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फ़ोर्तालेज़ा में ब्रिक्स शिखर वार्ता को जस्ट नेट कोएलिशन का पत्र

पहले कुछ नेताओं में से अमेरिका के खिलाफ बोलने वाली डीलमा रौसेफ्फ़ थी, जिन्होंने अमरीकी की जासूसी को "अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन" करार दिया। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है, कि ब्रिक्स के 6ठे शिखर सम्मेलन में अमरीका द्वारा  "राज्य की और मानव अधिकारों की संप्रभुता की अवेहलना करते हुए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और दुनिया भर में सभी व्यक्तियों के आंकड़े एकत्र करने, साथ ही, गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन करता है" बताया। शिखर सम्मेलन की संध्या पर जस्ट नेट कोयिलिशन जोकि उन कार्यकर्ताओं का वैश्विक नेटवर्क है जो खुले और न्यायसंगत इन्टरनेट के लिए लड़ रहे हैं, ने ब्रिकस राष्ट्रों को इन्टरनेट गवर्नेंस पर एक पत्र लिखा। पूरा ब्यान नीचे प्रकाशित किया जा रहा है:

 

ब्रिक्स राष्ट्र ऐसा नया ग्लोबल इन्टरनेट गवेर्नेंस मॉडल उपलब्ध कराएँ जो मानव अधिकार रक्षा को सुनिश्चित कर सके और साथ ही जो दुनियाभर के लोगो को निष्पक्षता और सामाजिक न्याय प्रदान कर सके।

 

1990 से एक ध्रुवीय दुनिया जबसे बनी है अमरीका निर्देशित इन्टरनेट गवर्नेंस के मॉडल ने बड़े पैमाने निगरानी, जन अधिकार का उलंघन, और आर्थिक शक्ति बड़े पैमाने पर अमरीका आधारित वैश्विक निगमों या कंपनियों के हाथ में इकठ्ठा हुयी हैं। यह मॉडल वैश्विक जनसंख्या के बड़े हिस्से को डिजिटल विकास के बढ़ते फायदों से और उसमे पूर्ण भागीदारी से दूर करता है, वर्तमान शासन संरचना, मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन और समग्र आर्थिक समानता और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने में विफल रहा है।

 

आज इस बात को ध्यान में रखते हुए कि इन्टरनेट सामाजिक बदलाव में मुख्य संचालक बन रहा है, इसलिए इन्टरनेट गवनेंस के एक नए मॉडल की जरूरत है, जोकि विश्व में सबके लिए मानव अधिकार को बढ़ावा दे, और जो दुनिया के सभी वाशिंदों के लिए निष्पक्षता और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित कर सके। ब्रिक्स देशो का समूह विश्व की 40 प्रतिशत आबादी, और विश्व सकल घरेलु उत्पाद का 30 प्रतिशत क्रय शक्ति समानता अवधि का प्रतिनिधित्व करता है, और विशिष्ट इंटरनेट गवर्नेंस का एक वैकल्पिक मॉडल तैयार करने के साथ ही नए इंटरनेट प्लेटफार्मों के विकास और डिजिटल टूल्स में नेतृत्व करने के लिए तैयार मॉडल है। इस तरह की विकसित गतिविधियाँ न केवल लोगों पर केंद्रित इंटरनेट मॉडल को सुनिश्चित करेगी बल्कि उन कुछ वैश्विक निगमों के एकाधिकार तोड़ेगी जो अपनी राष्ट्रीय सरकारों के साथ वाणिज्यिक और जनसाधारण के डाटा में एक-दुसरे के पार्टनर है और जो एकीकृत वैश्विक निगरानी राज्य बनाने के लिए योगदान दे रहे हैं।

 

जस्ट नेट कोयीलेशन, एक वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ब्रिक्स देशों का आह्वाहन करता है जो ब्राज़ील के फोर्टालेज़ा में मिल रहे हैं कि वे दुनिया को अमरीका आधारित इन्टरनेट गवर्नेंस ढाँचे में सुधार के लिए न्रेतत्व प्रदान करें। हम ब्रिक्स देश का यह भी आह्वाहन करते हैं कि वे सब जगहों की तरह इन्टरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी और गोपनीयता के अधिकार की मान्यता के लिए अपना मत तय करें, और इसकी भी नितांत जरूरत है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के मुनाफों और इनामों को विश्व स्तर पर सामान रूप से बांटा जाए। खासकर हम निम्नलिखित की सिफारिश करते हैं:

 

