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फेडकुटा (FEDCUTA) सरकार की नीतियों से ख़फा, जनवरी के अंत में राष्ट्र स्तरीय विरोध की घोषणा

संगठन के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्व-वित्तपोषण पाठ्यक्रमों (यानी अपना खर्चा खुद उठाओ) और छात्रों की फीस में वृद्धि के ज़रिए खुद संसाधन जुटाने को मजबूर कर रहा है.
higher education

सार्वजनिक रूप से आर्थिक सहयोग प्राप्त शिक्षा (सरकारी शिक्षा) और उच्च शैक्षणिक संस्थानों पर अभूतपूर्व हमलों के खिलाफ विरोध कार्यवाही को तेज करते हुए, फेडरेशन ऑफ सेंट्रल यूनिवर्सिटी 'टीचर्स एसोसिएशन (फेडकुटा) ने जनवरी के अंत में अखिल भारतीय आंदोलन के लिए आह्वान किया है.

फेडकुटा ने उच्च शिक्षा को आर्थिक मदद देने वाली एजेंसी की स्थापना, और वर्गीकृत स्वायत्तता पर प्रस्तावित नियमों का संज्ञान लेते हुए, कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को आत्म-वित्तपोषण (अपना खर्च खुद उठाओ) पाठ्यक्रमों और छात्रों की शुल्क वृद्धि के माध्यम से संसाधनों को पैदा करने के लिए मजबूर कर रही है. फेडकुटा की राष्ट्रीय कार्यकारी ने इन नीतियों पर अपनी असहमति व्यक्त की है.

रविवार को जामिया मिलिया में आयोजित फेडकुटा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की हुयी बैठक में भी इस तरह के विरोध का उल्लेख किया गया था जिसमें हितधारकों (Stakeholders) के साथ कोई भी परामर्श किये बिना शिक्षा विरोधी नियमों को लागू किया जा रहा है.

राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान, फेडकुटा कार्यकारिणी ने अपनी मांग को दोहराया कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वैधानिक निकायों में प्रतिनिधित्व चुना जाना चाहिए और विश्व भारती सहित सभी विश्वविधालयों में कुलपति की नियुक्ति  स्थायी होनी चाहिए.

बैठक में शिक्षकों के लिए जारी 7 वें वेतन संशोधन अधिसूचना पर भी चर्चा हुई और उन्होंने इस बात की निंदा की कि यह  पहली बार हुआ है जब सरकार ने यू.जी.सी. वेतन समीक्षा समिति की रपट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने निराशा के साथ यह भी नोट किया कि एम. फिल / पी.एच.डी. स्कोलार्स के लिए उनको दी जा रही आर्थिक मदद में की गयी वृद्धि भी हटा दी गई और 6 वें वेतन संशोधन की विसंगतियों का भी निपटारा नहीं किया गया. इसे कुछ और नहीं बल्कि केवल शिक्षण पेशे को नीचे के स्तर पर धकेलना कहा जाएगा

प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में फेडकुटा ने कहा कि जनवरी के अंत में या फिर फरवरी की शुरुआत में, यू.जी.सी. (विश्वविधालय अनुदान आयोग) के समक्ष ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी और कॉलेज टीचर्स संगठनों (ए.आई.एफ.यू.सी,टी.ए.) के साथ मिलकर अखिल भारतीय आंदोलन की शुरवात करेगा और संसद के बजट सत्र के दौरान उपरोक्त सभी मांगों को उजागर करेगा.

देश भर में विरोध प्रदर्शन के दिए गए आह्वान के तहत पूरे देश में हाल ही के महीनों में काफी विरोध प्रदर्शन हुए. 21 नवंबर को, दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (डूटा) ने मंडी हाउस से एम.एच.आर.दडी. तक एक मार्च का आयोजन किया था.

"उच्च शिक्षा अभियान बचाओ" के भाग के रूप में, ए.आई.एफ.यू.सी.टी.ओ. और फेडकुटा के सभी सहयोगी संगठन 30 नवंबर को पूरे देश में धरना का आयोजन करेंगे. धरनों के साथ-साथ, शिक्षक हस्ताक्षर अभियान भी चलाएंगे और सम्बंधित दस्तावेजों को एम.एच.आर.डी. में भेज देंगे. 12 दिसंबर को फिर से, इसी अभियान के तहत हर राज्य मुख्यालय में धरना और रैलियों का आयोजन किया जाएगा.

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