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यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत

जबकि यूक्रेन ने वार्ता में शामिल होने से इनकार कर दिया है, रूसी सेना ने इस सप्ताह के शुरू में मारियुपोल के अज़ोवस्टल स्टील प्लांट में सैकड़ों यूक्रेनी सेनाओं के आत्मसमर्पण के बाद डोनबास में एक बड़ी जीत हासिल कर ली है।
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फोटो: रूसी रक्षा मंत्रालय/TASS

इस सप्ताह की शुरुआत में मारियुपोल के पतन और यूक्रेन के रूसी नियंत्रण में आने वाले सभी क्षेत्रों को वापस लेने की नई प्रतिज्ञा ने इस क्षेत्र में एक "लंबे" परोक्षी युद्ध के डर को बढ़ा दिया है और साथ ही खाद्य असुरक्षा के बिगड़ने की वैश्विक चिंताओं को भी बढ़ा दिया है।

बुधवार, 18 मई को राष्ट्र के नाम दिए गए एक संबोधन में, यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने दावा किया कि उनका देश "कब्जे करने वालों को बाहर निकालकर" रूस द्वारा कब्ज़ा किए गए सभी शहरों को वापस ले लेगा। यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेज़निकोव ने आशंका व्यक्त की है कि रूस यूक्रेन में अपने युद्ध में एक "लंबे चरण" में प्रवेश कर रहा है क्योंकि वह दक्षिण में अपनी तैनाती की रक्षा करना चाहता है और डोनबास क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करना चाहता है।

अतीत में वार्ता की जरूरत को स्वीकार करने के बावजूद, दोनों देशों ने गुरुवार को पुष्टि की कि वार्ता आधिकारिक रूप से ठप हो गई है। रूसी उप-विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने दावा किया है कि यूक्रेनियन "व्यावहारिक रूप से वार्ता प्रक्रिया से हट गए हैं।" दूसरी ओर, रूस ने यूक्रेन पर पश्चिम के दबाव के कारण वार्ता से हटाने और ठंडा रुख पर अपनाने का आरोप लगाया है, जो रूस से बदला लेने के लिए यूक्रेन का इस्तेमाल कर रहा है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार मायखाइलो पोडॉलिक ने पुष्टि की है कि रूस के साथ बातचीत रुकी हुई है और इस समय बातचीत से कुछ हासिल भी नहीं होगा।

मारियुपोल का घुटने टेकना

इस बीच, अज़ोवस्टल स्टील प्लांट के अंतिम युद्ध मैदान में सैकड़ों यूक्रेनी लड़ाकों के आत्मसमर्पण के बाद रूस ने डोनबास क्षेत्र के बंदरगाह शहर मारियुपोल पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है। करीब तीन महीने तक चली इस लड़ाई को सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई माना गया।

रूसियों द्वारा किए गए दावों के अनुसार, नव-नाजी आज़ोव बटालियन के सैकड़ों सदस्यों सहित लगभग 1,700 यूक्रेनी सैनिकों ने सोमवार से आत्मसमर्पण कर दिया है। टास के अनुसार, इन सभी यूक्रेनी लड़ाकों को रूस ने अपने डिटेन्शन सेंटर में भेज दिया गया है।

रूसी सूत्रों ने दावा किया है कि इनमें से कुछ बंदियों पर युद्ध अपराधों के मामले में मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि उन पर स्टील प्लांट में नागरिकों को जबरन रखकर मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप है।

युद्ध और प्रतिबंध वैश्विक खाद्य संकट को गहरा कर रहे हैं

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आशंका व्यक्त की है कि यूक्रेन में युद्ध और रूस पर पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से "लाखों लोगों को खाद्य असुरक्षा, कुपोषण, बड़े पैमाने पर भूख और अकाल के बाद संकट में डाल देने का खतरा पैदा हो गया है जोकि ऐसा संकट है जो वर्षों तक चल सकता है।"

युद्ध की शुरुआत से ही दुनिया भर में खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में 36 से अधिक ऐसे देश हैं, जिनमें सबसे गरीब देश भी शामिल हैं, जो अपने गेहूं के आधे से अधिक कोटे के लिए रूस और यूक्रेन से आयात पर भरोसा करते हैं। युद्ध और प्रतिबंधों ने बड़ी संख्या में इन देशों को पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति पूरा करने से रोक दिया है जिससे विश्व स्तर पर अधिक मूल्य वृद्धि हो सकती है।

पीपल्स डिस्पैच से बात करते हुए नो कोल्ड वॉर प्लेटफॉर्म के जॉन रॉस ने कहा कि रूस पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका और उसके सहयोगियों ने पूरी दुनिया पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने दावा किया कि अगर प्रतिबंध जारी रहे और कीमतें बढ़ती रहेंगी, जिससे अरबों लोगों के जीवन स्तर में गिरावट आएगी और "यह ग्लोबल साउथ के कुछ करोड़ों लोगों के लिए जीवन के लिए खतरनाक स्थिति बनने जा रही है।" उन्होंने रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों को "लापरवाह और एकतरफा" बताया और कहा कि वे "दुनिया की आबादी पर युद्ध की लागत" थोप रहे हैं।

देशों को वार्ता शुरू करने पर ज़ोर देते हुए गुटेरेस ने कहा कि "जटिल सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय निहितार्थ [युद्ध और प्रतिबंधों के] सभी पक्षों पर सद्भावना की आवश्यकता है।"

रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन में अपना "विशेष अभियान" शुरू किया था और इसे "घना" और "विसैन्यीकरण" करने का दावा किया था। रूस ने यूक्रेन पर मिन्स्क समझौते को लागू करने में विफल होने और डोनबास क्षेत्र के लोगों के खिलाफ अत्याचार करने का आरोप लगाया था। रूस ने पश्चिम पर उक्रेन को नाटो में शामिल करने और देश में खुद के हथियारों को तैनात कर, सुरक्षा गठबंधन का विस्तार करने की कोशिश करके उसकी सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाया था। 

यूक्रेन के अंदर रूसी ऑपरेशन के बाद, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और उनके सहयोगियों ने रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। प्रतिबंधों में रूस के केंद्रीय बैंकों और निजी पूंजी पर आर्थिक प्रतिबंध के साथ-साथ रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध शामिल हैं। पश्चिम ने रूसी राज्य-संबद्ध मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और दुनिया भर में इसके सांस्कृतिक और राजनीतिक बहिष्कार को प्रोत्साहित कर रहा है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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