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फेसबुक की फनी मनी और रियल मनी

फेसबुक यूजर्स, लिबरा या फेसबक्स खरीदकर, फेसबुक के नकदी फंड में बहुत अधिक इजाफा करेंगे।
Libra
फोटो साभार: Money Week

क्या फेसबुक का पैसा – लिबरा या फेसबक्स - कुछ मज़ेदार पैसा है, या वह सभी मुद्राओं के लिए खतरा है? और क्या यह लोगों की नकदी को फेसबुक में स्थानांतरित करने का एक बहुत बड़ा  घोटाला है?

फेसबुक की प्रस्तावित मुद्रा लिबरा - या जिसे फेसबक्स भी कह सकते हैं - ने दुनिया भर में तूफान खड़ा कर दिया है। उदारवादी लोग लिबरा को एक क्रिप्टोकरेंसी के समान रुप में देखते हैं, जो फेसबुक के बड़े पैसे द्वारा समर्थित क्रिप्टोकरेंसी का ही एक अन्य संस्करण है और विभिन्न कंपनियों के झुंड द्वारा इसे पेश किया गया है, इस  सब से वह दिन भी जल्दी ही आ जाएगा जब क्रिप्टोकरेंसी वास्तव में सभी वैश्विक मुद्राओं को चुनौती देना शुरू कर देगी। और धन के वैश्वीकरण का ‘हायेक का सपना’ पुरा हो जाएगा।

या शायद, एल्स्नर द्वारा हैकरून के लेख के अनुसार, फेसबुक ने अपने 40 अरब डॉलर के कैश रिज़र्व को ठीकाने लगाने के लिए एक जगह बनाई है और जिसे हर कोई क्रिप्टो करेंसी मान रहा है – असल में यह किसी भी प्रकार के ब्याज का भुगतान किए बिना मुक्त नकदी को ठीकाने लगाने का एक चतुर तरीका है, और  इसके जरीए वह जहां चाहे वहां उसे ठीकाने लगा सकता है।

लिबरा के व्हाईट पेपर पर लिखे कुछ वाक्य हैं, जो कहते हैं कि लिबरा भी लोगों के लिए एक वैश्विक डिजिटल पहचान (एक वैश्विक आधार) को सक्षम बनाएगा। वही फेसबुक यह सब कर रहा है, जो बड़े पैमाने पर प्राइवेसी के उल्लंघन के लिए जाना जाता है। एक ऐसा प्ल्टेफोर्म जो पोस्ट देखे जाने  के आधार पर उपयोगकर्ताओं से उगाही करता है। आत्ममुग्ध डिजिटल दुनिया में जिसकी कमाई इस तरह से होती है कि अगर आप चाहते हैं कि आपके पोस्ट देखे जाएं, तो आप हमें भुगतान करें।

इस लेख में मैं लिबरा की बारीक़ छानबीन नहीं करना चाहता। इसके बजाय, मैं इस बात पर ध्यान केंद्रित करने जा रहा हूं कि पैसा क्या है, सिद्धांत में नहीं, बल्कि व्यवहार में क्या है ? पैसा वह है जो हम लेनदेन के लिए उपयोग करते हैं; अगर हम इसे स्टोर करना चाहते हैं तो हम इसे बैंक में डालते हैं - या गद्दे के नीचे दबाते हैं। सीधे शब्दों में कहें, यह विनिमय का एक साधन या मूल्य का भंडार है। दोनों में से किसी भी तरह इसे वैधता मिल सकती है।  राज्य इसका समर्थन करता है; हर नोट पर केंद्रीय बैंक की गारंटी दी जाती है। धन के अन्य सभी रूप, उदाहरण के लिए, जिनका उपयोग अली बाबा-अली पे या पेटीएम द्वारा किया जाता है, उनका मूल्य केंद्रीय मुद्रा से प्राप्त होता है, और इन्हें "डिजिटल वॉलेट" कहा जा सकता है जिसे हम इन कंपनियों के साथ रखते हैं।

अधिकांश लोग इन वॉलेट का उपयोग नकद लेन-देन की जगह करते हैं। जहां नकद लेन -देन की जगह मोबाइल वॉलेट के जरिए भुगतान किए जाता है। चीन में, अधिकांश लोग भुगतान के लिए वी चैट या अली पे का उपयोग करते हैं, यहां तक कि छोटे भुगतान के लिए भी। नकद लेनदेन और क्रेडिट कार्ड भुगतान के उपयोग दोनों चीन में कम हो रहे हैं, कुछ ऐसा जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी हो सकता है।

फेसबुक की लिबरा एक साथ दो चीजों का प्रयास कर रही है। एक तो यह सभी वैश्विक मुद्राओं को चुनौती दे रही है क्योंकि किसी भी विशिष्ट मुद्रा के उपयोग के बिना फेसबुक के पारिस्थितिकी तंत्र में भुगतान करना संभव होगा। यह एक निजी कंपनी द्वारा समर्थित मुद्रा है, सरकार द्वारा नहीं। इसलिए यह सरकारों के किसी भी तरह के मुद्रा नियंत्रण के उपाय से पूरी तरह बाहर हो जाएगा। बेशक, फेसबुक क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग संप्रभु गारंटी के विकल्प के रूप में कर रहा है,  जिसे हर देश अपनी मुद्रा के लिए आगे बढ़ाता है। लेकिन हमें स्पष्ट होना चाहिए कि लिबरा या फेसबक्स की विश्वसनीयता इसके क्रिप्टो एल्गोरिथ्म नहीं बल्कि फेसबुक द्वारा समर्थित होने में निहित है।

