐसे में और छंटनी हो सकती है। हर्षराज ने कहा कि ऑटोमोबाइल उद्योग को राहत देने के लिए सरकार को जीएसटी में कटौती जैसे उपाय करने चाहिए। ये छंटनी फिलहाल फ्रंट एंड बिक्री में हो रहा है। अगर इस तरह से सुस्ती जारी रही तो तकनीक विभाग की नौकरियां भी प्रभावित हो सकती है जिससे देशभर में बेरोज़गारी का संकट गहरा हो सकता है।

वाहन बिक्री में कमी

आशीष हर्षराज ने कहा कि हम कर्मचारियों के प्रशिक्षण में काफी निवेश करते हैं। ऐसे में कर्मचारियों को हटाना आख़िरी विकल्प है। वाहन निर्ममाताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में सभी श्रेणियों में वाहनों की बिक्री 12.35 प्रतिशत घटकर 60,85,406 इकाई रह गई। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में वाहन बिक्री 69,42,742 इकाई रही थी।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार देश की बड़ी कंपनियों मारुति सुजुकी, ह्यूंडई, महिंद्रा, टोयोटा और होंडा की बिक्री में जुलाई महीने में लगातार गिरावट दर्ज की गई। इस साल जुलाई माह में मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री 36.30 प्रतिशत घटकर 98, 210 इकाई रही। पिछले साल इसी महीने में सुजुकी की घरेलू बिक्री 1,54,150 इकाई रही थी।

वहीं हुंडई की जुलाई महीने में घरेलू बिक्री पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत घटकर 39,010 इकाई रही। पिछले साल इसी महीने में कंपनी की बिक्री 43,481 इकाई रही थी। उधर महिंद्रा की बिक्री में 16 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। कंपनी ने पिछले साल इस महीने में जहां 44, 605 इकाई बेची थी वहीं इस साल जुलाई माह में 37,474 इकाईयों को ही बेच पाई।

टोयोटा की बिक्री में 24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। पिछले साल कंपनी के वाहनों की बिक्री 13,677 इकाई थी वहीं इस साल इसी अवधि में कंपनी 10, 423 इकाई बेचने में कामयाब रही। होंडा की बिक्री जुलाई महीने में 48.67 प्रतिशत घट गई। पिछले साल इसी अवधि में कंपनी ने जहां 19,970 इकाई वाहन की बिक्री की थी वहीं इस साल जुलाई में कंपनी की बिक्री 10.250 इकाई रही।

शोरूम बंद होने का असर

हर्षराज ने कहा कि इस साल अप्रैल तक 18 महीने के दौरान देशभर के 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हो गए।

अभी तक दो लाख लोगों की छंटनी की गई है। देश भर में 15 हज़ार डीलरों द्वारा चलाए जा रहे 26 हज़ार शोरूम में क़रीब 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार मिला हुआ है। इसी तरह 25 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोज़गार मिला है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीने में डीलरशिप से दो लाख कर्मियों को हटाया गया।

इससे पहले इस साल के अप्रैल तक 18 महीने के दौरान देशभर के 271 शहरों में 286 शोरूम बंद हुए जिसमें 32 हजार लोगों की नौकरी चली गई। काले ने कहा कि अच्छे चुनाव परिणाम और बजट के बावजूद वाहन क्षेत्र में सुस्ती है। इस साल मार्च तक डीलरों ने कर्मियों की छंटनी नहीं की थी क्योंकि हमें लग रहा था कि ये सुस्ती अस्थायी है। लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। इस वजह से डीलरों ने कर्मियों की छंटनी शुरू कर दी।

भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री

भारत विश्व का सातवां सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री है। यह वर्ष 2009 में जापान, दक्षिण कोरिया, और थाइलैंड के बाद एशिया का चौथा सबसे बड़ा वाहन निर्यातक बन गया। भारत ने वर्ष 2009 में 26 लाख इकाईयों का उत्पादन किया था। एक अनुमान के मुताबिक़ वर्ष 2050 तक भारत की सड़कों पर 61.1 वाहन होने की संभावना है जो विश्व में सर्वाधिक वाहन संख्या होगी।

ज्ञात हो कि भारत में वाहन उद्योग की शुरुआत 1940 के दशक में हुई थी। हिंदुस्तान मोटर के 1942 में लॉन्च किया गया था। महिंद्रा एंड महिंद्रा की स्थापना दो भाईयों द्वारा 1945 में स्थापित की गई थी जिसने जीप सीजे-3ए तैयार करना शुरू किया था। 1980 के दशक में भारत सरकार ने सुजुकी को छोटी कारों के निर्माण के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए चयन किया। वर्ष 1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के पश्चात कई भारतीय व बहु-राष्ट्रीय कंपनियां भारत के बाज़ार में उतरी। तब से घरेलू व निर्यात मांगों की पूर्ति के लिए वाहन निर्माण उद्योग में लगातार वृद्धि होती रही

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