1.इंटरनेट से संबंधित मानकों और (नाम और नंबर सहित) महत्वपूर्ण संसाधनों को इस तरह से विकसित किया जाना चाहिए ताकि वह एक खुले और अनवरत इंटरनेट वास्तुकला को सुनिश्चित कर सके, वैश्विक सार्वजनिक हित, लोगों के नागरिक राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की अनुरूपता को बरकरार रखते हुए, साथ ही विकास का अधिकार कायम रख सके।

 

2.यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि डिजिटल ऑफ़लाइन दायरे के भीतर वैध राजनीतिक अधिकार और न्यायालय के अधीन होना चाहिए न कि निजी कानून और पुलिस व्यवस्था के दायरे में जो आजकल काफी तेज़ी से बढ़ रहा है, मार्को सिविल कानून के माध्यम से जिसे ब्राजील में हासिल किया गया है, यह अधिकार आधारित और लोकतांत्रिक होना चाहिए। ब्रिक्स को एक इंटरनेट फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिए आह्वाहन करना चाहिए और वैश्विक इंटरनेट से संबंधित नीतियों को विकसित करने में नेतृत्व लेना चाहिये।

 

3.हम संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार संगठन कि उस पहलकदमी का स्वागत करते हैं जिसमे उसने ट्रांस राष्ट्रीय निगमों द्वारा मानव अधिकारों के दुरुपयोग में लगाम कसने के लिए एक संधी विकसित करने के लिए कहा है। ब्रिक्स न्रेतत्व को ऐसी सभी पहलकदमियों का मजबूती से स्वागत करना चाहिए। उन्हें उन नीतियों को भी बढ़ावा देना चाहिए जो इस बात का समर्थन करती हैं कि इन्टरनेट ज्ञान के आदान-प्रदान का वैश्विक मंच है और जो बौद्धिक सम्पदा अधिकार के सघन इन्टरनेट गवनेंस निजाम का विरोध करे जो अथाह एकाधिकार को सृजित कर रही है और जो अव्यवाह्रिक और अप्रभावी वैश्विक आर्थिक किरायों की वशूली कर रही है।

 

4.ब्रिक्स देशों को शोध, ऑपरेटिंग सिस्टम, डाटा संग्रहण और क्लाउड सर्विस के लिए नए खुले इन्टरनेट मंच को विकसित करने में न्रेतत्व प्रदान करना चाहिए, यह मानते हुए कि इनमे जरूरी कुशलता, बड़ी इन्टरनेट बाज़ार और राजनितिक प्रबुधता है जो बड़े स्तर पर जासूसी करने की प्रचलित व्यवस्था और किराया आधारित बिज़नस मॉडल को तोड़ने की क्षमता रखते है। इसे आम जन साधारण को उनकी भाषा में उपलब्ध करना चाहिए। इस ब्यान के परिशिष्ट में, हमने ब्रिक देशों को विस्तारपूर्वक सुझाव दिए हैं कि कैसे इसके मुताल्लिक ठोस कदम उठाने चाहिए।

 

परिशिष्ट: विश्वासपात्र आई.सी.टी. के लिए ठोस कदम

 

यह पत्र इस बात की सिफारिश करता है कि ब्रिक्स देश सामूहिक तौर पर ओपन सोर्स सोफ्टवेयर को विकसित करने के लिए निवेश करे जो इन्टरनेट पर प्रसार को सुरक्षित करे और जो अमरीकी उत्पाद और सर्विसेज जो कि हाल में पूरे स्पेस को प्रभावित कर रही है के मुकाबले समुचित विकल्प पेश कर सके।

 

ब्रिक्स देश सबसे बेहतर स्थिति में हैं कि वे इन्टरनेट प्लेटफॉर्म्स और टूल्स के विकास में आगे आयें क्योंकि उनके पास जरूरी कुशलता है और आंतरिक बाज़ार उपलब्ध है और साथ ही बड़े स्तर पर जासूसी व्यापार मॉडल को तोड़ने की इनमे राजनितिक प्रबुधता है।

 

स्नोडेन के खुलासे ने साफ़ तौर पर जाहिर कर दिया है कि एक सुरक्षित ईमेल, कलेंडरिंग, मेस्सजिंग, सर्च, फाइल शेयरिंग और भण्डारण विडियो सिस्टम की जरूरत है, जोकि ब्रिक्स देशों की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक तथा नेताओं और नागरिकों को पांच आँखों की जासूसी से सुरक्षा प्रदान करेगा।

