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लेबनान में दोबारा शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में एक की मौत, कई अन्य घायल

लॉकडाउन के मानदंडों को धता बताते हुए विरोध प्रदर्शनों का ताज़ा मामला पिछले सप्ताह सरकार द्वारा लोगों की आर्थिक चिंताओं से निपटने में विफलता को लेकर शुरू हुआ।
लेबनान

लेबनान के त्रिपोली में मंगलवार 28 अप्रैल को एक व्यक्ति की मौत हो गई। जब सेना और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं तो कई अन्य लोग घायल हो गए जिसमें यह व्यक्ति भी शामिल था।

COVID-19 के ख़तरे और इसको लेकर कर्फ्यू व लॉकडाउन के बावजूद लेबनान के कई हिस्सों में पिछले दो दिनों में विरोध प्रदर्शन किए गए।

देश के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और मुख्य राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया, टायर जलाए और बैंकों के ख़िलाफ़ धावा बोला। बड़ी संख्या में पुरुष, महिलाओं और बच्चों को त्रिपोली की सड़कों पर मार्च करते हुए देखा गया, जो 'रिवोल्यूशन' का नारा लगा रहे थे। जब सुरक्षा बलों ने विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों का सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष हो गया और इसकी प्रतिक्रिया में पत्थर और मोलोटोव कॉकटेल फेंके। पथराव करके कई बैंक की इमारतें को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि देश के लगभग हर हिस्से में पिछले दो दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें त्रिपोली, बेरूत, दक्षिणी सिडोन, ज़ाल्का (बेरूत के उत्तर), टायरे, ज़ौक मेसबेह, नामेह, दिब्येह, जेबिल और डैमर राजमार्ग, टेयूनेह, डोरा, जल एल-दिब और अन्य स्थान शामिल हैं।

लेबनान के रेड क्रॉस ने कहा कि त्रिपोली में हुए विरोध प्रदर्शनों में छह लोगों के घायल हो गए, आगे कहा कि उसने तीन लोगों को नज़दीक के अस्पताल पहुंचाया जबकि अन्य लोगों का विरोध स्थल पर इलाज किया गया। कई प्रदर्शनकारियों को भी सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया। लेबनान में बैंकिंग एसोसिएशन ने सुरक्षा कारणों से त्रिपोली में सभी बैंकों को मंगलवार से बंद कर दिया।

1990 में लेबनान के गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद से लेबनान अपने सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहा है। बड़े पैमाने पर मुद्रास्फीति और उच्च करों के चलते रोज़मर्रा की वस्तुओं और आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू लिए हैं। लेबनानी पाउंड ने पिछले एक साल में अपने मूल्य का लगभग 40% खो दिया है। यह वर्तमान में आधिकारिक तौर पर डॉलर के मुकाबले 1,500 के आसपास है, लेकिन अभी भी अमेरिकी डॉलर की कम उपलब्धता के कारण ब्लैक मार्केट में 4,000 के क़रीब विनिमय दर पर बेचा जा रहा है।

बैंकों ने एक महीने में वापस ली जा सकने वाली डॉलर की राशि को प्रतिबंधित करने वाले नियमों को लागू करके इस परेशानी को और बढ़ा दिया है। नतीजतन, ग़रीबी में 45% का इज़ाफा हो गया है, जबकि देश काफी ज़्यादा बेरोज़गारी पैदा हो गई है। लेबनान विश्व में जीडीपी अनुपात की तुलना में सबसे अधिक ऋण वाला देश है।

सत्तारूढ़ राजनीतिक वर्ग और व्यापारिक कुलीनों के ख़िलाफ़ विरोध अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ था, लेकिन हाल ही में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण रुका हुआ था। हालांकि, लॉकडाउन के बाद आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है, और आपराधिक सरकार की उपेक्षा, खाने पीने के वस्तुओं की कमी, वित्तीय सहायता और अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन फिर से शुरु हो गया है। कई लोगों को इस वायरस से पहले भूख से मरने का डर सता रहा है।

 

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