बेशक,असली दुनिया इतनी आसान नहीं है। हां, अमेरिका को छोड़कर कोई भी देश फेसबुक के पैसे को विनियमित नहीं कर सकेगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि फेसबुक अमरीकी कानून के तहत काम करने वाली एक अमेरिकी कंपनी है। यह उन्हीं कानूनों से बंधा है जो अमेरिकी बैंकों पर लागू होते हैं। याद है जब ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाए गए थे, और उसके सभी पैसे अमेरिकी बैंकों में पड़े थे - और जिन्हे अमेरिका के बाहर भी - अमेरिका द्वारा जब्त कर लिया गया था।  वास्तव में, इस पैसे की वापसी ईरान-अमेरिका संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) सौदे का एक हिस्सा है, जिसके एक भाग को ट्रम्प ने फिर से जारी किया है। तो खुद को मूर्ख मत बनने दो; क्योंकि फेसबुक का पैसा अमेरिका को छोड़कर किसी भी सरकार के कानूनी नियंत्रण में नहीं होगा।

दूसरा भाग फेसबुक के 2.27 अरब उपयोगकर्ताओं से जुड़ा है। अगर इनमें से बहुत कम संख्या में युजर्स फेसबक्स के अपने डिजिटल लिबरा वॉलेट में पैसा डालने के लिए "खरीदते हैं", फेसबुक को भारी मात्रा में नकदी मिल जाएगी। यह इसके माध्यम से नकद भंडार के तौर पर अपने पास रखे  40 अरब डॉलर 
 में बहुत बड़ी राशि जोड़ सकता है। फेसबुक मेनलो पार्क, के कैलिफोर्निया स्थित अपने मुख्यालय में अपने वाल्टों में अपने रिजर्व को नहीं रखता है। क्योंकि ये बैंक में कुछ मामूली सा ब्याज कमाते हैं। या शोध में पाय गाया कि यह एक विशाल हेज और निवेश निधि के रूप में नकदी के इस विशाल ढेर का उपयोग करता है। लिबरा को खरीदकर फेसबुक क्या करेगा, वास्तविकता में, फेसबुक अपने लिए लिक्विड फंड के इस ढेर को बढ़ा रहा होगा। हम फेसबुक के फेयरग्राउंड में खेलने के लिए कुछ मज़ेदार पैसे की खरीद करते हैं; और जबकि जुकरबर्ग असली दुनिया में खेलने के लिए असली नकदी का इस्तेमाल करता है।

फेसबुक ने दावा किया है कि इसके फेसबक्स को वर्जित वित्तीय प्रणाली में प्रवेश करने की अनुमति होगी; वे गरीबों की मदद के लिए अपने संस्करण को पेश कर रहे हैं, न कि फेसबुक की जेबों को भरने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। अधिकांश लोग फेसबुक के असली "परोपकार" से अवगत हैं: यह दुनिया की सबसे अमीर कंपनियों में से एक बन गई है, और मार्क जुकरबर्ग इसके सबसे अमीर नागरिकों में से एक है। भारत में, हम पहले से ही उनके फ्री बेसिक्स अभियान के दौरान "गरीबों की मदद करने" के फेसबुक बयान से परिचित हैं। यहां ज्यादा कुछ होने की संभावना नहीं है। लेकिन अभी भी उन देशों में कुछ कर्षण हो सकता है जो मानते हैं कि फेसबुक इंटरनेट है। या उन लोगों में से जो इंटरनेट का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर फेसबुकिंग के लिए करते हैं।

इसलिए प्रमुख प्रश्न यह हैं: क्या फेसबुक दुनिया में पहला ऐसा धन पेश कर रहा है जिसे किसी संप्रभु या संप्रभु देश द्वारा समर्थन प्राप्त नहीं है? या यह किसी भी विनियमन के खिलाफ तैयार किया जाने वाला बैंक है, जिसे लॉन्च कर एक विशाल घोटाला तैयार किया जा रहा है? या मुद्रा पर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है? क्या यह कहा जा सकता है कि फेसबुक को ऐसा करने की अनुमति देने वाले देश अपनी अर्थव्यवस्था के धन के पक्ष को नियंत्रित कर सकते है?

चीन और अमेरिका के लिए, मुद्दे काफी सरल हैं। अमेरिका में, फेसबुक अपने अधिकार क्षेत्र में है और उसे वहां मौजूद किसी भी नियामक ढांचे या संबंधित कानून का पालन करना होगा। फिर,चीन के लिए भी, यह काफी सरल है क्योंकि चीन में फेसबुक नहीं है। उन्हें फेसबुक को नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं है, और वहां वे दो मोबाइल वॉलेट्स वी चैट और अली पे को आराम से विनियमित कर सकते हैं। 

उत्तर कोरिया, ईरान और रूस के अपवाद को छोड़कर, जो पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत हैं, यह दुनिया का बाकी हिस्सा है जिसमें यह समस्या है। क्या इन देशों में, नियामक औथोरिटी फ़ेसबुक पैसे पर प्रतिबंध लगा सकेंगे? या फ़ेसबुक के उपयोगकर्ता, जो किसी भी देश की जनसंख्या की तुलना में आज बड़ी संख्या में हैं, क्या वे अपनी सरकारों को फेसबुक के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने में सक्षम होंगे? यह बड़ी लड़ाई है जो वित्तीय दुनिया में आकार ले रही है।

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