 

सिफारिशों के विभिन्न आयाम

 

1.       इस सिलसिले में ब्रिक्स देशों के विज्ञान व तकनीक विभाग के मंत्रियों के बीच एक एम्.ओ.यु. हस्तारक्षित किया जाना चाहिए जिसमें ठोस प्रतिबद्धता के आधार पर विज्ञान व तकनीक और आई.टी. क्षेत्र में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर और संप्रेषण हार्डवेयर के लिए सहयोग का रुख अपनाएँ।

 

2.       ब्रिक्स देशों को ईमेल, इंस्टेंट मेस्सेज, विडियो कांफेरेंसस, फाइल शेयरिंग और भण्डारण तथा आज के इन्टरनेट को चलाने के लिए और उसके विकास के लिए ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर समाधान के लिए विकेन्द्रीकृत संप्रेषण स्टैक बनाने के लिए फण्ड स्थापित करना चाहिए। खातौर पर सिक्यूरिटी एन्क्रिप्टेड संचार के लिए टूल्स के इस्तेमाल को कम करना चाहिए।

 

3.       ब्रिक्स को एक ऐसे अध्यन की शुरुवात करनी चाहिए जो कोलोबोरेशन या कम्युनिकेशन के अलग-अलग आयामों का अध्यन कर सके और जो सॉफ्टवेयर और कम्युनिकेशन हार्डवेयर को हासिल कर सके।

 

4.       ब्रिक्स नए स्टैण्डर्ड, प्रोटोकॉल और तकनीक जोकि नयी पीढ़ी के इन्टरनेट का आधार बनेगी में पहले से ही चल रहे अध्यन को कमीशन करे। और इसमें जरूरी बदलावों के साथ खासतौर पर जिससे कि “ कौन किसके साथ संचार करता है” की सुरक्षा को निश्चित किया जा सके।

 

वैकल्पिक ऑनलाइन प्लेटफोर्म और टूल्स के विकास के लिए ऍफ़.ओ.ओ.एस. का इस्तेमाल क्यों जरूरी है।

 

अमरीकी कंपनियों द्वारा विकसित किये गए टूल्स जैसे गूगल, फेसबुक, पेयपल, अमेज़न, ट्विटर, याहू और माइक्रोसॉफ्ट के इस्तेमाल से ९६७ प्रतिशत जासूसी का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि ये सभी टूल्स अमरीकन कानून के दायरे में आते हैं। जबकि अमरिकन नागरिक को चौथे संसोधन के आधार पर कुछ सुरक्षा है, लेकिन जो अमरीका के नागरिक नहीं हैं उन्हें इस क़ानून के तहत कोई सुरक्षा नहीं है। कोई भी डाटा जो अमरीका के क्लाउड में है या अमरीका की किसी भी कम्पनी चाहे वह दुनिया के किसी भी हिस्से में हो के सर्वर पर है उस पर भी अमरीकी कानून ही लागू होता है। कानून का यह रास्ता वैकल्पिक प्लेटफॉर्म्स को स्थापित करने के मुकाबले लोकल डाटा स्टोरेज को कम प्रभावी बनता है। गूगल, फेसबुक और याहू ने जो एकाधिकार स्थापित कर लिया है उसे तोड़ने के लिए इन विकल्पों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गूगल, फेसबुक और याहू वैश्विक डिजिटल विज्ञापन राजस्व का 40 प्रतिशत बाज़ार पर कब्ज़ा है जो 117.6 बिलियन डॉलर (2013) बैठता है, इसमें से गूगल का अकेले 38.6 बिलियन डॉलर बैठता है। गूगल का 50 प्रतिशत राजस्व केवल सर्च इंजन बाज़ार में उसके व्यापक प्रसार के कारण से आता है, जहाँ उसका बाज़ार पर 70 प्रतिशत हिस्से पर कब्ज़ा है, जबकि बैडू दूर कहीं दुसरे स्थान पर आता है। इन्टरनेट गवर्नेंस में अमरीका की नीतियाँ इस तरह से बनायी गयी हैं ताकि इनकी कंपनियों के एकाधिकार को सुरक्षित किया जा सके। जैसे-जैसे इन कंपनियों की बढ़त होगी, वैसे-वैसे अमरीका का जासूसी तंत्र तेजी से बढेगा। अमरीकी इन्टरनेट कंपनियों के बाज़ार पर कब्जे से इन्टरनेट पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली भाषा अंग्रेजी हो गयी है; इस भाषा के बोलने वाले केवल 12.5% है, जबकि अंग्रेजी में दुनिया में 55% सामग्री है। इसलिए स्थानीय भाषाओँ, साहित्य और संस्कृति को बचाने के लालसा की भी यही मांग है कि इन कंपनियों के एकाधिकार को तोड़ा जाना जरूरी है। इन प्लेटफोर्म को इस्तेमाल करने की इच्छा से, एक सामान इंटरफ़ेस और प्लेटफोर्म को इस्तेमाल करते हुए बहुआयामी टूल्स को इस्तेमाल करने की योग्यता और उसके उत्पाद का निशुल्क इस्तेमाल करने से ही इनकी प्रसिद्धता बढ़ती है (इसकी मुख्य कीमत तो निजी डाटा है)। आर्थिक मामले में, यह स्केल और नेटवर्क प्रभाव की अर्थव्यवस्था का ही असर है कि ज्यादा से ज्यादा लोग ऑनलाइन प्लेटफोर्म में शामिल हो रहे हैं।

