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प्रज्ञा ठाकुर का ‘तेरा सर्वनाश हो’ बयान सोचा-समझा राजनीतिक बयान है

‘सर्वनाशी बयान’ को ग़लती या भूल-चूक से दिया गया बयान समझने की भूल हरगिज न करें। यह पूरी तरह से सोचा-समझा राजनीतिक बयान है, जिसका मक़सद है, हिंदुत्व फ़ासीवाद के इर्द-गिर्द बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को गोलबंद करना।
बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से प्रत्याशी बनाया है
फोटो : साभार

मालेगांव आतंकवादी षडयंत्र-2008 मामले की मुख्य अभियुक्त और भोपाल (मध्य प्रदेश) लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर के ‘सर्वनाशी बयान’ को ग़लती या भूल-चूक से दिया गया बयान समझने की भूल हरगिज न करें। यह पूरी तरह से सोचा-समझा राजनीतिक बयान है, जिसका मक़सद है, हिंदुत्व फ़ासीवाद के इर्द-गिर्द बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को गोलबंद करना। इसीलिए, भाजपा व उसकी नियंत्रक संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बनायी गयी रणनीति के तहत, प्रज्ञा ठाकुर की सिसकती कहानियां और सिसकती तस्वीरें जारी की जा रही हैं। आगे अभी और जारी होंगी।

मालेगांव, महाराष्ट्र में बम धमाका 29 सितंबर 2008 को हुआ था।  इस आतंकवादी कार्रवाई में छह लोग मारे गये थे और 101 लोग घायल हुए थे। इस घटना की जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व महाराष्ट्र आतंकवादी विरोधी दस्ता (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे ने की थी। (हेमंत करकरे 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में मारे गये थे।)

जांच-पड़ताल करते हुए हेमंत करकरे और उनकी टीम ने इस घटना की ज़िम्मेदार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (भाजपा का छात्र संगठन) की भूतपूर्व कार्यकर्ता प्रज्ञा ठाकुर और अन्य लोगों को ढूंढ निकाला। प्रज्ञा ठाकुर को 24 अक्तूबर 2008 को गिरफ़्तार कर लिया गया, और इसी के साथ हिंदुत्व आतंकवादी समूहों के बारे में खोजबीन और तहक़ीक़ात शुरू हुई। इस संदर्भ में हेमंत करकरे की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही, और वह हिंदुत्व आतंकवादियों की आंखों का कांटा बन गये।

बाद में, 2011 में, इस घटना  की जांच का काम राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया। एनआईए ने पूरक आरोपपत्र 2016 में दाख़िल किया और प्रज्ञा ठाकुर को निर्दोष बताया। तब तक केंद्र में भाजपा की सरकार बन चुकी थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गये थे। इसी के साथ एनआईए का नज़रिया भी बदल गया था। उन्हीं दिनों विशेष सरकारी वकील रोहिणी सानियाल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया था कि एनआईए अधिकारी मुझ पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि मैं प्रज्ञा ठाकुर के मामले में नरम रुख़ अख़्तियार करूं और उसे बम धमाका अपराध का दोषी साबित करने के लिए दलीलें न दूं।

बहरहाल, एनआईए की विशेष अदालत ने 2017 में प्रज्ञा ठाकुर को ज़मानत दे दी, लेकिन उसे दोषमुक्त नहीं घोषित किया। पिछले साल मुंबई स्थित इस विशेष अदालत ने तय किया कि ग़ैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत आतंकवादी गतिविधियों, अपराधपूर्ण साज़िश और हत्या के मामलों में प्रज्ञा पुरोहित पर मुक़दमा चलेगा, क्योंकि इसके लिए पर्याप्त सबूत मौज़ूद हैं।

जिस व्यक्ति पर इतने गंभीर आरोप हैं, उसे लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है? यही कि हिंदुत्व आतंकवाद भारतीय राष्ट्रवाद का दूसरा नाम है! हम ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां नफ़रत से भरे भाषण खुलेआम सीधी कार्रवाई—खूंरेजी से भरी कार्रवाई—में बदल रहे हैं। जिस व्यक्ति पर मुसलमानों को निशाना बना कर बम धमाके करने, हत्या करने, अपराधपूर्ण साज़िश रचने के आरोप हैं, उसे हिंदू-हिंदुत्व-हिंदुस्तान की चैंपियन घोषित किया जा रहा है!

हेमंत करकरे के प्रति अपनी नफ़रत व्यक्त करते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने 19 अप्रैल 2019 को भोपाल में एक चुनावी सभा में कहा कि मेरे शाप से हेमंत करकरे की मौत हुई। प्रज्ञा ने कहाः ‘उसने (हेमंत करकरे ने) मुझे गिरफ़्तार किया था और मुझसे पूछताछ करता था। मैंने उससे कहा, तेरा सर्वनाश होगा...  सवा महीने में आतंकवादियों ने उसे मार दिया।’

इस बयान पर हो-हल्ला मचने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने अपना बयान वापस लेने की दिखावटी घोषणा की, लेकिन यह भी कहा कि भोपाल लोकसभा सीट मैं ही जीतूंगी।

आरएसएस और भाजपा को लगता है कि यह ‘सर्वनाशी बयान’ गुल खिलायेगा और भाजपा के पक्ष में हिंदुओं का ध्रुवीकरण करेगा। इसीलिए  इन दोनों हिंदुत्व संगठनों के किसी ज़िम्मेदार पदाधिकारी ने इस बयान की निंदा नहीं की। नरेंद्र मोदी तो प्रज्ञा ठाकुर की तरफ़दारी में लगे रहे। उन्हें पता है, हिंदुत्ववादी भारत ऐसे ही बनेगा! यह उच्चाधिकार-प्राप्त अनुमोदित हिंदुत्व फ़ासीवाद है!

(लेखक वरिष्ठ कवि और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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