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राजसमन्द के हत्यारे के समर्थन में भीड़ ने पुलिस पर किया हमला

गौरतलब है कि इस घटना से पहले भी हिंदूवादी संगठन लगातार सोशल मीडिया पर अपनी नफतरभारी राजनीति फैला रहे हैं . ये भड़काऊ मैसेज अक्सर घटना के बाद या किसी घटना को अंजाम दिए जाने के लिए फैलाये जाते रहे हैं .
udaipur

राजस्थान में सांप्रदायिक ज़हर लगातार फैलता जा रहा है , उदयपुर में हो रही घटनाएँ इसकी गवाही दे रहीं है .14 दिसंबर को उदयपुर में हिन्दूवादी संगठनों ने राजसमंद के हत्यारे शम्बुलाल के समर्थन में एक हिंसक प्रदर्शन किया . इस प्रदर्शन में काफ़ी बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे और बताया जा रहा है कि उन्होंने पत्थर बाज़ी, तोड़फोड़ और आगज़नी करी . इस घटना में काफी लोगों के साथ 12 पुलिस वाले ज़ख्मी हुए और पुलिस ने 175 लोगों को गिरफ्तार किया है .इन लोगों में से 50 को राज्य कार्य में बाधा डालने के आरोप में अब भी हिरासत में रखा गया है और बाकियों को छोड दिया गया है . हिंसा और आगज़नी करते हुए ये भीड़ भड़काऊ नारे भी लगा रही थी और दुकानें ज़बरदस्ती बंदी करा रही थी और उनका मकसद शहर के मुख्य मस्जिद के सामने हंगामा खड़ा करना था . पुलिस के मुताबिक भीड़ को काबू करने के लिए उन्हें आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा .

उदयपुर के माकपा सचिव राजेश सिंघवी के बताया कि इस घटना से पहले शहर के मुस्लिम समाज के लोगों ने 8 दिसंबर को राजसमन्द के घटना के विरोध में एक शांति पूर्ण प्रदर्शन किया था , इसके बाद ये बात फैलाई गयी कि इस प्रदर्शन में कुछ लोगों ने भड़काऊ नारे लगाये .इसपर पुलिस ने करीब 10 मुस्लिम युवकों को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया .

राजेश ने आगे कहा कि “ इस घटना से नज़र आ रहा है कि राज्य सरकार सांप्रदायिक तत्वों को हवा दे रही है . ये साफ़ है कि प्रशासन राज्य सरकार के दबाव में  काम कर रहा है तभी हुडदंगियों की इतनी बड़ी भीड़ शहर में जमा हो सकी, सवाल ये है कि इन्हें पहले ही गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया .’’

बताया जा रहा है कि 14 दिसंबर के प्रदर्शन के लिए उदयपुर के बाहर से भी  लोगों को लाया गया था . याद रहे कि इससे पहले राजसमन्द में शम्भू लाल नामक एक शख्स ने एक मुस्लिम मज़दूर अफ्रजुल को कुल्हाड़ी से क़त्ल कर दिया और फिर उसपर केरोसीन छिड़कर कर उसे जला दिया था . इसके साथ ही उसने अपने 14 साल के भांजे से इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनवाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था . इसके बाद इस शख्स ने मेवाड़ की जनता से अपील करते हुए एक वीडियो बनाया जिसमें उसने कहा कि जेहादी हमारी संस्कृति को ख़तम कर रहे हैं और हमें महाराणा प्रताप के तरह इनसे लड़ना है .

गंभीर बात ये है कि इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने शम्भू लाल के समर्थन में पोस्ट लिखे और लोगों से अपील कि वह शम्भूलाल के परिवार वालों के लिए पैसे इकठठा करें . जिस अकाउंट नंबर को शम्भूलाल की पत्नी का अकाउंट बताकर पैसे इक्कठा करने की कोशिश की गयी उसमें करीबन तीन लाख रुपये जमा हो गए थे . पुलिस के मुताबिक ये राशि 516 लोगों द्वारा देश के करीबन हर राज्य से भेजी गयी , पुलिस ने फिलहाल इस अकाउंट को बंद करा दिया है . इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है और इलाके में इन्टरनेट को भी बंद कर दिया गया है .

गौरतलब है कि इस घटना से पहले भी हिंदूवादी संगठन लगातार सोशल मीडिया पर अपनी नफतरभारी राजनीति फैला रहे हैं . ये भड़काऊ मैसेज अक्सर घटना के बाद या किसी घटना को अंजाम दिए जाने के लिए फैलाये जाते रहे हैं . इनका क्या अंजाम होता है ये हम पहले ही झारखण्ड की लिंचिंग और बंगाल के मालदा के दंगों में देख चुके हैं . दूसरी बात ये कि राजस्थान सरकार लगातार इस तरह की सांप्रदायिक घटनाओं को दबाने में नाकामियाब रही है , और सामजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वो दबे छुपे तरीके से इन्हें बढ़ावा भी दे रही है . पिछले एक साल में 6 लिंचिग की घटनाएँ हुई हैं और उनपर लचर कार्यवाही एक डरावना दर्शय पेश कर रही है .साथ ही एक कातिल का इस तरह समर्थन सामाज के पतन की ओर भी इशारा करता है . 

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