 

स्नोडेन के खुलासे के बाद

 

स्नोडेन के खुलासे ने स्पष्ट कर दिया कि क्लाउड सर्विस और सोशल मीडिया को एन.एस.ए. और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने काफी हद इतेमाल किया है।यह केवल निजी डाटा ही नहीं है जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डालता है बल्कि उस डाटा पर भी असर डालता है जो अंतर्राष्ट्रीय वार्ता और आर्थिक मुद्दों से जुड़ा है। बड़ी वैश्विक इन्टरनेट कम्पनियों की इच्छा है कि वे या तो अमरीकन के द्दय्रे में रहे या अमरीका के राष्ट्रीय कानूनी दायरे में रहें ताकि वह इन कानूनों का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर निगरानी कर सकें। इसके अलावा, जब अमरीका की चन्द कंपनियों के पास ज्यादा-से ज्यादा डाटा इकठ्ठा हो जाएगा तो उन्हें उसकी निगरानी करने में आसानी होगी। उदहारण के तौर पर, जैसा हमने ऍफ़.आई.एस.ए. का वेरिज़ोन पर आदेश देखा, एक आदेश में लाखों यूजर्स का डाटा शामिल हो सकता है। अगर देश अपने नागरिकों को, आर्थिक और सांस्कृतिक दायरों को बचाना चाहती है तो उन्हें अपने नागरिकों के लिए वैकल्पिक टूल्स उपलब्ध कराने होंगें जो इनके इस्तेमाल में यूजर्स को वैसी ही सर्विस और आराम प्रदान करा सके। अगर हमारे पास इन कंपनियों के मुकाबले में बेहतर प्रोडक्ट नहीं होंगे तो लोग इन्ही मंचों को इस्तेमाल करते रहेंगें। इसका मतलब है की जीमेल, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, और सर्च इंजन के समानांतर ऐसे टूल विकसित हों जो यूजर्स को इसी तरह की सर्विस दे सकें जो गूगल उपलब्ध करता है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि फ्री और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (FOSS) को विकसित करें ताकि इस तरह के मंचों को प्रदान किया जा सके।

 

इस तरह के मंचों को विकसित करने के लिए हमें FOSS का ही इस्तेमाल क्यों करना चाहिए?

 

आज वैकल्पिक इन्टरनेट टूल्स और प्लेटफोर्म सृजित करने का फायदा इसलिए है कि FOSS कम्युनिटी इसे पहले से सृजित कर चुकी है:

·         Gnu-Linux का ऑपरेटिंग सिस्टम जो मुकाबले में काफी सुरक्षित है और काफी प्रसिद्ध है

·         इसमें बड़ी संख्या में टूल्स मौजूद है जो पैकेज/सुइट्स/प्लेटफोर्मस का सृजन कर सकता है

·         ब्रिक्स देशों में FOSS के लिए बड़ा समर्थन पहले से मौजूद है

 

