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त्योहारों जयंतियों को सियासी हथियार बनाने का मंसूबा और इतिहास से डरे निज़ाम का हथकंडा

जिस तरह हमारे देश के मध्य और उत्तर के कुछ राज्यों में त्योहारों या देवी-देवताओं-महापुरुषों की जयंतियों के मौके पर धार्मिक उन्माद के साथ सांप्रदायिक हिंसा हो रही है, वह संविधान और राष्ट्र-राज्य के लिए बेहद खतरनाक है।

जिस तरह हमारे देश के मध्य और उत्तर के कुछ राज्यों में त्योहारों या देवी-देवताओं-महापुरुषों की जयंतियों के मौके पर धार्मिक उन्माद के साथ सांप्रदायिक हिंसा हो रही है, वह संविधान और राष्ट्र-राज्य के लिए बेहद खतरनाक है. आखिर ऐसे अवसरों के 'राजनीतिक इस्तेमाल' का सिलसिला इस कदर बढ़ क्यों रहा है? डाॅक्टर अम्बेडकर ने ऐसे परिदृश्य की आशंका क्यों जाहिर की थी? 

इस बीच, शासकीय स्तर पर इतिहास को तोडमरोड कर पेश करने का अभियान तेज क्यों हुआ है? आज की बात में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का तथ्यात्मक और विचारोत्तेजक विश्लेषण:

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