    FOSS के प्रति समझ के लिए तीन महत्त्वपूर्ण मुख्य कारण है जोकि मालिकाना दृष्टिकोण से अलग है। पहला यह कि इसका कोड सार्वजनिक है, यह इस तरह के सॉफ्टवेयर में पिछले दरवाजे से एंट्री नहीं देता। यह इस तरह के प्लेटफोर्मस को दुनिया में जल्दी स्वीकृति प्रदान कराएगा; इसे ऐसा नहीं माना जाएगा कि यह अमरीकी निगरानी तंत्र के साथ प्रतियोगिता कर रहा है। दूसरा यह कि पहले से ही वैश्विक FOSS समुदाय मौजूद है जो पहले से ही ऐसे टूल्स को विकसित कर चुकी है या विकसित कर रही है जो आसानी से इन प्लेटफोर्मस में समाहित हो सकते हैं। तीसरा मुद्दा इसमें खर्च का है -  जिस स्तर पर फ्री सॉफ्टवेयर टूल्स उपलब्ध हैं और इस तरह के पेकेज्स पर जो समूह कही भी काम कर रहे हैं अगर उनसे समझौता करें, तो इस तरह के प्लेटफोर्मस के सृजन करने में खर्चा अन्य मुकाबले में काफी कम होगा। पहले से ही ब्राज़ील और भारत ने अपने आप को प्रतिबद्ध किया है कि वे ओपन स्टैण्डर्डस FOSS को सरकारी गतिविधियों के लिए समर्थन किया है जहाँ भी यह उसे यह उपयुक्त लगा। FOSS के लये ब्रिक्स देशों का परियोजना आधारित समर्थन भी ओपन सिस्टम को बढ़ावा देगा – हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों में – और यह कदम अमरीका आधारित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर कंपनियों के एकाधिकार को भी कम करेगा। ब्रिक्स/इब्सा देश इसके न्रेतत्व के लिए एकदम उपयुक स्थिति में। इनके पास स्किल-सेट हैं और बड़ा गृह बाज़ार है। ब्राज़ील, भारत और दक्षिण अफ्रीका की निति FOSS के समर्थन की नीति है। इन देशों की गैर अंग्रेजी सामग्री की भी जरूरत है। यहाँ तक कि भारत और दक्षिण अफ्रीका जहाँ ज्यादातर अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है, अन्य भाषाओँ की जरूरत है ताकि लोगों की संस्कृति को बचाया जा सके और इन्टरनेट सेवाओं में इन भाषाओँ का भी स्थान बन सके। जबकि ई-गवनेंस महत्तवपूर्ण हो गया है, लोगों को सरकारी सेवाये प्राप्त कराने के लिए बड़े स्तर पर उसका स्थानीयकरण करना होगा जिसे की वैश्विक इन्टरनेट कम्पनियाँ नहीं करा पाएंगीं।

 

ईमेल, तुरंत सन्देश, विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग और फाइल शेयरिंग और भण्डारण के लिए यह संभव है की ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर समाधान उपलब्ध कराया जाये।

 यह आज संभव है – अगर हम इसे एक गंभीर काम के रूप में लेते हैं – इन प्लेटफोर्म के सृजन के लिए। अगर हम फ्री और ओपन सोर्स इस्तेमाल करते हैं और ब्रिक्स देशों का इसे समर्थन मिलता है तो इस कोशिशों की कीमत ज्यादा नहीं होगी।

मानव पूँजी में निवेश करने से इन समाधानों के सृजन की जरूरत जरूरत को बल मिलेगा तथा क्षमता के विकास और दक्षिण-से-दक्षिण नेटवर्क शुरुवाती कोशिशों से आगे फल प्रदान कराएगा।

हम ब्रिक्स देशों से गुजारिश करते हैं कि वे स्नोडेन के बाद के हालातों को सामूहिक रूप से अपने में समाहित करें और फ्री और ओपन सोर्स समुदाय द्वारा जो टूल्स विकसित किये जा रहे हैं उनका फायदा उठायें और ब्रिक्स के मानव और आर्थिक संसाधनों को बढ़ाएं ताकि सुरक्षित सॉफ्टवेयर का समुचित समूह तैयार किया जा सके।

 

जस्ट नेट गठबंधन (एक न्यायसंगत इंटरनेट के लिए)

http://JustNetCoalitionorg, info@JustNetCoalition।org

 

जस्ट नेट गठबंधन (JNC) एक खुला, स्वतंत्र,  और न्यायसंगत इंटरनेट के लिए प्रतिबद्ध नागरिक समाजिक  अभिनेताओं का एक वैश्विक नेटवर्क है। फ़रवरी 2014 में स्थापित, गठबंधन, इंटरनेट और उसके गवर्नेंस के विषयों में संलग्न, लोकतंत्र, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लक्ष्य को साथ लिए चलता है। हमारे संस्थापक सिद्धांत और उद्देश्य, दिल्ली घोषणा में निहित हैं:  http://justnetcoalitionorg/delhi-declaration ।

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

 

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